नवकार महामंत्र केवल जाप नही यह जीवन को दिशा देता हैं :- नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री ने दिए जैनों को 9 संकल्प -

 JITO के ऐतिहासिक आयोजन के लिए प्रधानमंत्री ने की प्रशंसा

नवकार महामंत्र सिर्फ मंत्र नहीं है। ये हमारी आस्था का केंद्र है।हमारे जीवन का मूल स्वर... और इसका महत्व सिर्फ आध्यात्मिक नहीं है। ये स्वयं से लेकर समाज तक सबको राह दिखाता है 


नई दिल्ली :
-  नवकार महामंत्र केवल जाप नही यह जीवन को दिशा देनेवाला मंत्र हैं।आज नवकार मंत्र के जाप में उपस्थित रहकर एक अद्भुत अनुभूति का एहसास हो हैं।शब्दों से परे व सोच से भी परे नवकार महामंत्र अभी भी मन मस्तिष्क में गूंज रहा हैं।एक स्वर,एक ऊर्जा,न कोई उतार,कोई चढ़ाव मात्र स्थिरता, एक ऐसी चेतना एक जैसा प्रकाश भीतर ही भीतर में नवकार महामंत्र की इस आध्यात्मिक शक्ति को अब भी अपने भीतर अनुभव कर रहा हूं।

उपरोक्त विचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (JITO) द्वारा जीवमात्र के कल्याण हेतु  अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित नवकार महामंत्र दिवस को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।मोदी ने कहा यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि चारों समुदाय इस महायज्ञ में दुनियाभर से शामिल हुए हैं।उन्होंने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व मैं बेंगलुरु में ऐसे ही एक सामूहिक मंत्र जाप का साक्षी बना था। आज वही अनुभूति और उतनी ही गहराई में इस बार देश विदेश में एक साथ एक ही चेतना से जुड़े लाखों करोड़ों पुण्य आत्माएं एक साथ बोले गए शब्द एक साथ जागी ऊर्जा अभूतपूर्व हैं।उन्होंने कहा मेरा जन्म गुजरात में हुआ जंहा हर गली में जैन धर्म का प्रभाव दिखता है,और बचपन से ही मुझे जैन आचार्यों का सानिध्य मिला।नवकार मंत्र केवल मंत्र नही बल्कि हमारे आस्था का केंद्र हैं।हमारे जीवन का मूल स्वर और इसका महत्व केवल आध्यात्मिक नही है ,यह स्वयं से लेकर समाज तक को राह दिखाता है।यह जन से जग तक कि यात्रा हैं।इसका हर शब्द मंत्र हैं।उन्होंने विस्तार से नवकार मंत्र का महिमा मंडन व विस्तार से इसपर प्रकाश डाला।

 मोदी ने कहा कि जब हम नवकार महामंत्र बोलते हैं हम नमन करते हैं 108  दिव्य गुणों को,हम स्मरण करते हैं मानवता का ही। यह मंत्र हमें याद दिलाता है ज्ञान और कर्म ही जीवन की दिशा है। गुरु ही प्रकाश और मार्ग वही है जो भीतर से निकलता है । मोदी ने कहा नवकार महामंत्र कहता है स्वयं पर विश्वास करो, स्वयं की यात्रा शुरू करो क्योंकि दुश्मन बाहर नहीं है,दुश्मन भीतर ही हैं। नकारात्मक सोच अविश्वास,वैमनस्य ही वो शत्रु है,जिन्हें जितना ही असली विजय है। यही कारण है की जैन धर्म हमें बाहरी दुनिया नहीं खुद को जीतने की प्रेरणा देता है।जब हम खुद को जीतते है तो अरिहंत बनते हैं और इसलिए नवकार महामंत्र मांग नही है, यज मार्ग है,एक ऐसा मार्ग है जो इंसान को भीतर से शुद्ध करता है,जो इंसान को सौहार्द की राह दिखाता है।नवकार महामंत्र सही मायने में मानव ध्यान,साधना और आत्मसुद्धि का मंत्र है।इस मंत्र का एक वैश्विक परिपेक्ष है। या शाश्वत महामंत्र भारत की अन्य श्रुति स्मृति परंपराओं की तरह पहले सदियों तक मौखिक रूप से फिर शिलालेखों के माध्यम से और आखिर में प्राकृत पांडुलिपि के माध्यम से पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ा,और आज भी यह हमे निरंतर राह दिखाता हैं।नवकार मंत्र पंच परमेष्टि की वंदना के साथ ही सम्यग ज्ञान है।सबसे महत्वपूर्ण यह हमें मोक्ष की और ले जानेवाला मार्ग है।

