वीरों की गाथा को जन-जन तक पहूंचाने के हो प्रयास

 वीरों की गाथा को जन-जन तक पहुँचाने के हो प्रयास

आजादी पूर्वजों के संघर्ष और बलिदान की देन: राज्यपाल 
राज्यपाल ने सुदर्शन चक्र कोर के अमृत महोत्सव समारोह में सैनिकों का किया सम्मान

भोपाल :- राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि आजादी हमारे पूर्वजों के कड़े संघर्ष, त्याग और बलिदान के बाद मिली है। स्वतंत्रता सेनानियों का हम, जितना भी सम्मान करें, कम ही होगा। हमें सदैव उनके प्रति आभारी होना चाहिये क्योंकि जो खुशहाल जीवन आज हम जी रहे है, वह स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की बदौलत है। प्रत्येक देशवासी का परम कर्त्तव्य है कि वह सदैव देशहित में कार्य करें।

राज्यपाल  पटेल सेना के सुदर्शन चक्र कोर के द्वारा आयोजित फेलिसिटेशन ऑफ गैलेंट्री ॲवार्डस टू एक्स सर्विसमेन एन्ड सर्विंग फ्रेटरनिटी कार्यक्रम को पांचजन्य ऑडीटोरियम द्रोणाचल में संबोधित कर रहे थे।

राज्यपाल  ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव की मंशा स्वतंत्रता के वीरों के बलिदान और आजादी के मायने की जानकारी को प्रसारित करना है, ताकि जिनको इतिहास में पहचान नहीं मिल पायी, उनकी जीवन गाथा भी जन-जन तक पहूंचे। उन्होंने कहा कि इसीलिए समारोह हमारी आजादी के तीर्थ स्थलों अंडमान की सेल्यूलर जेल और पंजाब के जलियांवाला बाग जैसे स्थलों पर विशेष रूप से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें स्वाधीनता सेनानियों से आज़ादी की ऊर्जा के अमृत की प्रेरणा लेकर, हमारी संस्कृति के मौलिक गुणों और विचारों के साथ राष्ट्र निर्माण का संकल्प करना चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा है कि अमृत महोत्सव के आयोजन में देश के 130 करोड़ लोगों की भावनायें शामिल होनी चाहिये। इसलिए वर्तमान में जो लोग देश और समाज के लिये काम कर रहे हैं, उन सभी को अमृत महोत्सव के आयोजन से जुड़ना चाहिए। उन्होंने महोत्सव का आयोजन जन-भागीदारी के साथ, जन-उत्सव के रूप में किए जाने के लिए कहा है। अमृत महोत्सव के इन आयोजनों के साथ ही सेना द्वारा आज़ाद भारतीय सेना के 75 वर्षों का उत्सव मनाने की जानकारी पर, उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की।

राज्यपाल पटेल ने कहा कि भारतीय सैनिकों की देश भक्ति, साहस और पराक्रम की अनेक मिसालें हैं। आज़ादी के बाद भी 1962 में चीन से युद्ध, 1965 और 71 में पाकिस्तान से युद्ध, कारगिल वॉर और हाल ही में गलवान घाटी में चीन से हुए विवादों में सेना के तीनों अंगों ने साहस और पराक्रम के साथ, सामना किया है। युद्ध हो अथवा शांति हमारे वीर सैनिक सदैव सजग रहते हैं। युद्ध के अलावा देश में आयी प्राकृतिक आपदाओं का भी मुस्तैदी से सामना करते हैं। उन्होंने हाल ही में प्रदेश के उत्तरी भाग में आई बाढ़ के राहत और बचाव कार्यों में सेना के सहयोग की सराहना की। उन्होंने रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों और सैनिकों से कहा कि वे स्वयं को रिटायर नहीं माने, सैनिकों का जज्बा और जोशे-जूनून कभी खत्म नहीं हो सकता। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए स्वदेशी उत्पादों को अपनाने की अपील भी की।

उन्होंने कार्यक्रम में सेवानिवृत्त वीर चक्र से सम्मानित एयर वाइस मार्शल आदित्य विक्रम पेठिया, शौर्य चक्र से सम्मानित कर्नल यशवंत कुमार सिंह, नायक बद्रीलाल और सेना मेडल से सम्मानित कर्नल अरविंद निगम के साथ ही सेवारत सैनिकों, सेना मेडल से सम्मानित ब्रिगेडियर आशुतोष शुक्ला, ब्रिगेडियर अजय कुमार शर्मा, कर्नल प्रशांत संजयराव निकम, कर्नल एस.एस. खन्ना, कर्नल ए.जे. सिंह, कर्नल विजय सिंह मेहता, कर्नल मुनीष कुमार शर्मा और मेजर अजय कुमार शर्मा को सम्मानित किया।

राज्यपाल का स्वागत जनरल ऑफिसर कमांडिग 21वीं कोर लेफ्टिेनेंट जनरल धीरज सेठ ने किया। स्वागत उद्बोधन में बताया कि अमृत महोत्सव के रुप में वीरों के बलिदान के सम्मान का उत्सव मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में सेवानिवृत और सेवारत सैनिकों का अभिनंदन किया जा रहा है। यह समारोह जन-भागीदारी के साथ आयोजित किए जाएगें। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना सीमाओं पर दुश्मनों का मुकाबला करने के साथ ही प्राकृतिक आपदाओं का भी नागरिक प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिला कर सामना करती है। संयुक्त राष्ट्र संघ के शांति मिशन अभियानों में महत्वपूर्ण योगदान देती है। आभार प्रदर्शन जनरल ऑफीसर कमांडिग पश्चिम मध्यप्रदेश सब एरिया मेज़र जनरल वी.के. त्रिपाठी ने किया।

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