तपागच्छाधिपति प्रेमससूरीस्वरजी का गुणोत्सव व क्षमापना समारोह

देश की राजधानी में  ऐतिहासिक आयोजन

चारों समुदायों ने प्रदान की निश्रा

कुलदर्शन विजयजी की पुस्तकों का प्रकाशन

दीपक आर जैन


नई दिल्ली :- देश की राजधानी दिल्ली में परम पूज्य तपागच्छाधिपति आचार्य श्री विजय प्रेम सूरीश्वरजी महाराजा की पांचवी वार्षिक पुण्यतिथि निमित्त गुरु गुणोत्सव का एवं पूरे दिल्ली में विराजित विविध गुरु भगवंतो के साथ सामूहिक क्षमापना का आयोजन ऐतिहासिक रूप से सम्पन्न हुआ। 

दिल्ली गुजराती श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ एवं श्री दिल्ली गुजराती कुंथुनाथ ट्रस्ट (सोसायटी) के तत्त्वाधान में  आयोजित क्षमापना समारोह में दिगंबर समुदाय से राष्ट्रगुरू परम्पराचार्य 108 श्री प्रज्ञसागरजी महाराज, श्री श्वेतांबर मूर्तिपूजक से श्री गुरु प्रेम के आजीवन चरणोपासक,परम पूज्य आचार्य श्री विजय कुलचंद्र सूरीश्वरजी (K.C.) म.सा., स्थानकवासी समुदाय से वाणी के जादूगर श्रमण संघीय सलाहकार श्री रमणीक मुनिजी महाराज ने पावन निश्रा प्रदान की। 

के.सी. म.सा. की पावन प्रेरणा से आयोजित समारोह के अतिथि विशेष केन्द्रीय महिला - बाल कल्याण विकास एवं आयुष मंत्री  डॉ.महेन्द्र मुजपरा थे।चारो समुदायों से बड़ी संख्या में लोगों ने उपस्थिति दर्ज कराई।कार्यक्रम के तहत पंन्यास प्रवर श्री कुलदर्शन विजयजी म.सा. द्वारा लिखित - संपादित "जैन जीवन शैली' एवं 'हमारा व्यवहार ही हमारी पहचान' इन 2 पुस्तकों का विमोचन हुआ। 


इस अवसर पर देश की राजधानी दिल्ली में प्रेम परिवार - दिल्ली की स्थापना की गई जिसमें युवाओं ने यह प्रण लिया कि हम शासन सेवा - समाज सेवा - संघ सेवा - देश सेवा में हर हमेशा तत्पर रहेंगे। कार्यक्रम में श्री शिवपुरी जैन संघ - शिवपुरी (मध्यप्रदेश) द्वारा के.सी म.सा. आदि को आगामी चातुर्मास (2022) की एवं चातुर्मास अंतर्गत शास्त्र विशारद पू.आ.श्री वि. धर्मसूरीश्वरजी म.सा.के शताब्दी महोत्सव में निश्रा प्रदान करने की संघ ने ज़ोरदार व भावपूर्ण विनती की। 

गुरुप्रेम की पांचवी पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में पूरे भारत में विराजमान सभी आचार्य भगवंतो को मंत्र जाप साघना बैठक (जाप साधना चेयर) अर्पण करने की भी घोषणा की गई एवं उपस्थित गुरुभगवंतो को अर्पण कर के इस आयोजन की शुरूआत हुई। क्षमापना का संपूर्ण लाभ पाटण निवासी मातुश्री प्रवीणाबेन महेन्द्रभाई मफतलाल सांडेसरा परिवार ने लिया। 

कार्यक्रम का संचालन पद्मश्री ओम प्रकाश आचार्य जी ने किया एवं संगीतकार तरुण जैन एवं गौरव जैन ने संगीत से सभी को भक्ति में लीन किया। 


 

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