सूर्यग्रहण में महान सिध्धियोग चूड़ामणियोग है साधना करें :

भारत में भी दिखेगा सूर्यग्रहण 

कब लगता है सूर्य ग्रहण
पारस मुनि म.सा. 
जब सूर्य और पृथ्वी की बीच चंद्रमा आ जाता है तो सूर्य की रोशनी पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती तो उस घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं। 21 जून को सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा ऐसी स्थिति में आ जाएगा कि सूर्य का आधे से ज्यादा हिस्सा छिप जाएगा।

🌞21 जून को सूर्य ग्रहण के दिन रविवार का पड़ रहा है और शास्त्रों में चूड़ामणि योग कहते है।
सूर्यग्रहण समय
21 जून को सूर्य ग्रहण दिन में 9:16 बजे शुरू होगा। इसका चरम दोपहर 12:10 बजे होगा। मोक्ष दोपहर में 3:04 बजे होगा।
 सूतक काल 20 जून शनिवार रात 9:15 बजे से शुरू हो जाएगा। इसी के साथ शहर के मठ-मंदिर के पट भी बंद हो जाएंगे। आपको बता देें कि ज्योतिषशास्त्री ग्रहण के ग्रहण के 12  घंटे पहले और 12 घंटे बाद तक के समय को  सूतक काल मानते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो सूर्यग्रहण में ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले ही भोजन कर लेना चाहिए। बूढ़े, बालक, रोगी और गर्भवती महिलाएं डेढ़ प्रहर चार घंटे पहले तक खा सकते हैं ।

👉 21 जून को सूर्य ग्रहण के दिन सूर्य कर्क रेखा के एकदम ठीक ऊपर आएगा।
📌 21 जून का दिन साल का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। ऐसा संयोग दूसरी बार बना है जब साल के सबसे बड़े दिन पर सूर्य ग्रहण लग रहा है। इससे पहले 19 साल पहले 2001 में 21 जून को सूर्य ग्रहण लगा था। ये ग्रहण बेहद संवेदनशील है। मिथुन राशि में होने जा रहे इस ग्रहण के समय मंगल जलीय राशि मीन में स्थित होकर सूर्य, बुध, चंद्रमा और राहु को देखेंगे जिससे अशुभ स्थिति का निर्माण होगा। इसके अलावा ग्रहण के समय 6 ग्रह शनि, गुरु, शुक्र और बुध वक्र होंगे। राहु केतु हमेश वक्र चलते हैं इसलिए इनको मिलकर कुब 6 ग्रह वक्री रहेंगे, जो शुभ फलदायी नहीं है। इस स्थिति में संपूर्ण विश्व में बड़ी उथल-पुथल मचेगी।

ग्रहण के समय इन बड़े ग्रहों का वक्री होना प्राकृतिक आपदाओं जैसे अत्यधिक वर्षा, समुद्री चक्रवात, तूफान, महामारी आदि से जन-धन की हानि कर सकता है। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका को जून के अंतिम सप्ताह और जुलाई में भयंकर वर्षा एवं बाढ़ से जूझना पड़ सकता है। ऐसे में महामारी और भोजन का संकट इन देशों में कई स्थानों पर हो सकता है।

पश्चिमी देशों में बढ़ेगा तनाव

इस वर्ष मंगल जल तत्व की राशि मीन में पांच माह तक रहेंगे ऐसे में वर्षा काल में आसामान्य रूप से अत्यधिक वर्षा और महामारी का भय रहेगा। ग्रहण के समय शनि और गुरु का मकर राशि में वक्री होना इस बात की आशंका को जन्म दे रहा है कि चीन के साथ पश्चिमी देशों के संबंध बेहद खराब हो सकते हैं।

सभी राशियों पर ग्रहण का असर

मेष, सिंह, कन्या, कुंभ राशि के लिए सूर्य ग्रहण शुभ फल देने की स्थिति में रहेगा। इन लोगों को भाग्य का साथ मिल सकता है। वृष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर और मीन राशि के लोगों को सतर्क रहकर काम करना होगा। इन लोगों के लिए बाधाएं बढ़ सकती हैं।

