सनातन व जैन धर्म के बीच सेतु की भूमिका निभाते थे आचार्य ऋषभचंद्र सूरी

जूनागढ़ के भावनाथ में बाबजी की आत्म शांति के लिए प्रार्थना 

जूनागढ़। मोहनखेड़ा जैन तीर्थ विकास प्रेरक, ज्योतिष सम्राट जीव दया प्रेमी परम पूज्य आचार्य श्री ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी म.सा. के महाप्रयाण से सनातन धर्मावलंबियों को भी गहरा आघात पहुंचा है। सनातन परंपरा के संतो से भी उनका अटूट लगाव रहा है। कोरोना उपचार के चलते उनका यू दैहिक शरीर त्याग कर देना हर किसी को व्यथित कर रहा है। 

उपरोक्त विचार अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री एवं जूनागढ़ के भावनाथ महादेव मंदिर के महंत श्री हरिगिरि महाराज ने ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी के महाप्रयाण पर आत्मिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सनातन एवं जैन धर्म के बीच सेतु की भूमिका कई बार उन्होंने निभाई थी। हाल ही में जूनागढ़ गिरनार की यात्रा कर पुनः मोहनखेड़ा लौटे थे। ऐसे में उनकी आत्म शांति के लिए भावनाथ महादेव में अभिषेक किया गया साथ ही गिरनार पर्वत पर विराजे प्रभु श्री नेमिनाथ भगवान से उनके मोक्ष प्राप्ति की प्रार्थना की गयी। 


उन्होंने गहरा दुख व्यक्त करते हुए उनके भक्तों व अनुयायियों को संबल देने की प्रार्थना भी ईश्वर से की। ज्ञात हो की मोहनखेड़ा तीर्थ पर बाबजी ने 300 बेड का कोविड केअर सेंटर तैयार किया था जिससे सैकड़ों लोगों की जान बची है।

गरीबो- आदिवासियों की मदद, बेसहारा गायों की सेवा हो या मूक पक्षियों का पालन पोषण हर क्षेत्र में उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। उनका महाप्रयाण समस्त प्राणी मात्र के लिए बड़ी क्षति है। मैं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा परिवार, श्री भावनाथ महादेव मंदिर जूनागढ़ एवं सनातनी साधू सन्यासियों की ओर से दिवंगत आचार्य श्री को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके मोक्ष प्राप्ति की कामना बाबा काशी विश्वनाथ एवं  तीर्थंकर प्रभु नेमिनाथ से करता हूं।

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