नवकार योग से जोड़ता है भोग को तोड़ता है :- रजतचंद्र विजयजी
शास्त्रों में आचार्य तीर्थंकर तुल्य है
झाबुआ (मध्यप्रदेश) :- गुरु समर्पण चातुर्मास में नवकार आराधना के चौथे दिन आचार्य भगवंत श्री ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी महाराजा साहेब के शिष्य प्रवचन प्रभावक मुनिराज श्री रजतचंद्र विजयजी म.सा. ने कहा नवकार के समान कोइ मंत्र नहीं है। वितराग के समान कोई देव नहीं है । शत्रुंजय के समान कोई तीर्थ नहीं है। नवकार को मंत्राधिराज कहा जाता है क्योंकि संसार के सभी मंत्र इच्छा की पूर्ति करते है, नवकार मंत्र इच्छा से रहित बनाता है, और धर्म ग्रंथ कहते हैं जहां इच्छाऐ खत्म हो जाती है वहां मोक्ष प्रारंभ हो जाता है। वो योगी पुरुष बन जाता है।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि नवकार योग से जोड़ता है भोग को तोड़ता है बस जीवन उपयोग से जीना आना चाहिए। आचार्य पद पर प्रकाश डालते हुए मुनि श्री ने कहा शास्त्रों में आचार्य को तीर्थंकर के तुल्य कहा गया है। छ: काय के जीवो की रक्षा करने वाले आचार्य महान माने गए हैं। मुनिश्री ने विजय हीरसूरीजी, विजय सोमसुंदर सूरीजी एवं दादा गुरुदेव विजय श्री राजेंद्र सूरीजी म.सा.का त्याग सेवा भक्ति स्मरण कराया । दादा गुरुदेव श्री राजेंद्र सूरीजी ने राख का अभिग्रह करके तेला प्रारंभ किया। उनका पारणा आठ उपवास के बाद हुआ । जिनशासन में आचार्य को राजा व उपाध्याय को युवराज माना गया।
संघ के कार्य व गच्छ की व्यवस्था गच्छ नायक करते हैं। संतों का पठन पाठन उपाध्याय वाचक करते हैं। आचार्य के 36 गुण व पीला वर्ण होता है। उपाध्याय के 25 गुण व हरा वर्ण होता है। मुनिश्री जीतचंद्र विजयजी ने मंगलपाठ कराया। धर्मसभा में तपोत्सव के पारणों की स्वीकृति संजयजी नगीन काठी को मिली। जय जिनेंद्र व 26 अगस्त के स्वामीवात्सल्य का लाभ सुभाष कुमार कोठारी को मिला। 25 अगस्त को तप अभिनंदन पश्चात स्वामीवात्सल्य का लाभ अर्पित कैलाशचंद्र कांकरेचा व शाम के स्वामीवात्सल्य का लाभ समस्त लब्धितप के तपस्वी परिवार को प्राप्त हुआ। 24 अगस्त को श्री गौतम स्वामी महापूजन आयोजन होगा जिसका लाभ अनीता सतीश व सोहन कोठारी परिवार ने लिया है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें