क्रांति की जलती मशाल का नाम है आचार्य भिक्षु - मुनि अर्हत कुमार

आचार्य भिक्षु का 219 वां चरमोत्सव दिवस मनाया


मदुरै :-
कथनी और करनी की समान रेखा पर बढ़ते ज्योति चरण आचार्य श्री भिक्षु का जीवन सत्य को समर्पित था । आचार्य श्री भिक्षु वह आत्मप्रेक्षी थे,जिन्होंने दोष , गलती निकालने वालो को अपना उपकारी माना। औत्तपातिक बुद्धि के धनी आचार्य श्री भिक्षु का जीवन प्रारंभ से ही होनहार और गंभीर आत्मवादी , प्रगतिशील विचार धारा का  रहा। उनका   हर पश्न रूढ़िवाद पर पैनी तर्क वाला होता था । बीच वर्ष की उम्र में ब्रहमचर्य का दुष्कर व्रत ले आचार्य रघुनाथजी  के पास दीक्षा ग्रहण कर आगमो के गहन मंथन से प्राप्त हुए अमृत को जन-जन में बांटने के लिए आचार्य श्री भिक्षु ने अभिनिष्क्रमण किया । अपने जीवन को सिद्धांतों की बलिवेदी पर समर्पित करने वाले उस फौलादी पुरुष ने संघर्षों से  कभी हार नही मानी । ऐसे महान समता साधक  आचार्य श्री भिक्षु का आज 219 वा चरमोत्सव दिवस है । हम उनके द्वारा प्रशस्त  मार्ग का अनुसरण कर आत्मा के  चरम लक्ष्य को प्राप्त करे।

उपरोक्त विचार मुनि सहयोगी युवा संत मुनि अर्हत कुमार ने आचार्य श्री भिक्षु के 219 वें चरमोत्सव दिवस पर व्यक्त किये। मुनि भरत कुमार ने चित परिचित लहजे में कहा- आचार्य भिक्षु का जीवन था निराला , सह कर संघर्षों को, बाटा अमृत का प्याला । कठिनतम स्थिति में भी धर्म व अध्यात्म को पाला । उनकी कृपा दृष्टि व आशीर्वाद से आये हमारे जीवन मे उजाला ।
बाल संत  जयदीप कुमार जी ने "बाबा दर्शन देने आओ बार - बार दू आवाज " का सुमधुर संगान किया । 
कार्यक्रम की शुरुवात महिला मण्डल के मंगलाचरण से हुई ,तेरापंथ युवक परिषद ने गीतिका की प्रस्तुति दी । आभार तेरापंथ युवक परिषद के उपाध्यक्ष अभिनंदन बागरेचा  ने व्यक्त किया ।

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