अपने 40 मिनट के भाषण में उन्होंने कहा कि हम जानते हैं जीवन के 9 तत्त्वों को,यह तत्व जीवन को पूर्णता की और ले जाते है,इसलिए हमारी संस्कृति में नव का विशेष महत्व है। जैन धर्म में नवकार महामंत्र,नाव तत्व और अन्य परंपराओं में नव निधि, नवद्वार, नवग्रह, नवदुर्गा ,नवधा भक्ति, नव हर जगह हैं। हर संस्कृति में हर साधना में हैं ।जब भी 9 के मल्टीपल में ऐसा क्यों ,क्योंकि 9 पूर्णता का प्रतीक हैं।9 के बाद सब रिपीट होता है। नव को किसी से भी गुणा करो उत्तर का मूल 9 वही होता  है। यह गणित नही हैं बल्कि दर्शन हैं जो हम पूर्णता को पा लेते हैं तो फ़िर उसके बाद हमारा मन,मस्तिष्क स्थिरता के साथ उद्दोगामी हो जाता हैं।प्रगति के बाद भी हम अपने मूल से दूर नही जाते हैं, और यही नवकार मंत्र का सार हैं।नवकार महामंत्र का दर्शन विकसित भारत से जुड़ता हैं।विकसित भारत यानी विकास भी,विरासत भी।एसा भारत जो रुकेगा नहीं, जो थमेगा नहीं।ऊंचाइयों को छुएगा लेकिन अपनी जड़ों से नही कटेगा।हम अपनी संस्कृति पर गर्व करेंगे इसलिये हमारे तीर्थंकरों की शिक्षा को सहेजते हैं।

उन्होंने कहा कि जब भगवान महावीर के 2550 में निर्वाण महोत्सव का समय आया तब हमने देशभर में मनाया। प्राचीन मूर्तियां विदेश से वापस आती है तो उसमें हमारे तीर्थंकर की प्रतिमाएं भी लौटी है।उन्होंने बताया कि आपको जानकर गर्व होगा कि पिछले कुछ वर्षों में 20 से ज्यादा तीर्थंकरों की मूर्तियां विदेश से वापस आई हैं।भारत की पहचान बनाने में जैन धर्म का योगदान अमूल्य है।हम इसे सहेजने के लिए प्रतिबद्ध हैं।नई संसद भवन जो लोकतंत्र का मंदिर है, उसमे म जैन धर्म का प्रभाव दिखता है। लोकसभा के प्रवेश द्वार पर तीर्थंकर की मूर्ति है यह मूर्ति ऑस्ट्रेलिया से लौटी है,स्थापत्य गैलरी में सम्मेद शिखर तीर्थ,संविधान गेलेरी में भगवान महावीर की अद्भुत पेंटिंग हैं तथा साउथ बिल्डिंग की दीवार पर सभी 24 तीर्थंकर साथ हैं। संस्कारों पर चलते हुए हमारी सरकार सबका साथ सबका विकास के मंत्र पर आगे बढ़ रही हैं। जैन धर्म का साहित्य भारत के वैभव की रीड है इसलिए हमारा कर्तव्य है की इसे संजोकर रखा जाए और इसलिए हमने प्रकृति और पानी को क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा दिया जिससे जैन साहित्य पर रिसर्च करना सरल होगा।मोदी ने कहा कि भाषा बचेगी तो ज्ञान बचेगा, भाषा बढ़ेगी तो ज्ञान का विस्तार होगा।आप जानते हैं हमारे देश में सैकड़ो साल पुरानी जैन पांडुलिपियों मनुस्क्रिप्ट हैं।हर पन्ना इतिहास का दर्पण है,ज्ञान का सागर है। अनेक ग्रंथ धीरे-धीरे लुप्त हो रहे है, इसलिए हम ज्ञान भारत मिशन शुरू करने जा रहे हैं।इस वर्ष बजट में इसकी घोषणा की गई हैं, और करोड़ों पांडुलिपियों के सर्वे करने की तैयारी हो रही है।प्राचीन पन्नो को डिजिटल करके हम प्राचीनता को आधुनिकता से जोड़ेंगे। यह बजट में बहुत महत्वपूर्ण घोषणा हुई हैं।नया भारत ऐसी संभावनाएं खोजेगा और आध्यात्मिक से दुनिया को राह दिखायेगा।जैन धर्म जितना वैज्ञानिक है, उतना ही संवेदनशील है।


