अरिहंत के प्रति अपार श्रद्धा नैया पार करेगा :- वैभवरत्न

विजयवाड़ा में अनेक धार्मिक अनुष्ठान


विजयवाड़ा :-
हमें यंहा वंहा नही भटकना चाहिए क्योंकि अरिहंत प्रभु सर्वस्व है ही, ऐसी श्रद्धा ही हमारा हित करनेवाली है। अरिहंत के प्रति अपार श्रद्धा हमारी नैया पार लगायेगी,और रुक काम परिपूर्ण होगा।

उपरोक्त बाते विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए  स्वानुभूति चातुर्मास में श्री नमस्कार महामंत्र आराधना अंतर्गत प्रवचन में गच्छाधिपति आचार्य श्री जयंतसेन सूरीश्वरजी म.सा. समुदाय के वर्तमान गच्छाधिपति आचार्य नित्यसेन सूरीस्वरजी म.सा.,परम पूज्य आचार्य श्री जयरत्नसूरीस्वरजी म.सा के आज्ञानुवर्ती श्रुत प्रभावक मुनिराजश्री वैभवरत्न विजयजी म.सा. ने कही।

उन्होंने कहा कि हमारा जीवन तभी धन्य है जब श्रीसंघ की महिमा और शक्ति बढे, तथा उसे आगे बढ़ने में हमारा हर तरह से उसमे योगदान हो।उन्होंने बताया कि श्री नमस्कार महामंत्र की साधना यदि सम्यग्दर्शन आधारित है, तो साधना की सिद्धि प्राप्त होगी ही।भक्त हरक्षण प्रभु की सेवा, भक्ति के लिए प्यासा रहता है। अनादिकालीन कुसंस्कार का क्षय अरिहंत के ध्यान से ही होता है। 

गुरुदेव ने कहा कि परम पूज्य करुणासागर श्री राजेन्द्र सूरीश्वरजी महाराजा ने अनंत अरिहंतो का बल सिद्ध करके आहोर नगर की आर्हन्त्यमयी प्राणप्रतिष्ठा प्रभावक रूप से परिपूर्ण की थी।युगों युगों तक उन्हें याद किया जाएगा।

  


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