जीवन बनाये सफल पर्युषण के पल :- रजतचंद्र विजयजी

पर्व शिरोमणि हैँ  पर्व पर्युषण


महाड़ :-
जैन जगत में पर्युषण महापर्व का बहुत ही महत्व है। मंत्र शिरोमणी नवकार,तीर्थ शिरोमणी शत्रुंजय, ग्रंथ शिरोमणी कल्पसूत्र है, वैसे ही पर्व शिरोमणी पर्वाधिराज श्री पर्युषण महापर्व है। पुण्य की बढो़ती,कर्म की कटोती,मानव जीवन की उन्नति,आत्मा की सदगती पर्व से संभव है। इस पर्व का प्राण हे जयणा ओर क्षमा,इन दो तत्वों के आस-पास ही पर्युषण पर्व की सभी आराधनाएं जुड़ी होती है । कभी धर्म न करने वाला जीव भी पर्युषण में धर्म करता है, मंदिर न जाने वाला जाता है, पूजा न करने वाला पूजा करता है, प्रवचन प्रतिक्रमण से दूरी बनाने वाला प्रवचनसभा आदि में दिखाई देता है। 

उन्होंने कहा कि ऐसे ही तप-जप-भक्ति कभी न करने वाला पर्वाधिराज में सभी अनुष्ठान अवश्य करता है,जो ना करे उसी भी करने चाहिये। यदि गांव में म.सा.का योग न हो तो कहीं अन्य गांव या तीर्थ मे भी धर्माराधना अवश्य करनी होती है। खाली बैठकर साल बिगाड़ना नहीं चाहिए। वार्षिक संवत्सरी पर्व पर राग द्वेष मान सम्मान ईर्षा की सफाई कर दीपोत्सव की तरह ज्ञान का दीप प्रकट कर पर्वोत्सव मनाये। जिनसे मन मुटाव हो गये हो उनसे वेर दूर करना चाहिये। क्षमापना अपनानी चाहिए। किसी कवि ने ठीक ही कहां है, रखो सर्व से मिलनता वेर झेर को छोड़। चेतन टूटे नही कड़ी, टूटे तो फिर जोड़। जीवन का कोई भरोसा नहीं है आयुष्य कभी भी पूर्ण हो जाएगा। कल दुनिया से यह सारा कर्म भार ले विदा हो जाओगे ओर स्मरण में रखना सदगती तो नहीं मिलेगी। इसलिए क्षमा को धारण कर भूल को स्वीकार कर इस पर्व को पावनिय रूपमे मनायें। ग्रंथ वांचन से सम्यग ज्ञान व सदगति सोपान प्राप्त करें। वीर प्रभु का जन्म कल्याणक- जन्म वांचन सभी जीवो के लिए सुखकारी बने। संवत्सरी का महान दिन बारसा सूत्र श्रवण करें। संवत्सरी प्रतिक्रमण द्वारा आत्म उत्थान करें।मुनिश्री ने जनवाणी से बचकर जीवनवाणी से जुड़कर जीवन कल्याण हेतु सुन्दर प्रवचन फरमाया।

15वीं मासिक पुण्यतिथि मनाई

परोपकार सम्राट मोहनखेड़ा तीर्थ विकासक गुरुदेव श्री ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी महाराज साहेब की 15वीं मासिक पुण्यतिथि पर गुणानुवाद सभा एवं अन्य आयोजन के साथ मनाई गई । सर्वप्रथम गुरु वंदन मंगलाचरण किया गया । उसके पश्चात सूरी ऋषभ के चित्र समक्ष समाज के प्रबुद्ध व्यक्तित्व द्वारा धुप दीप प्रज्वलन किया गया। प्रवीण कटारिया परिवार द्वारा गहूंली की गई।

 गुणानुवाद सभा में परोपकार सम्राट के शिष्य मुनिराज श्री रजतचन्द्र विजयजी महाराज साहेब में कहां मुझे गुरुदेव के साथ 30 सालों का सान्निध्य मिला। कई ऐसी मीठी यादें हैं जो स्मरण हो आती और आंखें छलक जाती है। गुरु के उपकार जीवन के अंतिम समय तक भी नहीं भूल सकते। अशोक शाह परिवार द्वारा माल्यार्पण किया गया। मुनिश्री ने सूरि ऋषभ इक्कीसा का पाठ कराया। समाज के दिलीप सुकलेचा, अशोक शाह, बाबुलाल मांडोत,भगवतीलाल गांधी, दिनेश गांधी,पवन देसरला, राजमल कोठारी ने गुरुदेव परोपकार सम्राट गुरुदेव के सुंदर गुणानुवाद प्रस्तुत किए। उनके समाज के ऊपर उपकार,मोहनखेड़ा तीर्थ विकास का उपकार स्मरण कराया।

जया ओसवाल ममता कटारिया, ललिता कोठारी, साधना देसरला बसंती शाह,आरती देसरला ने सुंदर गीत प्रस्तुत किया। पंद्रहवीं पुण्यतिथि के उपलक्ष में 15 विशिष्ट लक्की ड्रॉ गिफ्ट एवं गौतम स्वामीजी की आरती का लाभ रामलाल भंडारी एवं परोपकार सम्राट की आरती पवन शंकरलाल देसरला परिवार को प्राप्त हुई।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्रमण संघीय साधु साध्वियों की चातुर्मास सूची वर्ष 2024

पर्युषण महापर्व के प्रथम पांच कर्तव्य।

तपोवन विद्यालय की हिमांशी दुग्गर प्रथम