साबरमती जैन संघ में चातुर्मास की धूम
दीक्षा दानेश्वरी आचार्य गुणरत्न सूरीश्वरजी के द्वितीय स्वर्गारोहण तिथि पर अनेक आयोजन
(रश्मिरत्न सूरीश्वरजी म.सा.) |
श्री साबरमती जैन संघ में आजीवन गुरुगुण चरणोपासक श्रमणी गणनायक आचार्य श्री रश्मिरत्न सूरीश्वरजी म.सा. आदि 300 से अधिक साधु-साध्वीजी भगवंतों की निश्रा में गुणरत्न सुरीश्वरजी म.सा. के द्वितीय स्वर्गारोहण तिथि निमित्त श्री गुण रश्मि परिवार द्वारा गुरुगुण गौरव गाथा का भव्य महोत्सव संपन्न हुआ।ज्ञात हो गुणरत्न सूरीश्वरजी ने 450 से अधिक दीक्षा दी थी और अनेक जिनालयों की प्रतिष्ठा करवाई है।
इस अवसर पर संघ में जैनाचार्य श्री रश्मिरत्न सूरीश्वरजी ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि चातुर्मास में आत्मा के 9 आभूषण धारण करने चाहिए। सामायिक, प्रतिक्रमण, पौषध, प्रभु पूजा, स्नात्र, प्रभु विलेपन, ब्रह्मचर्य पालन, सुपात्रदान और तप!उन्होंने बताया कि जैन धर्म में मासक्षमण (30उपवास) को मृत्युंजय तप कहा जाता है। तप करने से आत्मा पवित्र होती है। भगवान महावीर ने नंदन ऋषि के भव में 11 लाख 80 हजार 645 मासक्षमण किये थे।
मेवाड़ देशोद्धारक श्री जितेंद्रसूरी म.सा. के जन्म शताब्दी और दीक्षा दानेश्वरी गुरुदेव की द्वितीय स्वर्गवास तिथि निमित्त संघ में पहली बार हो रहे सामूहिक मासक्षमण में 200 से अधिक तपस्वी तारीख 16 जुलाई से शामिल हुए हैं, जिनका पारणा 15 अगस्त को होगा।।
महोत्सव में संगीतमय भावाचार्य वंदना (संगीत: नैतिक शाह), सद्गुरु स्तव (संगीत: शनि शाह) में 50 मुमुक्षुओं ने गुरुमूर्ति का अक्षत अभिषेक के अलावा गुरुगुण गौरवगथा (संगीतः पीयूष शाह, प्रस्तुतिः प्रफुल राठौड़) में दो हजार से अधिक समूह सामायिक, 2700 भातपानी के रिकोर्ड आयंबिल और शुद्ध प्रतिक्रमण हुआ। अनेक महात्माओं ने गुणरत्न सूरीश्वरजी म.सा.ने जिनशासन को दिये योगदान को याद किया।साथ ही श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ जिनालय में भव्य महापूजा का आयोजन किया गया।संपूर्ण महोत्सव का लाभ एक गुरुभक्त ने लिया।
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