आज की दुनिया Information की दुनिया है। Knowledge  का भंडार नजर आने लगा है। लेकिन, न विज्जा विण्णाणं करोति किंचि! विवेक के बिना ज्ञान बस भारीपन है, गहराई नहीं। जैन धर्म हमें सिखाता है - Knowledge  और Wisdom  से ही  Right Path मिलता है। हमारे युवाओं के लिए ये संतुलन सबसे ज़रूरी है। हमें, जहाँ tech हो, वहाँ touch भी हो।  जहाँ skill हो, वहाँ soul भी तो हो, आत्मा भी तो हो। नवकार महामंत्र, इस Wisdom का स्रोत बन सकता है। नई पीढ़ी के लिए ये मंत्र केवल जप नहीं, एक दिशा है। 

मोदी ने कहा कि आज जब इतनी बड़ी संख्या में, विश्वभर में एक साथ नवकार महामंत्र का जाप किया है, तो मैं चाहता हूं- आज हम सब, जहां भी बैठे हों, इस कमरे में ही सिर्फ नहीं, हम संकल्प लेकर जाएं। पहला संकल्प-  पानी बचाने का संकल्प। आपमें से बहुत सारे साथी महुड़ी यात्रा करने गए होंगे। वहां बुद्धिसागर जी महाराज ने 100 साल पहले एक बात कही थी, वो वहां लिखी हुई है। बुद्धिसागर महाराज जी ने कहा था - "पानी किराने की दुकान में बिकेगा..." 100 साल पहले कहा। आज हम उस भविष्य को जी रहे हैं। हम किराने की दुकान से पानी पीने के लिए लेते हैं। हमें अब एक-एक बूँद की कीमत समझनी है। एक-एक बूँद बचाना, ये हमारा कर्तव्य है।

दूसरा संकल्प- एक पेड़ माँ के नाम। पिछले कुछ महीनों में देश में 100 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगे हैं। अब हर इंसान अपनी मां के नाम एक पेड़ लगाएं, माँ के आशीर्वाद जैसा उसे सींचे। मैंने एक प्रयोग किया था, जब गुजरात की धरती पर आपने मुझे सेवा का मौका दिया था। तो तारंगा जी में मैंने तीर्थंकर वन बनाया था। तारंगा जी वीरान सी अवस्था है, यात्री आते तो बैठने की जगह मिल जाए और मेरा मन था, कि इस तीर्थंकर वन में हमारे 24 तीर्थंकर जिस वृक्ष के नीचे बैठे थे, उसको मैं ढूंढ कर लगाऊंगा। मेरे प्रयासों में कोई कमी नहीं थी, लेकिन दुर्भाग्य से मैं सिर्फ 16 वृक्ष इकट्ठे कर पाया था, आठ वृक्ष मुझे नहीं मिले। जिन तीर्थंकरों ने जिस वृक्ष के नीचे साधना की हो और वो वृक्ष विलुप्त हो जाएं, क्या हमें दिल में कसक होती है क्या? आप भी तय करें, हर तीर्थंकर जिस वृक्ष के नीचे बैठे थे, वो वृक्ष मैं बोऊंगा और मेरी मां के नाम वो पेड़ बोऊंगा। 

