आकांक्षाओं को जीतने वाला इसी जन्म में मुक्त - आचार्य महाश्रमण

शरद चन्द्र सम निर्मल बनने की गुरूदेव ने दी प्रेरणा

कल से शांतिदूत का भीलवाड़ा शहर में परिभ्रमण


भीलवाड़ा (तेरापंथ नगर) :-
शरद चंद्र सम श्वेत, परम शीतलता के धारक शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी का भीलवाड़ा चातुर्मास में अब एकमास से भी कम समय अवशिष्ट रहा है। तेरापंथ नगर से प्रसारित होने वाली गुरूदेव की मंगल देशना श्रद्धालुओं के कर्म मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर रही है। 

गुरुवार , 21 अक्टूबर से आचार्य प्रवर का भीलवाड़ा शहर भ्रमण का क्रम चालू हो रहा है। जिसके अंतर्गत शहर की कई कॉलोनियों आदि में पूज्यप्रवर का पदार्पण होगा। प्रातः के समय आचार्यश्री तेरापंथ नगर से प्रस्थान करेंगे एवं शहर में भ्रमण कराकर पुनः मध्यान्ह में चातुर्मासिक स्थल पर पधारने का कार्यक्रम रहेगा। दो दिवसीय भ्रमण के तहत गुरूदेव तेरापंथ भवन नागौरी गार्डन, अणुव्रत साधना सदन स्कूल शास्त्री नगर,  महाप्रज्ञ सेवा संस्थान बापूनगर, महाप्रज्ञ भवन आजाद नगर आदि क्षेत्रों में पधारेंगे।

मुख्य प्रवचन का समय 21 व 22 अक्टूबर को सायं 07:15 बजे अर्हत वंदना के पश्चात रहेगा।आचार्य श्री ने आगम वाणी आधारित धर्म देशना में बताया कि - जीवन आयुष्य कर्म के योग से प्राप्त होता है। सिद्ध जीव के आयुष्य  कर्म नहीं होने से जीवन भी नहीं होता है। व्यक्ति के जीवन  का  परम लक्ष्य होना चाहिए कि जीवन जीते हुए सिद्धत्व को प्राप्त हो जाना। विधान और आचरण यदि उन्नत है तो एक प्रकार से इसी जीवन में मोक्ष है। ज्ञान, पद आदि का अहंकार न करते हुए जो शारीरिक, वाचिक, मानसिक विकारों से मुक्त रहता है, पदार्थो के प्रति आंकाक्षा, लालसा को जो जीत लेता ऐसे व्यक्ति इसी जीवन में मुक्ति को प्राप्त कर सकते है।


उन्होंने कहा कि अतीत, अनागत और वर्तमान के संदर्भ में जो चिंता मुक्त रहता है, वह जीवन मुक्त होता है और ऐसे व्यक्ति की साधना उच्च कोटि की हो जाती है। समता, संतोष की साधना में व्यक्ति आगे बढ़ता रहे।आचार्य श्री ने शारदीय पूर्णिमा के शुभ अवसर पर प्रेरणास्वर में फरमाया कि आज का दिवस शुभ दिवस है। शरद पूर्णिमा की श्वेतता सबके लिए उदाहरीय है कि व्यक्ति चंद्रमा की तरह निर्मल बने। 


उन्होंने कहा कि व्यक्ति के जीवन में संयम, अहिंसा, ईमानदारी, सरलता और कषाय मंदता की साधना का प्रयास होगा तो शरद श्वेतता का एक आयाम प्राप्त हो सकता है। शरद चंद्र सम श्वेत अर्हत भगवान के लिए कहा गया है पर हम भी उस गति में बढ़ने का प्रयास करे यह काम्य है। कार्यक्रम में  विनिता भानावत, आदित्य गोखरू ने गीतिका की प्रस्तुति दी।

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