पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व का संवत्सरी पर्व शुक्रवार को

पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व  का संवत्सरी पर्व  शुक्रवार को

जीतविजयजी ने धर्मसभा में किया केशलोंच

पूज्य मुनिराजश्री रजतचन्द्र विजयजी म.सा.और मुनिश्री जीतचन्द्र विजयजी म.सा.सुबह 09 बजे से बारसा सूत्र की 1215 गाथा का खड़े खड़े करेंगे वांचन ।

संध्या 4 बजे से संवत्सरी प्रतिक्रमण होगा , इसके पश्चात वर्ष भर की गलतियों के लिये एक दूसरे से करेंगे क्षमायाचना | 

50 से अधिक समस्त 31,21,11,9,8 उपवास के तपस्वीयों का 11 सिंतबर को होगा पारणा।

पारणा कराने का लाभ यशवंत भंडारी परिवार ने लिया हैं। 

झाबुआ :- श्री ऋषभदेव बावन जिनालय मे चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य मुनिराज श्री रजतचन्द्र विजयजी और मुनिराज जीतचंद्र विजयजी की पावन निश्रा मे 3 सिंतबर से प्रारम्भ हुए पर्युषण पर्व का 10 सेप्टेंबर को अंतिम दिवस संवत्सरी पर्व के रुप मे मनाया जायेगा। सुबह प्रभु पूजन ,भक्तामर, गुरु चालीसा मंगल पाठ से प्रारम्भ होगा और सुबह 9 बजे पूज्य मुनिद्वय खड़े खड़े बारसा सूत्र की 1215 गाथा का वांचन करेंगे | मुनिश्री ने बाताया की जहाँ साधु साध्वी जी चातुर्मास करते हे वही पर यह सूत्र का वांचन होता हे | 

गुरुदेव ने बताया कि इस बारसा सूत्र मे तीर्थंकरों के जन्म , नामकरण , शिक्षा , दीक्षा कल्याणक , चतुर्वीध संघ की स्थापना , एवं मोक्ष कल्याणक का विवरण आता हे | एक तरह से इस सूत्र मे संपूर्ण कल्पसूत्र का सार निहित हे। आज मुनीश्री ने कल्पसूत्र वाचन पूर्ण किया, जिसमे प्रभु महावीर स्वामी जी ,प्रभु पार्श्वनाथजी , नेमीनाथजी और प्रभु आदिनाथजी का सम्पूर्ण जीवन चारित्र्य वर्णन श्रवण करवाया। चातुर्मास समिति अध्यक्ष सुभाष कोठारी और सचिव उत्तम लोढ़ा ने बाताया की संध्या को संवत्सरी प्रतिक्रमण होगा। जैन समाज के समस्त सदस्य यह प्रतिक्रमण कर वर्ष भर हुई त्रुटियों के लिये एक दूसरे से क्षमायाचना करेंगे |

प्रवचन सभा में मोहनखेड़ा के कोषाध्यक्ष हुक्मीचंदजी बागरेचा रानीबेन्नूर एवं संजय सर्राफ राजगढ़ की ओर से प्रभावना की गई । गुरु समर्पण चातुर्मास समिति की ओर से उनका साल श्रीफल ,माला से बहुमान किया गया। 11 सिंतबर को तपस्वियों का बहुमान पूज्य मुनिश्री की निश्रा मे होगा और सामुहिक क्षमापना का कार्यक्रम होगा। बारसा सूत्र व्होराने और वसाक्षेप पूजन, सूत्र को वधाने का, अष्टप्रकारी पूजन, आरती आदि का चढ़ाबा बोला गया।आज मुनिश्री जीतचन्द्र विजयजी ने केशलोच धर्मसभा मे सबके समक्ष कराया।

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