क्रोध से कमठ को दुर्गति तथा शांति व समभाव से पार्श्वनाथ को मोक्ष की प्राप्ति हुई - नित्यानंद सूरि

पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक व संक्रांति महोत्सव संपन्न


जैतपुरा :- 
चौबीस तीर्थंकरों में से सबसे अधिक आदेय नामकर्म पुण्य के कारण श्री पार्श्वनाथ भगवान का सर्वत्र चमत्कार तथा प्रभाव दिखाई देता है। देवयोनि में उनके जीव ने पांच सो कल्याणकों की स्वयं आराधना की थी साथ ही असंख्य देव देवियों को भी प्रेरित करके जिनेश्वर परमात्मा की भक्ति में जोड़ा था । जिसकारण उन्होंने उत्कृष्ट पुण्य का बंध किया । 

विजय वल्लभ साधना केंद्र , जैतपुरा तीर्थ में श्री पार्श्वनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक तथा संक्रान्ति समारोह में गच्छाधिपति जैनाचार्य श्री मद् विजय नित्यानंद सूरीश्वरजी म.सा.ने कहा कि हमें भी तप , जप , दान धर्म आदि कार्यों में उत्साहपूर्वक सभी को जोड़ना चाहिए । किसी से शत्रुता नही रखनी चाहिए क्योंकि वैर विद्वेष की गांठ कई जन्मों तक दुःख देती है । 

आचार्य श्री विजय जयानंद सूरीश्वरजी जी म.सा. ने धर्मसभा में कहा कि स्वभाव में शांति बनाए रखने से कोई बीमारी नही आएगी तथा सहनशीलता रखने से हर प्रतिकूल स्थिति में भी प्रसन्नता बनी रहेगी। गुरु तथा प्रभु से नाता जोड़े रखो जिससे जन्मों जन्म के दुःख मिट जाएंगे । उनके श्री मुख से " जे तू न फड़दा साडी बांह असा रूल जाना सी......" भजन को सुनकर सभी भाव विभोर हो गए ।

आचार्य श्री विजय चिदानंद सूरीश्वरजी महाराज ने फरमाया कि जहां दुखों का अंत नही उसका नाम संसार है और जहां सुखों का अंत नही उसका नाम मोक्ष है । उन्होंने निर्वाण तथा मोक्ष के अंतर को भी समझाया । उन्होंने उपस्थित जनसमूह को कहा कि नित्यानंद सूरि जी का वो सच्चा भक्त है जो हमेशा चेहरे पर मुस्कान रखता है । गुरु से यदि हमने मुस्कुराना नही सीखा तो फिर इतने वर्षों में क्या पाया । 


कार्यक्रम का सफल संचालन मुनि श्री मोक्षानंद विजयजी म.सा.ने करते हुए प्रभु पार्श्व , गुरु आत्म , गुरु वल्लभ तथा गच्छाधिपति गुरु नित्यानंद सूरि जी के जीवन संबंधी कई प्रेरक तथ्य सुनाए । उन्होंने कहा कि पिछले नो दशकों से संक्रान्ति मनाने की परम्परा चल रही है। सती स्त्री के लिए एक पति , पुत्र के लिए एक पिता , शिष्य के लिए एक गुरु तथा भक्त के लिए एक ही भगवान होता है । तंत्र , मंत्र या खुद के नाम अथवा पद प्रतिष्ठा के लिए जो लोग इधर उधर भागते हैं वह न घर के रहते हैं न घाट के । एकलव्य के गुरु ने भले उसे दुत्कार कर निकाल दिया किन्तु शिष्य ने गुरु को नही छोड़ा । उपकारी गुरु के प्रति हर स्थिति में समर्पित रहना ही शिष्यों तथा भक्तों की सिद्धि का कारण बनता है ।

संक्रान्ति सभा के अवसर पर सबसे पहले गुरुवंदन किया गया । गच्छाधिपति जी के मंगलाचरण से धर्मसभा का प्रारंभ हुआ । लुधियाना जैन संक्रान्ति मण्डल के संस्थापक अध्यक्ष प्रवीण जैन दुग्गड़ व भरत मेहता ठाणा वालों ने संक्रान्ति भजन प्रस्तुत किये। 