तीसरा संकल्प- स्वच्छता का मिशन। स्वच्छता में भी शूक्ष्म अहिंसा है, हिंसा से मुक्ति है। हमारी हर गली, हर मोहल्ला, हर शहर स्वच्छ होना चाहिए, हर व्यक्ति को उसमें योगदान करना चाहिए, नहीं करोगे? चौथा संकल्प- वोकल फॉर लोकल। एक काम करिए, खास करके मेरे युवा, नौजवान, दोस्त, बेटियां, अपने घर में सुबह उठने से लेकर के रात को सोने तक जो चीजें उपयोग करते होंगे ब्रश, कंघी, जो भी, जरा लिस्ट बनाइए कितनी चीजें विदेशी हैं। आप स्वयं चौंक जाएंगे, कि कैसी-कैसी चीजें आपकी जिंदगी में घुस गई है और फिर तय करिए, कि इस वीक में तीन कम करूंगा, अगले वीक में पांच कम करूंगा और फिर धीरे-धीरे हर दिन नौ कम करूंगा और एक-एक कम करता जाऊंगा, एक एक नवकार मंत्र बोलता जाऊंगा।


जब मैं वोकल फॉर लोकल कहता हूं। जो सामान बना है भारत में, जो बिके भारत में भी और दुनिया भर में। हमें Local को Global बनाना है। जिस सामान को बनाने में किसी भारतीय के पसीने की खुशबू हो, जिस सामान में भारत की मिट्टी की महक हो, हमें उसे खरीदना है और दूसरों को भी प्रेरित करना है। 

पांचवा संकल्प- देश दर्शन। आप दुनिया घूमिए, लेकिन, पहले भारत जानें, अपना भारत जानें। हमारा हर राज्य, हर संस्कृति, हर कोना, हर परंपरा अद्भुत है, अनमोल है, इसे देखना चाहिए और हम नहीं देखेंगे और कहेंगे कि दुनिया देखने के लिए आए तो क्यों आएगी भई। अब घर में अपने बच्चों को महात्मय नहीं देंगे, तो मोहल्ले में कौन देगा। 

छठा संकल्प- नैचुरल फार्मिंग को अपनाना। जैन धर्म में कहा गया है- जीवो जीवस्स नो हन्ता - "एक जीव को दूसरे जीव का संहारक नहीं बनना चाहिए।" हमें धरती माँ को केमिकल्स से मुक्त करना है। किसानों के साथ खड़ा होना है। प्राकृतिक खेती के मंत्र को गांव-गांव लेकर जाना है। 

सातवां संकल्प- हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना। खानपान में भारतीय परंपरा की वापसी होनी चाहिए। मिलेट्स श्रीअन्न ज्यादा से ज्यादा थालियों में हो। और खाने में तेल 10 परसेंट कम हो ताकि मोटापा दूर रहे! और आपको तो हिसाब-किताब आता है, पैसा बचेगा काम बढ़ेगा।

जैन परंपरा कहती है – ‘तपेणं तणु मंसं होइ।’ तप और संयम से शरीर स्वस्थ और मन शांत होता है। और इसका एक बड़ा माध्यम है- योग और खेल कूद। इसलिए आठवां संकल्प है- योग और खेल को जीवन में लाना। घर हो या दफ्तर, स्कूल हो या पार्क, हमें खेलना और योग करना जीवन का हिस्सा बनाना है। नवां संकल्प है- गरीबों की सहायता का संकल्प। किसी का हाथ थामना,किसी की थाली भरना यही असली सेवा है।

