संयम द्वारा करें आत्मा की सुरक्षा: आचार्य महाश्रमण

आचार्यश्री ने इन्द्रिय विषयों में अनासक्त रहने को किया अभिप्रेरित

वर्चुअल माध्यम से घर-घर पहुंच रही शांतिदूत की अमृतवाणी



भीलवाड़ा (तेरापंथ नगर) :-
वस्त्रनगरी भीलवाड़ा में चतुर्मासरत भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा प्रणेता, शांतिदूत, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी की श्रीमुख से प्रवाहित होने वाली ज्ञानगंगा से जन-जन तृप्ति का अनुभव कर रहा है। यह ज्ञानगंगा वर्चुअल माध्यम से देश-विदेश प्रवासित प्रत्येक श्रद्धालुओं के घरों में नियमित रूप से प्रवाहित होने वाली इस ज्ञानगंगा में श्रद्धालु भी नियमित से गोते लगाकर अपने जीवन को धन्य बना रहे हैं। 

चातुर्मास प्रवास स्थल स्थित ‘महाश्रमण सभागार’ से आचार्यश्री ने ‘सूयगडो’ आगमाधारित अपने मंगल प्रवचन में कहा कि संयमी व्यक्ति ही धर्म में स्थिर रह सकता है। धर्म में स्थिर होने के लिए संयमित होना आवश्यक है। साधु को धर्म में स्थिर होना आवश्यक है। इन्द्रिय विषयों से अनासक्त रहने का प्रयास होना चाहिए। इन्द्रिय विषयों से विरत साधु ही धर्म में स्थिर हो सकता है। वाह्य विषयों से वरित रहकर आत्मा में रहने का प्रयास करना चाहिए। साधुओं का दर्शन मात्र ही पुण्य प्रदान करने वाला होता है क्योंकि साधु तो चलते-फिरते तीर्थ के समान होते हैं। 


गुरुदेव ने आगे कहा कि गृहस्थों को भी अपनी आत्मा की रक्षा के लिए इन्द्रिय विषयों से जहां तक संभव हो बचाव करने का प्रयास करना चाहिए। आत्मा की रक्षा करनी है तो विषयासक्ति से विरत होकर अनासक्ति की साधना करने का प्रयास करना होगा। गृहस्थ भी थोड़ा-थोड़ा त्याग के माध्यम से संयम के पथ पर आगे बढ़ सकते हैं। आदमी को अपनी वाणी का संयम करने का प्रयास करना चाहिए। कम बोलने का अभ्यास किया जाए, बिना बुलाए न बोला जाए तो एक संयम की बात हो सकती है। इसी प्रकार अन्य इन्द्रिय विषयासक्ति से बचते हुए आत्मा को सुरक्षित और निर्मल बनाने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने दृष्टान्त के माध्यम से लोगों को अनपेक्षित न बोलने, अपनी संयम की चेतना को पुष्ट बनाने, अपनी आत्मा में रहने व आत्मा की सुरक्षा करने को भी अभिप्रेरित किया। 

आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के बाद उनके आदेशानुसार मुनिश्री दिनेशकुमारजी ने दीपावली के विशेष मंगलपाठ की घोषणा करते हुए कहा कि दीपावली पर आचार्यश्री के श्रीमुख से होने वाला मंगलपाठ 4 नवम्बर को सायं 7.15 बजे होगा। वहीं गुजराती लोगों के लिए 5 नवम्बर को प्रातः 5.15 बजे विशेष मंगलपाठ होगा। जिसे वर्चुअल रूप से प्रसारित भी किया जाएगा। 



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