आशु कवि  प्रदीप जैन सादड़ी , साहित्यकार राघव प्रसाद पांडेय रानी स्टेशन , श्रीमती शिल्पा जैन आगरा , श्री आत्म वल्लभ जैन महिला मंडल रोहिणी दिल्ली की सदस्याओं ने अपनी भक्तिभरी रचनाएं कविता व भजनों द्वारा प्रस्तुत की । 

बीकानेर के सुप्रसिद्ध भजन गायक  पिन्टू स्वामी तथा महेंद्र कोचर की सुरीली आवाज ने ऐसा जादू बिखेरा कि सारी सभी स्वतः ही उठकर भक्ति में झूमने नाचने लगी । 


संक्रान्ति के लाभार्थी बीकानेर तथा  गंगानगर निवासी श्रीमती भंवरी देवी मानिकचन्द कोचर परिवार , जैतपुरा तीर्थ निर्माण के मुख्य कॉन्सट्रक्टर  मांगीलाल सुथार का बहुमान श्री आत्म वल्लभ समुद्र फाउंडेशन ट्रस्ट के पदाधिकारियों द्वारा किया गया । 

ट्रस्ट के अध्यक्ष  घीसूलाल सुराणा ने कहा कि कोरोना काल के कारण इस तीर्थ पर गच्छाधिपति सहित विशाल साधु साध्वीवृन्द को लगातार दूसरा चौमासा करवाने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है । महासचिव मानेक मेहता ने कहा कि गत वर्ष स्टेचू ऑफ पीस गुरु वल्लभ की भव्य मूर्ति का ई अनावरण देश के प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के करकमलों से हुआ जो सारे जैन शासन को गौरवान्वित करने वाला बना । अब स्थान का हमें ओर अधिक विकास करना है इसके लिए सभी का सहयोग अपेक्षित है ।


मुनि मोक्षानंद विजय जी म. ने बताया कि गच्छाधिपति गुरुदेव प्रतिदिन सुबह तथा आचार्य श्री चिदानंद जी शाम को साधु साध्वीवृन्द को आगमों की वाचना प्रदान कर रहे हैं । अनेक साधु साध्वी जी के वर्धमान तप की बड़ी बड़ी ओलियाँ , वर्षीतप की तपस्या , बीस स्थानक तप की ओलियाँ चल रहीं हैं । समुदाय के सबसे छोटे नवदीक्षित मुनि श्री चैत्यवल्लभ विजय जी म. अठाई तप में आगे बढ़ रहे हैं । सभी ने मुनियों के ज्ञान ध्यान तप जप की खूब खूब अनुमोदना की ।

संक्रान्ति स्तोत्र *मुनि श्री विद्यानंद विजय जी म.सा. ने श्रवण करवाये उसके बाद गुरुदेव ने संक्रान्ति नाम का प्रकाश किया ।


पूरा कार्यक्रम का वल्लभ वाटिका , मेरी लगी गुरु संग प्रीत तथा जयानंद वाणी के सोशल मीडिया फेस बुक पेज पर सीधा प्रसारण किया गया ।


इस अवसर पर देश के विभिन्न प्रान्तों से तो गुरु भक्त पहुंचे ही थे पर साथ ही लाभार्थी परिवार के सदस्य जो अमेरिका तथा भूटान देशों में रहते हैं वह भी वहां से विशेष रुप से पहुंचे ।


कार्यक्रम के दौरान अनेक भक्तों ने जीव दया में धन राशि देने की घोषणा की । गुरुदेव के प्रेरणा से विजय वल्लभ गौशाला खोड गांव को यह राशि समर्पित की गई ।


प्रातः जिनमंदिर में श्री पार्श्वनाथ भगवान के निर्वाण कल्याणक संबंधी 108 अभिषेक भी करवाये गए ।


       

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