"स्व" में बसने वाला जीव तीर्थंकर का आराधक :- मुनि रजतचंद्र विजयजी

 नेमिनाथ गिरनार की वंदनावली का हुआ भव्य आयोजन


झाबुआ :-
स्थानीय ऋषभदेव बावन जिनालय झाबुआ में परम पूज्य परोपकार सम्राट आचार्य श्री ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी महाराजा साहेब के समर्पित शिष्यरत्न परम पूज्य मालवरत्न मुनिराज श्री रजतचन्द्र विजयजी महाराज साहेब मुनिश्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा. की पावन निश्रा में एक दिवसीय जिनेंद्र भक्ति महोत्सव का भव्य आयोजन धूमधाम से संपन्न हुआ। 

इस अवसर पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री रजतचंद्र विजयजी महाराज साहेब ने बताया तीर्थंकर की आराधना व भक्ति करने वाला जीव स्व में बसता है पर से खसता है। संसार के सभी पदार्थ एवं स्वयं का शरीर भी उस जीव को पर लगता है उससे बाहर निकलकर आत्मा में रमण करता है। नेमिनाथ भगवान पराक्रमी थे जिन्होंने विवाह मंडप से रथ मोड़ कर विरती मंडप यानी दीक्षा मार्ग में बढ़ गए । यह घटना संदेश देती है संसार के मार्ग दुखकारी है संयम के मार्ग सुखकारी है। नेमिनाथ भगवान गिरनार पर मोक्ष गए जहां पर 3 कल्याणक हुए हैं। गिरनार वह भूमि है जहां पर अनंत आत्मा सिद्ध हुई है ।आने वाले 24 तीर्थंकर मोक्ष जाएंगे। साधना करने वाला साधक गिरनार पर्वत माला का चयन करता है। इंद्र भी इस मनोहर धरा को क्रिडा स्थान बनाते हैं। ऐसे गिरनार तीर्थ में एक बार अभिषेक देखने जरूर जाना चाहिए। संगीत प्रस्तुति छोटी-छोटी स्तुतियां और भक्ति भावना के साथ में आयोजन आगे बढ़ा।


सर्वप्रथम इंदौर से पधारे देवेश जैन ने गुरूवंदन करवाया । मुनि भगवंत ने मंगलाचरण फरमाया । कटारिया परिवार ने सिंहासन पर विराजित नेमिनाथ दादा की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर माल्यार्पण किया एवं गहूली की ।  मोहनखेड़ा से पधारे देवेश भाई ने नेमिनाथ भगवान के सुंदरगीत की प्रस्तुति दी ।धर्मसभा के बीच में दादा गुरुदेव  राजेंद्र सूरीजी महाराज साहेब के त्रिदिवसीय आराधना निमंत्रण पत्रिका का विमोचन एवं लेखन कार्य श्रीसंघ एवं चातुर्मास समिति ने किया।  तपस्वी को मुनिश्री ने रत्न प्रतिमा भेंट की । श्रीसंघ एवं चातुर्मास समिति ने बहुमान पत्र समर्पित किया। 

इसी बीच अमझेरा चालनी गौशाला से आए प्रबंधन टीम को एक बहुत अच्छी राशि विविध गुरुभक्तों ने एकत्रित कर समर्पित की।तपस्वी विनस जैन ने नेमिनाथ भगवान की स्तवना की। धर्मसभा के पश्चात परमात्मा की आरती मंगल दीवा कटारिया परिवार ने किया। गौतम स्वामीजी की आरती राजेंद्र सूरीजी की आरती ऋषभचंद्र सूरीजी की आरती भी की गई ।अंत में मुनि श्री ने मांगलिक श्रवण कराई। चातुर्मास समिति एवं परिवार की ओर से तपस्वी का पारणा किया गया। कटारिया परिवार की ओर से श्रीसंघ स्वामीवात्सल्य आयोजित किया गया

यह आयोजन वीणाबेन , प्रतिभाबेन के वर्षीतप निमित्ते एवं विनस के 9 उपवास तथा विविध तप अनुमोदना के उपलक्ष में किया गया था। रथयात्रा शहर के विभिन्न मार्गों से निकलकर धर्मसभा में परिवर्तित हुई। 

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