महाड़ नगर में भगवान महावीर स्वामी का ऐतिहासिक जन्मवांचन

उन्नत जीवन के लिये कम बोलना, कम खाना,कम सोना जरूरी

100 साल में मिली गुरु निश्रा


महाड़ :- 
श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान के सानिध्य में परोपकार सम्राट मोहनखेड़ा तीर्थ विकास प्रेरक, आचार्यदेव श्री ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी म. सा. के सुशिष्य प्रवचनदक्ष मुनिराज श्री रजतचंद्र विजयजी म.सा. एवं मंगलचंद्र विजयजी की निश्रा में तथा सकल श्रीसंघ की उपस्थिति में प्रभु महावीर का जन्म वांचन महाड़ नगर में ऐतिहासिक रूप से संपन्न हुआ। 

सकल जैन समाज के तत्वावधान में प्रातः 8:30 बजे से जन्म वांचन प्रारंभ हुआ जो दोपहर 2:00 बजे पूर्ण हुआ।विशाल जनमेदनी को संबोधित करते हुए उन्होंने भगवान महावीर की विशेषताओं का वर्णन करते हुए कहा कि प्रभु महावीर ने तीन काम अपने जीवन में नहींवत् किए, बोलना कम किया, खाना कम किया और सोना कम किया। हम भगवान महावीर के जीवन से 3 शिक्षा सूत्र प्राप्त कर हमारे घर को,हमारे परिवार को हमारे जीवन को उज्जवल एवं उन्नत बना सकते हैं।गुरुवंदन के बाद मुनिश्री के मंगलाचरण से धर्मसभा की शुरुआत की। संगीत भक्ति भावना के साथ में शुभ मुहूर्त में चडा़वे प्रारंभ किए गए। 

करीब 1:00 बजे मुनिराज ने भगवान के जन्म पाना का वांचन प्रारंभ किया। उसके ठीक पहले चातुर्मास स्मृति में बनकर आये चांदी के आकर्षक पट्ट का अनावरण कर श्रीसंघ को सौंपा गया। जन्म पृष्ठ का वांचन करते ही अक्षत उछाले गए। श्रीफल-गोला वधारे गए। भगवान की पालने में स्थापना की गई। जन्म बधाई थाली की झालर बजाई गई। पालनाजी झुलाए गए। भक्तगण प्रभु जन्म गीत पर नाचने और झुमने लगे।

 


आरतियां की गई। खुशी में सब ने एक दूसरे को मुंह मीठा कराया । केसर के छापे लगाए गए । ढोल नगाड़े बजाए गए। पालनाजी व सपनाजी का वरघोड़ा निकाला गया। मुनिश्री की निश्रा में लाभार्थी सपनाजी और पालनाजी लेकर चल रहे थे। सारे काम मुनिश्री के मार्गदर्शन में विधिवत और सुंदर तरीके से किए गए। जन्म वाचन के बाद सकल श्रीसंघ का स्वामीवात्सल्य किया ।

इन भाग्यशाली को मिला जन्म वांचन में चडावा लाभ

14 सपना व मंदिर की वार्षिक बोलियां एवं आरती की बोलियां की गई। गज, लक्ष्मी एवं सूर्य सपने का दर्शन तथा भगवान की वार्षिक वासक्षेप एवं अंगलुंछना पूजा का लाभ छोगमलजी लालचंदजी कटारिया, श्री राजेन्द्र सूरिजी का वार्षिक अखंड दीपक का लाभ यश रोनक कटारिया,रत्नराज मेडिकल, वृषभ सपना अशोकजी रांका Midc। सिंह,व अग्निशिखा सपना व प्रातः की राजेंद्र सुरीजी म.सा.की आरती देवीचंदजी धुपाजी ओसवाल विनोद ओसवाल, दो पुष्पमाला सपना पालने में भगवान स्थापना का बाबुलालजी ओटरमलजी लाडोली, चंद्र सपना व श्री ऋषभचंद्र सुरीजी म.सा की आरती एवं भगवान का पालना झूलाने का व प्रातः प्रभु आरती एवं मंगल दीवा,शाम की नाकोड़ा भेरूजी की आरती,नवकार मंत्र चांदी का पट्ट दर्शन का चढ़ावा शंकरलालजी संपतलालजी महावीर कुमार पवनजी देसरला परिवार, ध्वजा एवं क्षीर समुद्र सपना अशोकजी शाह। पूर्ण कलश सपना,केसर का छापा शांताबाई मोहनलालजी सुकलेचा लाभार्थी थे।इसके अलावा पद्मसरोवर सपना,भगवान के जन्म वांचन की विनंती, 14 सपना की अष्टप्रकारी पूजा,गौतम स्वामी आरती का भगवान का वार्षिक पक्षाल केसर और फुल पूजा लाभ रामलालजी चंपालालजी भंडारी , देवविमान एवं महावीर जन्म का स्वामीवात्सल्य लाभ हीराचंदजी देवीचंदजी ओसवाल, रत्नराशि सपना का लाभ बाबुलालजी सुकलालजी कोठारी ,भगवान जन्म थाली बजाने का, प्रथम नारियल वधारने का एवं वार्षिक दीपक पूजा का लाभ वीर प्रवीणकुमारजी हीरालालजी गदिया को,भगवान का पालना घर ले जाने का चढावा भंवरलालजी लादुलालजी कोठारी, भगवान महावीर की तस्वीर पर पुष्पहार व आरती मंगल दीवा का चढावा लादुलालजी नानालालजी गांधी को, नाकोड़ा भेरूजी की आरती राजमलजी महावीर विक्रम कुमार कोठारी  व श्री राजेंद्रसूरी गुरुदेव की आरती रेखाबेन दिलीपजी नानेशा। वार्षिक ब्रास पूजा प्रकाशजी अजयजी अमरजी गांधी।वार्षिक धुप पूजा कमलाबेन सुरेश कुमारजी चोपड़ा ने लिया।

 मूलनायक भगवान व श्री नाकोड़ा भैरूजी अखंड दीपक हितेशजी हीराचंदजी ओसवाल व स्व.जानवी हितेश ओसवाल परिवार ने लिया।

भोजनशाला में टेबल सेट का लाभ

राजमलजी कोठारी,लादुलालजी गांधी, संपतजी देसरला, शंकरलालजी देसरला पवनजी देसरला एवं संतोषजी मोहनलालजी देरासरीया को मिला।ज्ञात हो 100 साल में यहां चातुर्मास हो रहा है।

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