गुरु अंधकार को हटाते हे एवं हमारे जीवन मे प्रकाश लाते हे :- मुनि रजतचन्द्र विजय

गुरु गुणानुवाद में याद किया गच्छाधिपति ऋषभचन्द्र सूरीश्वरजी

 

झाबुआ :- श्री ऋषभदेव बावन जिनालय मे चातुर्मास हेतू बिराजमान  पूज्य मुनिराज श्री रजतचन्द्र विजयजी म.सा.और पूज्य जीतचन्द्र विजयजी म.सा.की पावन निश्रा मे रविवार को परोपकार सम्राट परम पूज्य गच्छाधिपति,मोहनखेड़ा तीरत विकास प्रेरक आचार्य श्री ऋषभचन्द्र सूरीश्वरजी म.सा.की पावन स्मृति मे आयोजित पांच  दिवसीय पुण्योत्सव का गुणानुवाद सभा के साथ समापन हुआ।

गुणानुवाद सभा में मुनि श्री रजतचन्द्र विजयजी म.सा.ने कहा की भगवान महावीर के शासन में बहुत बड़े बड़े धर्म प्रभावक आचार्य एवं गुरु भगवंत हुए हे ,जिन्होने जिनशासन की ध्वज पताका को सम्पूर्ण विश्व मे फ़हराया हे. जैन दर्शन मे गुरु का बहुत महत्व हे. जितने भी धर्म हे उन सब मे गुरु की महत्वता बतायी गयी हे। गुरु को कई उपमाएं दी गयी हे। गुरु दीपक के समान होते हे जो अंधकार को हटाते हे एवं हमारे जीवन मे प्रकाश लाते हे. गुरु को सूर्य के समान तेजस्वी माना गया हे तथा वे नांव के समान हे जो भवसागर से पार कराते हे. ऐसे ही गुरु थे  ऋषभचन्द्र सूरिश्वरजी। वे विश्वपूज्य श्रीमद्विजय राजेंद्र सूरीश्वरजी म.सा.की पाट परंपरा के 8 वें आचार्य थे। पूज्य आचार्य श्री को इसीलिए परोपकार सम्राट की उपाधि दी गयी क्योंकि वे हर व्यक्ति के दुख को तत्परता के साथ दूर करते थे।  पूज्य गुरुदेव ऐसी सीढ़ी के समान थे जिस पर एक बार व्यक्ति चढ़े तो ऊंचाइयों  तक पहुंच जाने मे सक्षम हो जाता था | 

उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के समय मोहनखेडा तीर्थ मे कोविड अस्पताल शुरू करवाकर 250 से ज्यादा लोगो की जान बचाई । उन्होंने गुरुदेव के बारे में विस्तार से बताया। कार्यक्रम की शुरुवात ऋषभचंद्र सूरी को वंदना से  हुई ।इसके बाद उनकी  तस्वीर के समक्ष अक्षत श्रीफल से गहूंली और माल्यार्पण श्रीमती श्यामूबेन नवीन संतोष  मुकेश रुनवाल परिवार ने की। स्फटिक रत्न चरण पादुका पर गुरु पूजन का लाभ हेमेन्द्र सूरी महिला मंडल झाबुआ ने लिया। कार्यक्रम के अतिथि संजय मेहता,यशवंत भंडारी,प्रदीप संघवी,प्रवीण रुनवाल,मनोहर भंडारी,मनोहर छाजेड, तेज प्रकाश कोठारी ,डॉ संतोष प्रधान,कमलेश कोठारी,पंकज कोठारी संतोष रूनवाल,धर्मचंद्र मेहता अन्तिम जैन आदि ने तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्जवलित किया | 

इस अवसर पर धर्मचंद मेहता ने कहा की पूज्य आचार्य श्री गुणों की खान थे। उनके रग रग मे जीवों के प्रति करुणा थी।उत्तम लोढ़ा ने कहा की आचार्य श्री आज हमारे बीच मे नही हे किंतु उनकी ऊर्जा हमे अभी भी प्राप्त हो रही हे | मनोहर भंडारी ने कहा की आचार्य श्री ने मोहनखेडा तीर्थ को ऊंचाई तक पहुंचाया। यशवंत भंडारी ने उनको मानवता का मसीहा बताया । संजय मेहता ने झाबुआ संघ मे उनके योगदान की चर्चा की।डॉ  प्रदीप संघवी ने शिक्षा क्षेत्र में उनके योगदान को याद किया। योगेन्द्र नाहर , मनोज मेहता , अभय धारीवाल ,  सुभाषचंद्र कोठारी, अशोक काटारिया प्रवीण रुनवाल , पंकज कोठारी , मनोहर मोदी , मनोहर छाजेड तेज प्रकाश कोठारी के अलावा उषा बाठिया , मधु काठी , मोना रुनवाल,किरण मेहता ,बरखा जैन ,अंकिता ,तमन्ना रुनवाल आदि ने गीतों  के माध्यम से उन्हें याद किया।अंत मे पूज्य गौतम स्वामीजी , गुरुदेव राजेंद्र सूरीश्वरजी  और आचार्य श्री ऋषभचंद्र  सूरीश्वरजी की आरती उतारी गयी

चातुर्मास समिति द्वारा लाभार्थी परिवारों को सम्मानित किया गया। संचालन संजय काठी और आभार समिती  अध्यक्ष सुभाषचन्द्र कोठारी ने व्यक्त किया। 

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