‘सही पोषण-देश रोशन’ अभियान

 

70 से अधिक गैर- सरकारी संगठनों ने भाग लिया

मुख्‍य विशेषताएं :

  • कार्यशाला का उद्देश्य जनजातीय स्वास्थ्य के क्षेत्र में जनजातीय कार्य मंत्रालय के साथ काम कर रहे गैर-सरकारी संगठनों को निकटता से जोड़ना था।
  • कार्यशाला के दौरान गर्भावस्थास्तनपान कराने वाली माताओं और उसके बाद के दौरान उचित पोषण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।
  • उनके द्वारा भाग लेने वाले गैर-सरकारी संगठनों के साथ आयु-वार पोषण संबंधी आवश्यकताओं को दर्शाने वाला एक चार्ट भी साझा किया गया।

नई दिल्ली :-जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा पोषण माह गतिविधियों के हिस्से के रूप में 09 सितंबर2021 को पोषण और स्वास्थ्य पर गैर-सरकारी संगठनों के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था। कार्यशाला का उद्देश्य जनजातीय कार्य मंत्रालय के साथ काम करने वाले गैर- सरकारी संगठनों को सही पोषण-देश रोशन अभियान में शामिल करना था। कार्यशाला में 70 से अधिक गैर-सरकारी संगठनों ने भाग लियाजो जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य क्षेत्र में काम कर रहे हैं।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001XPX2.jpg

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थाननई दिल्ली की वरिष्ठ आहार विशेषज्ञ  सुश्री अनुजा अग्रवाल ने गर्भावस्था के दौरानस्तनपान कराने वाली माताओं और उससे आगे के लिए उचित पोषण की आवश्यकता के बारे में बताया।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image002FBAV.jpg

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थाननई दिल्ली की वरिष्ठ आहार विशेषज्ञ सुश्री ऋचा जायसवाल ने हृदय के स्वास्थ्य और उससे आगे के लिए मनोनुकूल पोषण पर विस्तृत जानकारी दी। उनके द्वारा आयु-वार पोषण संबंधी जरूरतों को दर्शाने वाला एक चार्ट भी भाग लेने वाले गैर-सरकारी संगठनों के साथ साझा किया गया।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003BN36.jpg

 

कार्यशाला का आयोजन जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत जनजातीय स्वास्थ्य प्रकोष्ठ द्वारा किया गया था। जनजातीय कार्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ. नवलजीत कपूर और जनजातीय स्वास्थ्य सलाहकार सुश्री विनीता श्रीवास्तव ने पोषण के महत्व और जनजातीय जनसंख्‍या के स्वास्थ्य एवं कल्याण में सुधार के लिए मंत्रालय द्वारा शुरू की गई विभिन्न गतिविधियों के बारे में बताया।

 

जनजातीय कार्य मंत्रालय 350 से अधिक गैर-सरकारी संगठनों के साथ काम कर रहा हैजिनकी जड़ें वामपंथी उग्रवादपहाड़ीदूरदराज और सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे कठिन भौगोलिक क्षेत्रों में हैं। ऐसे संगठनों को संबद्ध करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके पास तुलनात्मक रूप से सेवा की कमी वाले क्षेत्रों में सेवा की भरपाई करने की क्षमता है, जहां अपने संस्थागत तंत्र के माध्यम से सरकारी सेवाओं की सीधी पहुंच पर्याप्त नहीं है। उन्हें बाधाओं और सुविधाकर्ताओं के संदर्भ में स्थानीय संदर्भ की भी समझ है। जनजातीय महिलाओं में मुख्य रूप से उनके खराब पोषण की स्थिति के कारण आईएमआर और एमएमआर अधिक होता है और जनजातीय बच्चों में एनीमियास्टंटिंग और वेस्टिंग की घटनाएं अधिक होती हैं। पोषण रणनीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए जनजातीय महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार हेतु संदर्भ-विशिष्ट सेवाओं को डिजाइन और प्रावधान करते समय जनजातीय संस्कृतिप्रथाओं और पारंपरिक स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों को समझना महत्वपूर्ण है।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0042HF0.jpg

 

जनजातीय कार्य मंत्रालय ने पोषण माह के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ संयुक्त रूप से ऐसी कई गतिविधियों की योजना बनाई है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्रमण संघीय साधु साध्वियों की चातुर्मास सूची वर्ष 2024

पर्युषण महापर्व के प्रथम पांच कर्तव्य।

तपोवन विद्यालय की हिमांशी दुग्गर प्रथम