कल्याणक का अर्थ है कल्याण करनेवाला :- नित्यानंद सूरीश्वरजी

 चेन्नई में नेमिनाथ भगवान का जन्म कल्याणक मनाया गया


चेन्नई :-
यहां KLP प्रांगण में चल रहे आत्म लक्षी धर्मप्रभावक चातुर्मास के अंतर्गत गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरीश्वर जी म. की निश्रा में 22वें तीर्थपति श्री नेमिनाथ भगवान का जन्म कल्याणक स्नात्र महा महोत्सव मनाया गया। बड़ी संख्या में श्रद्धालओं ने स्नात्र महोत्सव में झूमते नाचते हुए जन्माभिषेक का आनंद लिया। भगवान की प्रतिमा को फूलों से श्रृंगारित किया गया। 

संकल्प जैन संघ के तत्वावधान में आयोजित महोत्सव में संकल्प जैन महिला मंडल की सदस्यों ने एक जैसा पूजा परिधान धारण करके प्रभु भक्ति करते हुए गीत संगीत की धारा प्रवाहित की। स्नात्र महोत्सव के लाभार्थी जितेश मेहता परिवार द्वारा प्रभावना की गई।

आचार्य श्री ने अपने प्रवचन में कहा कि परमात्मा के जीवन के पांच प्रसंगों को कल्याणक शब्द से संबोधित किया जाता है। च्यवन, जन्म, दीक्षा, केवल ज्ञान तथा निर्वाण के समय चौदह राजलोक के जीवमात्र को आनंद तथा प्रकाश की अनुभूति होती है। दुःखों की भट्टी में प्रतिपल झुलस रहे नरक के प्राणियों को भी सुख की सांस नसीब होती है। आचार्य श्री ने गुरु वल्लभ के वचनों को प्रगट करते हुए बताया कि वो हमेशा फरमाते थे कि कल्याणक भूमि से बढ़कर कोई तीर्थ नही है और कल्याणक दिवस से बढ़कर कोई पर्व नही है। कल्याणक का अर्थ ही कल्याण करने वाला है। जब जीवात्मा के में विश्व के सभी जीवों के दुखदर्द को दूर करके उन्हें भी मोक्षमागीं बनाने की भावना प्रगट होती है तब वह तीर्थंकर नामकर्म का निकाचित बंध करता है। लेकिन जब तक व्यक्ति व्यक्ति में ईर्ष्या, द्वेष की अग्नि जलती रहेगी तब तक वह धर्म मार्ग का अधिकारी नही बन पाएगा। आज का इंसान खुद को सुखी बनाने के लिए दूसरों को दुःख के दरिया में डुबोने हेतु तैयार रहता है। यदि हमें तीर्थंकरों की वास्तविक आराधना का फल लेना है तो सभी जीवों के साथ मैत्रीभाव स्थापित करना होगा।

मुनिश्री मोक्षानन्द विजयजी म.सा. ने अपने प्रवचन में कहा कि भगवान ने कई जन्मों तक ऐसी साधना की कि जिससे वह जन्म मरण की परम्परा को मिटा सकें और आखिर वह उसमें सफल हुए। एक दिन भगवान की आत्मा भी हमारी तरह संसार के पाप पंक में लिप्त बनी हुई थी किन्तु जैसे ही आत्म दृष्टि प्राप्त हुई उनकी आत्मा का उत्थान होता गया। यदि वह प्रबल पुरुषार्थ करके मोह राजा को परास्त कर सकते हैं। विषय वासनाओं के व्यामोह का भेदन कर सकते हैं। हमारी समस्त आराधना अजन्मा बनने के लिए होनी चाहिए। उपस्थित जनमेदिनी ने प्रभु नेमिनाथ जन्म कल्याणक महोत्सव धूमधाम से मनाया।

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