कोविड संबंधी उपयुक्त व्यवहार का पालन करना बहुत जरूरी है :- डॉ एन के अरोरा

  सीजन को देखते हुए कोविड वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष ने सतर्क किया

नई दिल्ली :- कोविड-19 वर्किंग ग्रुप ऑफ द नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (एनटीएजीआई) यानी राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी परामर्श समूह के अध्यक्ष डॉ. एन. के. अरोड़ा ने भारत में कोविड-19 टीकाकरण अभियान के बारे में दूरदर्शन के साथ बातचीत की।

सवाल: क्या भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर आएगी?

हमारे देश में पिछले कई हफ्तों से रोजाना औसतन लगभग 30,000-45000 मामले सामने आ रहे हैं। इनमें ज्यादातर खास भौगोलिक क्षेत्रोंविशेष रूप से केरलकई उत्तर पूर्वी राज्यों और महाराष्ट्र के कुछ जिलों और कुछ अन्य दक्षिणी राज्यों में दर्ज किए गए हैं। अगर हम जूनजुलाई और अगस्त के दौरान फैलने सार्स-कोव-वायरस का जीनोमिक विश्लेषण करते हैंतो कोई नया वैरिएंट सामने नहीं आया है और जुलाई के दौरान किए गए सीरो-सर्वेक्षण के आधार परचल रहे कोविड मामले उन व्यक्तियों में देखने को मिले हैं जो अतिसंवेदनशील हैं जिनका अभी तक टीकाकरण नहीं किया गया है। वे कोविड की दूसरी लहर के अंतिम चरण से प्रभावित हुए हैं।

जुलाई के सीरो-सर्वे में 66% से 70% लोग संक्रमित पाए गएइसका मतलब यह भी है कि 30% लोगों के अभी भी संक्रमित होने की संभावना हैंऔर वे किसी भी समय संक्रमित हो सकते हैंखासकर यदि उनका अभी तक टीकाकरण नहीं हुआ है। इसलिए पूरे देश में हममें से किसी की ओर से किसी भी तरह के आत्मसंतोष के कारण भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है क्योंकि 30% लोग संक्रमित हो सकते हैं और उनमें से कई गंभीर बीमारी के शिकार हो सकते हैंजैसा कि हमने अप्रैल और मई 2021 के दौरान देखा था।

हालांकिविशेष रूप से आने वाले त्योहारी सीजन के दौरानकोविड संबंधी उपयुक्त व्यवहार का पालन करना बहुत ही जरूरी और महत्वपूर्ण है। इस समय के आसपास नए म्यूटेशन का उभरना भी तीसरी लहर के आने का एक कारण हो सकता है।

सवाल: डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ हमारा कोविड टीका कितना प्रभावी हैतीसरी लहर को रोकने के लिए हमें क्या करना चाहिए?

कोविड टीकों की प्रभावशीलता को निम्नलिखित तरीके से समझाया जा सकता है:

 संक्रमण की रोकथाम और इस प्रकार के वायरस को फैलने से रोकने में प्रभावी

 लक्षण-संबंधी रोग को रोकने में प्रभावशाली

 गंभीर बीमारी या मृत्यु से बचाने में प्रभावशाली

मीडिया में हम जो प्रभावशीलता वैल्यू को देखते हैंवे ज्यादातर लक्षण-संबंधी रोग के खिलाफ कितना प्रभावी है उसके बारे में बताता हैयह आमतौर पर विभिन्न टीकों के लिए 60-90% है।

अधिकांश टीके कोविड संक्रमण को रोकने में पर्याप्त रूप से प्रभावी नहीं हैं और इसलिएइस बात पर बार-बार जोर दिया जाता है कि टीकाकरण के बाद भीव्यक्ति कोविड संक्रमण फैला सकता है और कोविड संक्रमण को रोकने के लिए उपयुक्त व्यवहार को बनाए रखने की आवश्यकता है।

कोविड-19 टीकों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह कोरोना से होने वाली  गंभीर बीमारी से बचाता है। साथ ही रोगी के अस्पताल में भर्ती होने और उसकी मृत्यु होने की संभावना को भी बहुत ही कम कर देता है। भारत और दूसरे देशों में उपलब्ध टीके, टीकाकरण करवाने वाले लोगों को गंभीर बीमारी और मृत्यु से बचाने में 90-95% से अधिक प्रभावी हैं। यह डेल्टा वायरस सहित सभी वैरिएंट के लिए कारगर है। भारत में आज होने वाले अधिकांश संक्रमण डेल्टा वायरस के कारण होते हैं।

सवाल: अगर कोई व्यक्ति कोविड-19 से संक्रमित था और अब उसके शरीर में कोविड-19 के खिलाफ एंटीबॉडी हैंतो क्या वह किसी ऐसे व्यक्ति को रक्त या प्लाज्मा दान कर सकता है जो अब कोविड-19 से संक्रमित है?

