जानलेवा बन सकते हैं गटरों के खुले ढक्कन

एमबीएमसी की लापरवाही पड़ सकती है भारी

मीरा-भाईंदर :- मानसून दस्तक देने को है और इसे लेकर  मीरा-भाईंदर मनपा की तैयारियां भी जोरों पर है। गटर सफाई, वृक्ष छंटनी इत्यादि कार्य मनपा कर रही है। लेकिन शहर के कई गटरों के खुले ढक्कन किसी बड़े हादसे को निमंत्रण दे रहे है। शहर के कई मुख्य मार्ग के पास बने गटरों के ढक्कन या तो टूटे पड़े है या खुले पड़े है, ऐसे में एक छोटी सी दुर्घटना किसी के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।

जरा सी लापरवाही, पड़ सकती है भारी

गटरों को खुले ढक्कन न केवल आसपास बदबू फैलाते है बल्कि मलेरिया और डेंगू की बीमारीं को भी आमंत्रित करते है। मनपा ठेकेदार गटर सफाई के बाद इन खुले गटरों का संज्ञान नही लेते है। दिन के समय मे तो ठीक है रात के समय में कोई अनजान इन गटरों में गिर सकता है। शहर में ऐसी घटनाएं हो चुकी है और उसमें लोगों को अपनी जान भी गवाना पड़ा है।

झोपड़पट्टियों में और भी है बुरे हालात

मीरा-भाईंदर की एक बड़ी आबादी झोपड़पट्टियों में रहती है। भाईंदर पश्चिम, पेणकरपाड़ा, डाचकुलपाड़ा, काशिगांव इत्यादि जगहों पर ऐसे बिना ढक्कन के गटरों की बड़ी संख्या है। आबाजी सावंत बताते है कि उनके डाचकुलपाड़ा और आसपास ऐसे दर्जनों गटर है जिनपर ढक्कन नही है। वे बताते है कि छोटे-छोटे बच्चे इनके आसपास खेलते रहते है। 

पिछले मानसून में तीन लोग हुए थे शिकार

विगत कई सालों में ऐसे खुले पड़े गटरों के कारण कई लोगों की जान जा चुकी है। घटना के बाद मनपा कार्रवाई के नाम पर ठेकेदार पर मामला दर्ज तो करती है लेकिन कोई सिख नही लेती है। विगत वर्ष भी तीन लोग ने गटरों पर ढक्कन न होने के कारण अपनी जान गवाई थी

शिकायत के बाद भी मनपा नही देती ध्यान

भाईंदर पूर्व के गोड़देव नाका के पास भी एक ऐसा ही बिना ढक्कन का गटर है। स्थानीय रहिवासी बताते है कि शिकायत के बाद भी मनपा अधिकारी इस पर ध्यान नही देते है। कुछ ऐसी ही शिकायत भाईंदर पश्चिम, पेणकरपाड़ा, डाचकुलपाड़ा, काशिगांव इत्यादि जगहों के रहिवासियों की भी है। कार्यकारी अभियंता सुरेश वाकोडे से इस संदर्भ में संपर्क नही हो सका।


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