गुरु के उपकार जीवन के अंतिम पल तक भी नहीं भूलाये जा सकते हैं :- मुनि रजतचंद्र विजय

ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी के आत्मश्रेयार्थ कार्यक्रम

झाबुआ :- परम पूज्य परोपकार सम्राट आचार्य देव श्री ऋषभचंद्र सूरीश्व़जी म.सा. के आत्मश्रेयार्थे पंचान्हिका महोत्सव झाबुआ श्रीसंघ व गुरु समर्पण चातुर्मास के अंतर्गत चल रहा है। पुण्योत्सव के तीसरे दिन पूज्य मुनिराज श्री रजतचंद्र विजयजी म.सा. ने मंगलाचरण करते हुए संबोधित किया कि गुरु के उपकार जीवन के अंतिम पल तक भी नहीं भूलाये जा सकते हैं। यह एसे गुरु हैं जिन्होंने मोहनखेड़ा तीर्थ को बड़ी ऊचाई दी थी एवं विश्वभर में सभी का ध्यान आकर्षित किया। जन जन का कल्याण करने की सुंदर भावना भाने वाले गुरुदेव सदैव स्मरण में रहेंगे।

मुनिराज श्री रजतचंद विजयजी म.सा. ने छठे आचार्य श्री हेमेंद्र सूरीश्वरजी म.सा. की 11 वीं पुण्यतिथि पर उनको नमन करते हुए कहा उनके जैसे सरल व्यक्तित्व मिलन मुश्किल है। उनको विनयांजली अर्पित की। सूरत से पधारे धरणेन्द्र भाई ने कहा गुरुदेव ऋषभचंद्र सूरीजी ऐसे महान संत हुए जिन्होंने सभी के दुःख को निवारण करने का मंगल कार्य किया। श्री सिद्धचक्र महापूजन का लाभ कालिदेवी झाबुआ निवासी ओछबलालजी, उत्तमजी जैन ने लिया। अंगरचना का लाभ राकेश कुमार ऋषभ महेता को मिला।

संजय काठी परिवार की ओर से परोपकार सम्राट की गहूंली की गई। स्यामुबाई व मुकेश रुनवाल परिवार ने पुष्पहार अर्पित किया। गौतम स्वामीजी आरती का लाभ सूरजना बेन नारायणगढ़ वाले ने लिया। गुरु राजेंद्र आरती धरणेन्द्र जैन ने की।  ऋषभ सूरिजी की आरती सुभाष कोठारी को मिली,साथ ही पूज्य श्री की स्मृति में अनेको तपस्वी ने आयंबिल का तप किया जिसका लाभ कमलाबेन बाबूलाल मुथा ने लिया। संचालन संजय कांठी ने किया।

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