इन नव संकल्पों से हमें नई ऊर्जा मिलेगी, ये मेरी गारंटी है। हमारी नई पीढ़ी को नई दिशा मिलेगी। और हमारे समाज में शांति, सद्भाव और करुणा बढ़ेगी। और एक बात मैं जरूर कहूंगा, इन नव संकल्पों में से एक भी मैंने मेरे भले के लिए किया है, तो मत करना। मेरी पार्टी की भलाई के लिए किया हो, तो भी मत करना। अब तो आपको कोई बंधन नहीं होना चाहिए। और सारे महाराज साहब भी मुझे सुन रहे हैं, मैं उनसे प्रार्थना करता हूं, कि मेरी ये बात आपके मुहं से निकलेगी तो ताकत बढ़ जाएगी। 

हमारे रत्नत्रय, दशलक्षण, सोलह कारण, पर्युषण आदि महापर्व आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। वही विश्व नवकार महामंत्र, ये दिवस विश्व में निरंतर सुख, शांति और समृद्धि बढ़ाएगा, मेरा हमारे आचार्यों भगवंतों पर पूरा भरोसा है और इसलिए आप पर भी भरोसा है। आज मुझे खुशी है, जो खुशी मैं व्यक्त करना चाहता हूं, क्योंकि मैं इन बातों से पहले भी जुड़ा हुआ हूं। मेरी बहुत खुशी है, कि चारों फिरके इस आयोजन में एक साथ जुटे हैं। यह स्टैंडिंग ओवेशन मोदी के लिए नहीं है, ये उन चारों फिरकों के सभी महापुरुषों के चरणों में समर्पित करता हूं। ये आयोजन, ये आयोजन हमारी प्रेरणा, हमारी एकता, हमारी एकजुटता और एकता का सामर्थ्य की अनुभूति और एकता की पहचान बना है। हमें देश में एकता का संदेश इसी तरह लेकर जाना है। जो कोई भी भारत माता की जय बोलता है, उसको हमें जोड़ना है। ये विकसित भारत के निर्माण की ऊर्जा है, उसकी नींव को मजबूत करने वाला है। 

आज हम सौभाग्यशाली हैं, कि देश में अनेक स्थानों पर हमें गुरू भगवंतों का भी आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है। मैं इस ग्लोबल इवेंट के आयोजन के लिए समस्त जैन परिवार को नमन करता हूं। आज पूरे देश में, विदेश में जो हमारे आचार्य भगवंत, मारा साहेब, मुनि महाराज, श्रावक-श्राविका जुटे हैं, मैं उन्हें भी श्रद्धापूर्वक प्रणाम करता हूं। और मैं विशेष रूप से JITO को भी इस आयोजन के लिए बधाई देता हूं। नवकार मंत्र के लिए जितनी ताली बजी, उससे ज्यादा JITO  के लिए बज रही है। जीतो Apex के चेयरमैन पृथ्वीराज कोठारी, प्रेसीडेंट विजय भंडारी, गुजरात के गृहमंत्री हर्ष संघवी तथा जीतो के अन्य पदाधिकारीयों और देश-दुनिया के कोने-कोने से जुड़े महानुभाव, आप सभी को इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए  शुभकामनाएं दी।

कार्यक्रम की शुरुआत जीतो के चेयरमैन पृथ्वीराज कोठारी के स्वागत भाषण से हुई।इस अवसर पर नवकार मंत्र का पिरामिड व फ्रेम प्रदीप राठौड़,गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी,मोतीलाल ओसवाल, ललित डांगी ने भेंट की।



टिप्पणियाँ

  1. Bahut hi sundar coverage aur aitihaasik Jain Dharma ki vyakhya Narendra Modiji ke mukh se

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  2. खुब खुब अनुमोदना पुरे विश्व मे नवकार मंत्र का जाप होने से विश्व मे शांती होगी विक्रम बी राठोड

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