स्वाद विजय का अनुपम उपक्रम हैं - आयंबिल तप अनुष्ठान :- मुनि अर्हंत कुमार

स्वाद विजय का अनुपम उपक्रम हैं - आयंबिल तप अनुष्ठान :- मुनि अर्हंत कुमार

तेरापंथ महिला मंडल का आयोजन 

 
झाबुआ :-
समुदानिक कर्म निर्जरा का अनूठा आयोजन हैं आयंबिल तप। आयंबिल तप से आधी व्याधि का शमन होता हैं,आंतरिक ऊर्जा  का प्रस्फोटन होता हैं। भीतरी शक्ति का जागरण होता हैं। तपस्या जीवन का श्रृंगार होती हैं। उपरोक्त सुविचार आचार्य श्री महाश्रमण जी के शिष्य मुनि श्री अर्हंत कुमार ने तेरापंथ महिला मंडल के बैनर तले सामूहिक आयंबिल तप अनुष्ठान में कहे। 

उन्होंने आगे कहा तप में रूखा सूखा, अलुना एक ही धान को दिन में एक बार खाने वाले व्यक्ति अपनी रसनेइंद्रिय पर कंट्रोल करता हैं। साथ ही अनेक ऐसी भयंकर व्याधियों से तथा ऐसे शुद्र उपद्रवों से छुटकारा प्राप्त कर सकता हैं। तप वह ज्वाला हैं जिसमे कर्म रूपी ईधन जलकर भस्म हो जाता हैं आत्मा पवित्र बन जाती हैं । ऐसे अनुष्ठानों के द्वारा व्यक्ति अपनी आत्मा का उत्थान करता हैं। मुनि श्री भरत कुमार ने सभी को प्रेरणा 
दी की ज्यादा से ज्यादा लोग इसमें जुड़े और कहा की तप से बनता है जीवन कुंदन,तप से बनता है जीवन निर्मल। 
मुनि श्री जयदीप कुमार जी ने गीतिका के माध्यम से आयम्बिल तप के विशेषता के बारे में बताया। मुनि श्री के प्रेरणा से कुल 75 आयम्बिल हुए
यह जानकारी तेरापंथ महिला मंडल मंत्री दीपिका फुलफगर ने दी। 

अशोक जीरावला / मदुरै  

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