21 जून का सूर्य ग्रहण भारत में दिखेगा यह सूर्य ग्रहण कंकणाकृति का है। यह ग्रहण भारत में खंडग्रास रूप में दिखाई देगा।कंकणाकृति होने का अर्थ यह है कि इससे कोरोना का रोग नियंत्रण में आना शुरू हो जाएगा। 21 जून को खंडग्रास यानी आंशिक सूर्य ग्रहण रहेगा। ये ग्रहण भारत के अलावा एशिया, अफ्रिका और यूरोप कुछ क्षेत्रों में भी दिखेगा। इस वर्ष का यह एक मात्र ग्रहण होगा जो भारत में दिखेगा और इसका धार्मिक असर भी मान्य होगा। ये ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र में और मिथुन राशि में लगेगा।
इस संबंध में वराहमिहिर बृहत्संहिता राहुचाराध्याय पांच श्र्लोक ३७ में लिखा है कि:

मिथुने प्रवरागंना नृपा नृपमात्रा बलिन: कलाविद:।
यमुनातटजा: सबाह्लिका मत्स्या: सुह्यजनै: समन्वित:।।

इस श्लोक के अनुसार जब मिथुन राशि में सूर्य या चंद्र ग्रहण होता है तो उच्च पदों पर स्थित महिलाएं, राजा, मंत्री, कला क्षेत्र में काम करने वाले, यमुना नदी के किनारे पर निवास करने वाले, वरिष्ठ लोगों को, मध्य देश, साकेता, मिथिला, चंपा, कौशांबी, कौशिकी, गया, विंध्य में निवास करने वाले लोगों के लिए समय कष्टकारी होता है।

प्राकृतिक आपदा आने के योग

मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी मंगल है। मकर राशि में स्थित वक्री शनि की पूर्ण तृतीय दृष्टि, मीन राशि में स्थित मंगल पर पड़ रही है, मंगल की सूर्य पर दृष्टि और शनि-गुरु की युति है। ग्रहों की ये स्थिति बड़े भूकंपन का कारण बन सकती है। इसके साथ ही अन्य प्राकृतिक आपदा आने के भी योग बन सकते हैं।

यह सूर्य ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र में मिथुन राशि पर होगा। ज्‍योतिष गणना के अनुसार इसका प्रभाव मिला जुला रहेगा। इसके चलते संभलकर रहने की जरूरत है। इस ग्रहण के प्रभाव स्‍वरूप देश व दुनिया में पड़ोसी राष्‍ट्रों के आपसी तनाव, अप्रत्‍यक्ष युद्ध, महामारी, किसी बड़े नेता की हानि, राजनीतिक परिवर्तन, हिंसक घटनाओं में इजाफा, आर्थिक मंदी आदि पनपने के संकेत हैं। जहां तक भारत की बात है, विश्‍व में भारत का प्रभाव बढ़ेगा। महामारी से कई देशों को नुकसान होगा।
ज्‍योतिषीय पक्ष की मानें तो इस ग्रहण के बाद ऐसे योग निर्मित होंगे, जिससे कोरोना का संक्रमण खत्‍म होना शुरू होगा और इसके बाद सितंबर तक यह पूरी तरह से नष्‍ट हो जाएगा। कोरोना वायरस का संक्रमण जनवरी के बाद तेजी से फैलना शुरू हुआ था। इससे पहले 26 दिसंबर को सूर्य ग्रहण लगा था। ज्‍योतिषीय गणना के अनुसार यह ग्रहण नकारात्‍मक परिणाम देने वाला था, इसके चलते ही यह महामारी उत्‍पन्‍न हुई। लेकिन रोचक बात यह है कि ग्रहण से उपजा यह संकट ग्रहण से ही समाप्‍त होगा।
सूर्य ग्रहण साधना
जैनदर्शन के अनुसार, नवकार महामंत्र, लोगस्स, नमोत्थुणं का पाठ करना चाहिए। शैवधर्म के अनुसार,ॐ नम: शिवाय, वैष्णवधर्म के अनुसार, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय अन्य मांत्रिक, तांत्रिक ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै के जप जपते हैं।

सूर्यदेव के मंत्र जप में सूर्योपनिषद के तांत्रिक मंत्र का भी जप किया जाता है। ॐ ह्रीं धृणि सूर्य आदित्याय नमः ह्रीं ॐ*

😷✋🏻लेखक गोंडल संप्रदाय के महामंत्र प्रभावक पू.जगदीश मुनि म.सा. के सुशिष्य है।


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