सम्यक् ज्ञान और सम्यक् दृष्टि से भवसागर होगा पार: आचार्यश्री महाश्रमण

आचार्यश्री ने मिथ्यादृष्टि को छोड़ने की दी पावन प्रेरणा

भाजपा के गुजरात प्रदेश संगठनमंत्री ने किए आचार्यश्री के दर्शन


भीलवाड़ा ( तेरापंथ नगर ) :-
वर्ष 2021 का चतुर्मास कर रहे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी द्वारा जैन आगमों के माध्यम से नियमित रूप से होने वाले प्रवचन से जन-जन लाभान्वित हो रहा है।चातुर्मास की संपन्नता में भले ही अब चंद दिन ही शेष रह गए हैं,उनके मंगल प्रवचन श्रवण की ललक श्रद्धालुओं में नूतन ही दिखाई दे रही है। 

शनिवार को महाश्रमण सभागार में आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने कषायमुक्त जीवन जीने के लिए श्रद्धालुओं को उत्प्रेरित किया। तत्पश्चात् आचार्यश्री ने जैन आगम ‘सूयगडो’ के माध्यम से प्रावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि मिथ्या दृष्टि वाला इस संसार से पार नहीं पा सकता। जैसे कोई जन्मांध नौका में बैठ भी जाए तो वह बिना देखे तो नौका का संचालन अथवा उस जलराशि का किनारा देखे बिना पार कैसे पा सकता है। मिथ्या दृष्टिवाले जन्मांध की भांति ही होते हैं। इसलिए आदमी के जीवन में सम्यक् दृष्टि और सम्यक् ज्ञान महत्त्वपूर्ण होता है। सम्यक् ज्ञान के बिना संसार सागर से पार नहीं पाया जा सकता। आदमी को सम्यक् ज्ञान और सम्यक् दृष्टि की प्राप्ति गुरु से होती है। अज्ञानता अंधकार का रूप है। आदमी को अंधकार से ज्ञान की ओर बढ़ने के लिए गुरु आवश्यक होता है, जो उसे सम्यक् ज्ञान और सम्यक् दृष्टि रूपी व नेत्र प्रदान करता है, जिसके माध्यम से आदमी भवसागर को पार कर सकता है। आदमी को गुरु से सम्यक् दृष्टि और सम्यक् ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। 

आचार्यश्री का मंगल प्रवचन श्रवण करने के बाद गुजरात भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री  रत्नाकरजी ने आचार्यश्री के दर्शन कर अपनी भावाभिव्यक्ति दी तो आचार्यश्री ने उन्हें राजनीति में भी नैतिकता बनाए रखने और पवित्र सेवा करते रहने का पावन आशीर्वाद प्रदान किया। मुनि स्वस्तिककुमारजी द्वारा लिखित पुस्तक ‘आत्म विश्लेषण के सूत्र’ को जैन विश्वभारती के अध्यक्ष मनोज लुणिया व मुख्य न्यासी अमरचंद लूंकड़ ने श्रीचरणों में लोकार्पित की। तत्पश्चात् भीलवाड़ा महिला मण्डल की सदस्याएं स्थानीय महिला मण्डल की अध्यक्षा मीना बाबेल के नेतृत्व में पूज्य सन्निधि में उपस्थित हुईं।बाबेल ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी तो आचार्यश्री ने स्थानीय महिला मण्डल पर आशीषवृष्टि करते हुए कहा कि भीलवाड़ा महिला मण्डल को चातुर्मास का अवसर प्राप्त हो रहा है। चातुर्मास में अनेक गतिविधियों से जुड़ने का मौका मिल सकता है। महिला मण्डल की सदस्याएं ध्यान दें कि उनके परिवार के सभी सदस्यों में चाहे वह बड़े हों, युवा हों, महिलाएं अथवा कन्याएं हों या बच्चें हों सभी में धर्म के अच्छे संस्कार रहने चाहिए। परिवार नशामुक्त रहे। घर में धार्मिक माहौल रहे। शनिवार की सामायिक करने और कराने का प्रयास हो। साध्वियों की सेवा तथा ज्ञानशाला प्रशिक्षिका के रूप में अपनी सेवाएं देती रहें। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल के द्वारा जो तत्त्वज्ञान आदि जो भी उपक्रम संचालित हैं, उनके माध्यम से भी ज्ञानवर्धन का प्रयास किया जा सकता है।मण्डल में खूब धार्मिकता का विकास होता रहे। 


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