आईसीएमआर के अधीन किए गए हमारे देश में उच्च गुणवत्ता वाले शोध से पता चला है कि प्लाज्मा थेरेपी अस्पताल में भर्ती होने वाले गंभीर कोविड संक्रमित अधिकांश रोगियों के लिए उपयोगी नहीं थी। इसी तरह दुनिया के अन्य हिस्सों से भी इसी तरह के रिसर्च मौत या अस्पताल में भर्ती होने से रोकने में विफल रहे हैं। इन कारणों सेआईसीएमआर ने गंभीर कोविड-19 संक्रमण के उपचार संबंधी दिशा-निर्देशों के हिस्से के रूप में प्लाज्मा थेरेपी को हटा दिया है।

अगर कोई रोगी संक्रमित होता हैतो उसके शरीर में कोशिका आधारित प्रतिरक्षा के साथ-साथ एंटीबॉडी का निर्माण होगा। एंटीबॉडी मापने योग्य हैं और इसे विजबल प्रतिरक्षा भी कहा जा सकता है। कोशिका आधारित प्रतिरक्षा को अदृश्य प्रतिरक्षा और एंटीबॉडी के रूप में महत्वपूर्ण भी कहा जा सकता है। ये प्रतिरक्षा बीमारी और गंभीरता को रोकते हैं जब ऐसे व्यक्ति को कोविड-19 से फिर से संक्रमण हो जाता है।

हाल ही में एक कंपनी द्वारा एंटीबॉडी मिश्रण बाजार में पेश किया गया थालेकिन इसका ज्यादा फायदा नहीं दिखा। यह एंटीबॉडी मिश्रण भी प्लाज्मा थेरेपी के सिद्धांत पर आधारित था। देखा गया कि अगर पहले हफ्ते या संक्रमण के शुरुआती दौर में मरीज को प्लाज्मा या एंटीबॉडी दी जाए तो कुछ फायदा हो सकता है।

हाल ही में प्रकाशित एक पेपर में उल्लेख किया गया है कि अगर किसी व्यक्ति को कोविड संक्रमण हो गया है और वह ठीक हो गया हैतो उस व्यक्ति की प्रतिरक्षा लंबे समय तक उसकी रक्षा करेगी और अगर ऐसा व्यक्ति भी टीका लेता हैतो उस व्यक्ति को संक्रमण से दोहरी सुरक्षा मिलेगी।

सवाल: क्या हमारे लोगों को टीके की बूस्टर खुराक की आवश्यकता है?

हमारे देश में बूस्टर खुराक की आवश्यकता पश्चिमी देशों की स्थिति और लिए गए निर्णयों के आधार पर तय नहीं की जा सकती है। देश के विभिन्न हिस्सों में किए गए अध्ययनों के आधार पर स्थानीय साक्ष्य हमारे लोगों की आवश्यकता के बारे में बतायेंगे। इसे उस संदर्भ में माना जाएगा जब हमारे देश में 70% से 80% आबादी पहले से ही संक्रमित है। कुल मिलाकर हमारे लोगों को अधिकतम सुरक्षा प्रदान करने के समग्र उद्देश्य के साथ सर्वोत्तम उपलब्ध वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर एक दूरदर्शी निर्णय लिया जाएगा।

सवाल: क्या हमें टीके के प्रभाव को अलग-अगल व्यक्ति के लिए अलग तरह से देखना चाहिएक्या संक्रमण किसी व्यक्ति के शरीर की प्रतिरक्षा पर निर्भर करता है या टीके का प्रभाव सभी के लिए समान है?

इन पहलुओं को समेकित तरीके से देखा जाना चाहिए। कोविड-19 टीकों सहित किसी भी टीके का युवा व्यक्तियों पर अधिकतम प्रभाव दिखता है। बढ़ती उम्र के साथ होने वाली बीमारियां टीके की प्रभाव को कम कर सकती है। इसी वजह से शुरुआती ट्रायल के दौरान बुजुर्ग यानी 60 साल से ऊपर के लोगों को शामिल किया जाता है। सौभाग्य से कोविड-19 के टीके लगभग सभी में समान रूप से काम करते हैं। ये महत्वपूर्ण मसले हैं क्योंकि बुजुर्गों लोग जो किसी अन्य बीमारी से ग्रसित होते हैं उनको संक्रमण होने पर मृत्यु का जोखिम युवा व्यक्तियों जिसके शरीर में कोई बीमारी नहीं है, के मुकाबले लगभग 20-25 गुना अधिक है। यह वैक्सीन प्राप्तकर्ताओं की वैक्सीन प्राथमिकता सूची के साथ आने का आधार था। ऐसी बीमारियां हैं जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं जैसेकैंसर के रोगियों का इलाजस्वास्थ्य की स्थिति में स्टेरॉयड की आवश्यकता होती है। ऐसे व्यक्तियों में टीकों की सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया अपर्याप्त हो सकती है और उन्हें टीके या बूस्टर खुराक की एक और खुराक की आवश्यकता हो सकती है। एनटीएजीआई कोविड टीकों की बूस्टर खुराक की आवश्यकता के बारे में निर्णय लेते समय इन मुद्दों पर विचार करेगा।

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