अपने जीवन को सार्थक बनाइये :- विद्धसागरजी
नेमावर तीर्थ पर हर्षोल्लास के साथ महामहोत्सव संपन्न
नेमावर (मध्यप्रदेश) :- प्रभु ने तो मुक्ति का वरण कर लिया हमें वे पथ दिखला गये हमें भी अपने जीवन को सार्थक बनाना है। प्रातः काल की बेला में इन्द्र-इंद्राणी सब मौजूद थे सौधर्म इन्द्र बेठे थे किसी को पता ही नही चला सौधर्म इंद्र को ज्ञात नहीं कैलाश पर्वत से प्रभु आदिनाथ भगवान को मुक्ति का लाभ मिल गया। उक्त आशय के उद्गार सिद्धोदय तीर्थ नेमावर में आचार्यश्री विद्या सागर जी महाराज ने आदर्श पंचकल्याणक महा महोत्सव एवं विश्व शांति महायज्ञ में भगवान के निर्वाण उंपरान्त धर्म सभा को संबोधित करते वक्त किये ।
1330 प्रतिमाओं की हुई नेमावर तीर्थ में प्रतिष्ठा
भारत वर्षीय दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के मुखपत्र तीर्थ के सह संपादक विजय जैन धुर्रा ने वताया कि आचार्यश्री के सान्निध्य में पिछले सात दिनों से आदर्श महा महोत्सव चल रहा था जिसमें धातु से निर्मित त्रिकाल चौबीसी के साथ ही पंच बालयति व सह्स्त्रकूट की एक हजार प्रतिमाओ को आचार्यश्री ससंघ के सान्निध्य प्रतिष्ठित किया गया।
समारोह को संबोधित करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि आज जब सौधर्म इन्द्र देखता है यहाँ कुछ भी अलशेष नहीं रहा मात्र नख और कैश का अंतिम संस्कार अग्नि कुमार देवो द्वारा कराकर के निर्वाण कल्याण पूर्ण कर दिया। प्रारभ्य से ही सभी क्रिया स्वयं सौधर्म इन्द्र कर रहे थे लेकिन अंतिम समय का पता उन्हें भी नहीं चला।
मुक्ति की फोटो नहीं ले सकते
आचार्य श्री ने कहा सब की तस्वीर आप उतार सकते है फोटो ग्राफी के द्वारा लेकिन मुक्ति जाते समय की स्थिति का कोई ज्ञान नहीं कर सकता। कौन से रास्ते से चले गये पता नहीं चला पाच सौ धनुष की काया कहा चली गई किसी को भी पता नहीं चला। चक्रवर्ती दंग रह गया। अब मेरा क्या होगा सुनते हैं कि वह रोने लगा मोक्ष मार्ग का उपदेश देने वाले चले गए अब अपने जीवन में ऐसा समागम नहीं होगा। इस नश्वर और चंचल संसार को छोड़ कर मुक्ति को प्राप्त कर लिया।
बहुत दिनों से संघ रूका है
आचार्य श्री ने कहा कि अब हमे भी चिन्ता है बहुत दिनो से संघ रूका है। अब व्यवस्थित करके आगे बढ़े। दर्शनार्थी टूट पड़ेंगे। मेहमान आयेगे तो दुकान की ओर ले जायेगे आधुनिक साधनों से इस महोत्सव को देख रहे थे वे सब भी यहाँ आयेगे हमे प्रसन्नता है रात दिन कार्य करके आप लोगों ने ताजा बना लिया यहाँ से साड़े पाँच करोड़ भव्य आत्माओ ने मुक्ति का वरण किया हमें भी शेष जीवन को सार्थक बनाना है ।
इसके वाद भगवान के निर्वाण कल्याण की महापूजा की गई व विश्व शांति महायज्ञ के मुख्य पात्रों के साथ इन्द्र इन्द्रीयो ने तीर्थंकर कुंड अरिंहत कुंड व सामान्य केवली कुंड में महा मंत्रों के साथ आहुतिया समर्पित की।
अभिषेक जैन लुहाड़िया / रामगंजमंडी
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