आज का युग

ज्यादा कमाने की आश में, 
इंसान आ गया गांव से शहर में... 

शान से रहते थे पहले हवेलियों में,
अब तो आ गये छोटे छोटे मकानों में... 

सुबह का सूरज आता था बरामदे में,
अब तो आसमान भी नहीं दिखता खिड़कियों में... 

बचपन बीत गया खेलते खेलते झूलों में, 
अब तो उछलने कूदनें भी जाते है मनोरंजन पार्क में... 

खाना खाते थे एक साथ एक ही थाली में,
अब तो इसे भी पूछ लेते है व्हाट्सप्प इमोजी में... 

सारी दुनिया आ जाती थी माँ बाप के आशीर्वाद में,
अब तो माँ बाप को मिलने जाते है आशीर्वाद घरों में... 

सूरज नांदोला

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