महाड़ में सिद्धितप के तपस्वीयों का हुआ बहुमान
काया कंचन व आत्मा उज्जवल बनाये वह तप है :- रजतचंद्र विजयजी म.सा
मुंबई :- परोपकार सम्राट आचार्य प्रवर श्री विजय ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी म.सा.के सुशिष्य प्रवचनदक्ष मुनिराज श्री रजतचंद्र विजयजी म.सा., मंगलचंद्र विजयजी म.सा.की पावन निश्रा में सिद्धितप के 3 तपस्वीयों का बहुमान किया गया।धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री ने कहा कि तपस्वी तप करके भव की परंपरा को कम करते हैं।
तपस्वी अभिनंदन समारोह में तप का महत्व बताते हुऐ मुनिश्री ने कहा कि 'त' से तत्काल, 'प' से पवित्र, जो तत्काल पवित्र बनाये वह तप है। दापोली निवासी नेहा पोखरना,शिल्पाबेन बंबकी,कु.खुशी बंबकी तीनों तपस्वी के सिद्धितप की पूर्णाहुति पर चातुर्मास समिति अध्यक्ष अशोक शाह, श्रीसंघ अध्यक्ष दिलीप सुकलेचा, सेकटरी प्रवीण कटारिया ने शाल श्रीफल माला से बहुमान किया। इसके पूर्व मुनिश्री ने तपस्वी को जप माला एवं प्रभु प्रतिमा प्रदान की।
सभी तपस्वीयों ने मुनिश्री से वासक्षेप आशीर्वाद प्राप्त किया व गुरु पूजन किया। मुनिश्री के यशस्वी चातुर्मास से पुरा कोंकण महक उठा हैं। दापोली के चेतन जैन एवं अनिता बेन ने स्तवन गाया। महिलाओं ने चौविसी गीत गाये। सभी को चांदी के रजोहरण की प्रभावना तलेगांव के गुरुभक्त अजय सोलंकी ने की। आभार दिनेश गांधी, महावीर देसरला व निलेश ओसवाल ने व्यक्त किया।
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