सपनों की दुनिया...

तेरे सपनों के लिए ही तो मैं सोने लग गया, 
तेरी नींद में ही तो मुझे सुकून आने लग गया... 

वक़्त का पता ही नहीं चला कब बीत गया,
खिड़कियों से उजाला सपनों को खा गया... 
सपनों की दुनिया में मन बसने लग गया, 
हक़ीक़त में ज़माना मुझ पर हसनें लग गया.... 

इंसानो का भी सही है, इंसानियत को बाटने में लग गया, 
प्यार की निशानी बन के आया और प्यार को ही काटने में लग गया.. 

सूरज नांदोला

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