बेहतर जीवन के लिए नैनो प्रौद्योगिकी पर श्रीनगर में पांच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

विज्ञान क्षेत्र मे हमने बड़ी छ्लांग लगायी हैं :- डॉ जितेंद्र सिंह


श्रीनगर :-
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), राज्य मंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत,पेंशन मंत्रालय, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग डॉ जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), श्रीनगर में गुरुवार को बेहतर जीवन के लिए नैनो प्रौद्योगिकी पर पांच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया।  

यह सम्मेलन का 7 वां संस्करण है और अन्ना विश्वविद्यालय,शेर-ए कश्मीर विज्ञान और प्रौद्योगिकी   विश्वविद्यालय –कश्मीर (एसकेयूएएसटी–के), राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी),मिजोरम,एसएसएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास, एसकेआईएमएस, एमजी विश्वविद्यालय केरल, और भारत की सामग्री अनुसंधान सोसायटी (मैटीरियल रिसर्च सोसाइटी) के तत्वावधान में नैनोस्केल रिसर्च फैसिलिटी (एनआरएफ ), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। हाइब्रिड मोड में आयोजित इस  सम्मेलन में देश भर से लगभग 300 प्रतिभागी इसमें शामिल होंगे।  

कार्यक्रम में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, डॉ सिंह ने कहा कि भारत ने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल मार्गदर्शन में विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगाई है। उन्होंने कहा कि भारत में हमेशा से ही उत्कृष्ट वैज्ञानिक प्रवृत्ति रही है किन्तु  अतीत में इसे लागू करने की इच्छा का अभाव था पर  अब इस कमी को पूरा कर दिया गया है।      

हाल के वर्षों में भारत द्वारा की गई प्रगति पर टिप्पणी करते हुए, डॉ सिंह ने कहा कि वर्तमान सरकार ने वैज्ञानिक दूरी को हटा दिया है और निजी क्षेत्र के उद्यमियों  और स्टार्ट-अप के लिए इस को  क्षेत्र खोल दिया है। उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा क्षेत्र गोपनीयता के पर्दे के पीछे बंद किया हुआ  था और यह केवल पीएम मोदी थे जिन्होंने भारत के परमाणु कार्यक्रम के विस्तार की अनुमति दी थी।  

डॉ सिंह ने कहा कि विगत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी संसाधनों की कमी के कारण विकसित नहीं हो पाई  लेकिन अब यह हो रहा है और भारत एक अग्रणी वैश्विक खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है क्योंकि पीएम मोदी द्वारा अब  निजीकरण को संभव बनाया गया है।सिंह ने युवा और उभरते वैज्ञानिकों को तैयार करने और कम उम्र में वैज्ञानिक क्षमता और प्रवृत्ति  का दोहन करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने एक 11 वर्षीय भारतीय-अमेरिकी लड़की का उल्लेख किया, जिसे कार्बन नैनो-ट्यूब का उपयोग करके सीसा (लेड) से दूषित पानी का पता लगाने के लिए एक त्वरित, कम लागत वाले परीक्षण का आविष्कार करने के लिए "अमेरिका के शीर्ष युवा वैज्ञानिक" के रूप में सम्मानित किया गया है।  

डॉ सिंह ने कहा कि हाल के वर्षों में,  नाक के अंदर दवाई डालकर (इंट्रानैसल) प्रविधि से श्लेष्मिक (म्यूकोसल)  क्षेत्र में आने वाली विभिन्न वाली विभिन्न विषमताओं  को दूर करने के लिए नैनो तकनीक आधारित दवा वितरण प्रणाली लागू की गई है, और उस चरण तक  प्रगति ली कर गई है जहां तक दवा का प्रभावी वितरण संभव है। उन्होंने आगे कहा कि कोविड -19 को रोकने और इलाज के लिए नैदानिक ​​अनुप्रयोगों के लिए गैर-विषैले एंटीवायरल नैनोकणों का उपयोग विकसित किया गया है।  

  सम्मेलन आयोजित करने के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) श्रीनगर को बधाई देते हुए, डॉ सिंह ने कहा कि यह आयोजन नैनो प्रौद्योगिकी में अग्रणी अनुसंधान विचारों को प्रस्तुत करने और चर्चा करने के लिए एक जीवंत मंच प्रदान करेगा और शिक्षा और उद्योगों के बीच परस्पर संपर्क का एक माध्यम  बनेगा।  

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष डॉ अनिल सहस्रबुद्धे, जो इस अवसर पर सम्मानित अतिथि थे, ने कहा कि नैनो तकनीक की जानकारी भारतीयों को हजारों वर्षों से थी। उन्होंने कहा कि विज्ञान की कई विधाओं में  नैनो प्रौद्योगिकी की उपयोगिता है और हाल के दिनों में इस विषय पर किए जा रहे शोध के परिमाण में कई गुना वृद्धि  भी हुई है।

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