डॉ प्रभाकिरण जैन की भारतनामा, भारत का नामकरण का प्रकाशन

कैसे पड़ा नाम भारत? पढिये इस पुस्तक में

शैलेंद्र जैन

नई दिल्ली :- कालखंडों की अनवरत श्रंखला में सदैव ज्ञान गुरु के  रूप में प्रतिष्ठित हमारा देश भारतवर्ष आज भी अपने  नामकरण के आधार को तलाश रहा है। हमारे देश का नाम भारत कब क्यों और कैसे पड़ा इस विषय पर आज भी सत्य को नकारा जा रहा है। प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ वासुदेव शरण अग्रवाल ने भी सहर्ष स्वीकार करते हुए लिखा था ,मैं दुष्यंत पुत्र भरत से भारत नामकरण का आधार मानता था किंतु यह मेरी भूल थी ।

आखिर कब क्यूं और कैसे पड़ा हमारे देश का नाम भारत ? इसी विषय पर प्रस्तुत पुस्तक में विदुषी लेखिका डॉ प्रभा किरण जैन ने  स्वनाम धन्य धर्मगुरुओं, पुरातत्ववेत्ताओं, विचारकों शिक्षाविदों ,इतिहासकारों, राजनीतिज्ञों,  आचार्यों,साहित्यकारों ,संपादकों के तथ्य पूर्ण प्रामाणिक लेखों का संग्रह किया है जो इस विषय पर पौराणिक ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक प्रमाणों के साथ एक शोध पूर्ण दस्तावेज़ है। पुस्तक की सामग्री संकलन में शैलेंद्र जैन, चंद्रमोहन शहा एवं संयम जैन ने सहयोग किया है। इसका आवरण पृष्ठ सम्यक मोदी द्वारा बनाया गया है।

हिंदी भाषा के साथ ही अन्य भारतीय भाषाओं में एवं अंग्रेजी भाषा में भी पठनीय सामग्री से पुस्तक का कलेवर और अधिक आकर्षक बन गया है।
निश्चित ही यह पुस्तक भ्रम से परे जनमानस को एक खुली सोच के साथ प्रामाणिक सत्य की ओर ले जाने की तरफ एक सार्थक प्रयास है । भारतवर्ष नामकरण के साथ पुस्तक अन्य विषयों पर भी सोचने विचारने का मार्ग प्रशस्त करेगी इसमें कोई संदेह नहीं है।इसका प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ, लोदी रोड,नई दिल्ली ने किया हैं।
   मूल्य- 50% छूट के साथ 250₹ हैं।

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