विश्वास




ये जो आदत है भरोसे की,
बुनियाद है गहरे रिश्तो की.... 

माना बहुतों ने बेवफाई की, 
लेकिन जीत  हुई है सच्चाई की....

दिमाग बोला चल राह बदल ले विश्वास की,
दिल ने कहा,पगले यही राह तो है इनायत की..

सब ने समझाया आदत बदल डालो ईमान की, 
मैंने सोचा, ये एक ही तो लकीर है किस्मत की.. 

इंसान अब कहा फ़िक्र करता है दूसरों की, 
अब खुदा को भी परवाह नहीं बईमानो की.... 

सूरज नंदोला

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्रमण संघीय साधु साध्वियों की चातुर्मास सूची वर्ष 2024

पर्युषण महापर्व के प्रथम पांच कर्तव्य।

नवकार महामंत्र केवल जाप नही यह जीवन को दिशा देता हैं :- नरेंद्र मोदी