जीवदया के मसीहा थे मेरे गुरुदेव ऋषभचंद्र सूरी मुनि रजतचंद्र विजयजी

परोपकार सम्राट की 5 वी पुण्यतिथि सामायिक दिवस के रूप में मनाई


झाबुआ :-
स्थानीय बावन जिनालय श्री राजेन्द्र सूरी पौषधशाला भवन में श्री गुरुदेव को समर्पण चातुर्मास के अंतर्गत परम पूज्य परोपकार सम्राट, जीवदया के मसीहा आचार्य श्री ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी म.सा.की पाचवी पुण्यतिथि पर सामुहिक सामायिक का मंगलकारी आयोजन रखा गया। 

मालवरत्न मुनि श्री रजतचंद्र विजयजी म.सा. व मुनिराज श्री जीतचन्द्र विजयजी म.सा की निश्रा में आयोजित इस कार्यक्रम में धर्मसभा का प्रारंभ गुरुवंदन से हुआ। मुनिश्री ने मंगल चरण किया। सूरि ऋषभ गुरु इक्कीसा का सामुहिक मंगल पाठ के बाद उनके चित्र के समक्ष सभी सामायिक आराधकों ने मिलकर दीप प्रज्वलन व माल्यार्पण किया ।   

 मुनिश्री रजतचंद्र विजयजी ने प्रभु प्रार्थना कराईं एवं सामायिक महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सामायिक एक ध्यान प्रक्रिया है । सामायिक में अंतर की दुनिया में प्रवेश किया जाता है। प्रभुवीर ने अनेक उपासना बताई उन सभी का समावेश सामायिक साधना में हो जाता है। एक सामायिक द्वारा साधु भगवंत श्री आराधना का लाभ प्राप्त होता है । आचार्य पद पर विराजित भी नमो लोए सव्वसाहुणं पद बोलते हैं। सामायिक जैन धर्म की पहचान है, सार्थवाह व पतवार भी है सामायिक।उन्होंने कहा कि सामायिक जीवन का सार है। 

धर्मसभा में उन्होंने परोपकार सम्राट आचार्य श्री ऋषभचन्द्र सुरीजी की जीवदया का प्रसंग सुनाया । गुरुदेव से मिलने पहुंचे विश्व हिंदू परिषद के अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष  हुक्मीचंदजी साखला ने भी आचार्य श्री की जीवदया का वर्णन किया । कत्लखाने से हजारों गायों को छुड़ाने में उनके सराहानीय योगदान का स्मरण किया। मुनिश्री एवं सकल श्री संघ एवं चातुर्मास समिति ने आचार्य श्री के चरणो में श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर चातुर्मास समिति की ओर से श्री संघ को साधुजी - साध्वीजी एवं आराधना में उपयोग हेतु 4 पाट अर्पित किए गए। 

अंत में गुरु गौतम स्वामीजी,श्री राजेंद्रसूरीजी, श्री ऋषभचंद्र सूरीजी की आरती की गई। प्रभावना का लाभ मनोज आशुलालजी गिरिया मेहता पुणे ने लिया। दीपावली के तीन दिवसीय कार्यक्रम की उद्धोषणा की गई।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्रमण संघीय साधु साध्वियों की चातुर्मास सूची वर्ष 2024

पर्युषण महापर्व के प्रथम पांच कर्तव्य।

तपोवन विद्यालय की हिमांशी दुग्गर प्रथम