झाबुआ में जन्मवांचन हर्षोल्लास के साथ संपन्न
कल्पसूत्र का वांचन प्रारंभ
झाबुआ :- स्थानीय श्री ऋषभदेव बावन जिनालय मे पूज्य आचार्य श्री ऋषभचन्द्र सुरीश्वरजी म.सा.के शिष्य पूज्य मुनिराज श्री रजतचन्द्र विजयजी म.सा.और जीतचंद्र विजयजी म.सा. की पावन निश्रा मे कल्पसूत्र का वांचन सोमवार से प्रारम्भ हुआ। 5 वे दिन मंगलवार को प्रभु श्री महावीर के जन्म कल्याणक वांचन व प्रभुजी का पालना झूलाने का महोत्सव मनाया गया।
इसके पूर्व सुबह से ही जिंनालय मे प्रभु पूजा के लिये भक्तो का आना जाना सतत रुप से चलता रहा। प्रभु महावीर की विशेष अंग रचना की गयी। दोपहर मे महोत्सव मे 14 स्वप्नों को प्रतीकात्मक रुप मे चढ़ावा बोला गया और पालनाजी को झूलाने का भी चढ़ावा बोला गया। इसके पश्चात पूज्य मुनिराज़ श्री रजतचन्द्र विजयजी ने महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव के लिये कल्पसूत्र का वांचन करते हुए "कहाँ की वैसे तो कल्पसूत्र मे 24 तीर्थंकरो का जीवन चारित्र उत्तम ढ़ंग से वर्णित हे । वर्तमान मे जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर प्रभु महावीर का शासन चल रहा हे इसलिये प्रभु महावीर स्वामी का जन्म कल्याणक धूम धाम से मनाया जाता हे। आपने कहा की 14 स्वप्न तीर्थंकर प्रभु महावीर की माता त्रिशला ने उनके गर्भ मे आने पर देखे और देखने के बाद राजा सिधार्थ को सुनायें। गज ,व्रषभ ,सिंह ,लक्ष्मीदेवी ,फ़ूलॊ की माला , चन्द्रमा , सूर्य ध्वजा , कलश , पदम सरोवर , खीर समुद्र , देव विमान , रत्न , अग्नि की शिखा आदि 14स्वप्न देखे थे। मुनि श्री ने कहा की ये 14 स्वप्न हमारे जीवन के कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त करते हे।
प्रभु महावीर के जन्म की घोषणा वांचन करते हुए मुनिश्री ने की उपस्थित श्रध्दालूओ मे हर्ष छा गया। अक्षत से स्वागत करते हुए थाली और घंटनाद किया गया। इसके पश्चात 'जय जय महावीर 'और जियो और जीने दो "की उदघोषणा करते हुए एक दूसरे का अभिवादन और श्रीफल वधार कर एक दूसरे को बधाई दी और केसरिया छापे लगाये गये। लाभार्थी परिवार ने प्रभुजी का पालना झुलाया इसके बाद लाभार्थीयौ द्वारा इन स्वप्नोंजी को लेकर जिनालय मे तीन प्रदक्षिणा दी गयी। प्रभुजी की आरती उतारी गयी
श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन परमार्थिंक ट्रस्ट द्वारा स्वधर्मीवात्सल का आयोजन हुआ | श्रीमती श्यामूबेन रतनलाल रुनवाल परिवार की और से लड्डू की प्रभावना मीनाबेन सुनील शाह अहमदाबाद वालों की ओर से की गई। चातुर्मास समिति ने बताया की तपस्या के क्रम मे 35 से ज्यादा श्रावकों श्राविकाओ द्वारा अठाई तपस्या , 9,11 उपवास , 16उपवास , 31उपवास की तपस्या चल रही हे। आगामी आयोजन में नवपद औलीजी एवं वर्धमान तप औलीजी का पाया भरने का आयोजन भी किया जाएगा ,उनके विविध लाभार्थी के नाम की उद्घोषणा हुई। संचालन संजय मेहता ने किया।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें