शादी पूर्व दूल्हा दुल्हन की शूट कर रही भारतीय संस्कृति का हाश

शूट नही करने की 300 लोगों ने ली प्रतिज्ञा

दीपक जैन

पिछले कुछ वर्षों में जो प्री-वेडिंग कल्चर आया है, यह हमारे समाज से, हमारी आर्य संस्कृति से शर्म और मर्यादाओं को मिटा रहा है। यह प्रदूषण एक दिन पूरे समाज, राष्ट्र को दूषित कर सकता है। 

वज्ररत्न सागरजी म.सा.


मुंबई :- बदलते जमाने और फैशन के साथ, कुछ सालों से कपल्स ने शादी की तारीख से पहले प्री-वेडिंग शूट करना शुरू कर दिया है। इसमें कपल किसी हिल स्टेशन या दर्शनीय स्थलों पर जाता है और तरह-तरह के कपड़े पहनता है, और वीडियो या फोटो शूट करवाता है। जहां इस प्री-वेडिंग शूटिंग की चर्चा हमारे देश में संस्कृति, सीमा और शर्मिंदगी में डालने की है, वहीं इसके प्रसार को रोकने के लिए अंधेरी (वेस्ट) के श्री चंद्रप्रभ स्वामी जैन तपागच्छ श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ, में चातुर्मास हेतू बिराजमान सागर समुदाय में बंधु त्रिपुटी के रूप में प्रख्यात  आगम - प्रशम - वज्ररत्न सागरजी ने पहल की हैं।

विशाल धर्मसभा में इसका आवाहन करते ही 300 से ज्यादा वरिष्ठ लोगो व युवाओं ने प्री वेडिंग शूट नही करने की कसम खायी।इस अवसर पर प्रखर प्रवचनकार वज्ररत्न सागरजी ने कहा  कि पिछले कुछ वर्षों से प्री वेडिंग शूट का चलन शुरू हुआ हैं।पिछले कुछ वर्षों में जो प्री-वेडिंग कल्चर आया है, यह हमारे समाज से, हमारी आर्य संस्कृति से शर्म और मर्यादाओं को मिटा रहा है। यह प्रदूषण एक दिन पूरे समाज, राष्ट्र को दूषित कर सकता है। 


उन्होंने कहा कि अपने बाप दादा के जमाने मे तो माता पिता जिस परिवार मे बच्चों की शादी निश्चित करते वहीं शादी करते थे।शादी के पहले तो एक दूसरे का चेहरा भी नही देखते थे।जिनकी शादी होती उनका परिचय शादी के बाद ही होता।समय के साथ इस प्रथा में बदलाव हुआ और माता पिता लड़के लड़की की मीटिंग करवाकर शादी करते हैं।

वज्ररत्न सागरजी ने कहा कि पिछले कुछ समय से प्री वेड शूटिंग की नई प्रथा शुरू हुई है,और अब तो शादी के पहले ही लड़का,लड़की घूमते फिरते भी हैं,और एक दूसरे को स्पर्श भी करते हैं।उन्होंने बताया कि जब रावण के पास सीता मां थी तब वह जानता था कि सनातन धर्म मे किसी भी स्त्री को विवाह के पहले स्पर्श करना संस्कृति की विरोध प्रक्रिया हैं।शादी हो,सात फेरे हो उसके बाद ही स्त्री का स्पर्श हो सकता हैं।आज के समय में स्पर्श तो छोड़ो शादी के पहले ही वर वधु प्री वेड शूट के लिए लाखों रुपए खर्च करके काश्मीर, गोआ,जयपुर, उदयपुर, जैसलमेर जैसे स्थानों पर जाते है व फोटोग्राफर के सामने ही ऐसे पोज़ देते हैं जो अत्यंत ही शरमजनक होते हैं।

उन्होंने कहा कि इनके फ़ोटो लेनेवाले कैमरामैन के दिमाग में कैसे कैसे विचार आते होंगे इस बारे में कोई सोचता ही नहीं हैं।इस समय कंहा गई हमारी मां मर्यादा और देश की संस्कृति ?जैन समाज की संस्कृति?उन्होंने कहा कि यंहा पर भी इस बात का अंत नही आता हैं, परंतु बड़े उत्साह से माता पिता भी इन फ़ोटो को वायरल ही नही करते बल्कि विवाह मंडप में भी इसे बड़ी स्क्रीन पर दिखाते है।तब भी यह विचार नहीं आता कि लोग कैसे कैसे विचार इन फ़ोटो को देखकर करते हैं।वज्ररत्न सागरजी ने कहा कि विवाह के बाद क्या करते हैं इसमे किसी को रुचि नहीं हैं।इससे हमारी संस्कृति दूषित हो रही हैं इसके बाद भी इसे रोकने के कोई प्रयास नहीं किये जा रहे हैं।यह प्रथा किसी भी सूरत में बंद होनी चाहिए।

उन्होंने इस पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसे अगर रोका नहीं गया तो हमारी संस्कृति किस दिशा में जाएगी यह सोचकर शरीर के रोंगटे खड़े हो जाते हैं।इस बारे में स्थानीय ज्वेलरी व्यवसाय करने वाले भरत कोठारी ने बताया कि गुरुदेव के प्रवचन का खासा असर जनसमुदाय पर हुआ और मेरा तो दिलो दिमाग घूम गया।मेरी भी 18 साल की पुत्री और 22 साल का लड़का हैं।मैने और मेरी पत्नी के अलावा 300 से ज्यादा लोगों ने प्रवचन  के बाद जाहिर प्रवचन में ही प्रतिज्ञा ली हैं कि हम प्री वेडिंग शूट नहीं करवाएंगे।

गुरुदेव की बातें गंभीर थी ,जिसमें समाज की सच्चाई थी जिसके हमे दर्शन हुए।संघ के ट्रस्टी महेंद्र परमार ने कहा कि अपना समाज किस दिशा में जा रहा है इसके दुष्परिणाम आ सकते हैं, ऐसा अनुभव हमें प्रवचन के बाद हुआ।इसके बाद बड़ी संख्या में परिवारों ने प्रतिज्ञा की कि अपने परिवार में इस दूषण को नहीं आने देंगें।





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