सरकारी योजनाओं ने बदली जनजातीय परिवारों की जिंदगी

वन भूमि अधिकार-पत्र व अन्य योजनाएँ बन रही हैं वरदान

न भूमि अधिकार-पत्र, कपिलधारा कूप, प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन, विभिन्न छात्रवृत्तियाँ, जनजातीय छात्रावास, मेढ़ पर पौधारोपण, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, आयुष्मान कार्ड जैसी योजनाओं ने प्रदेश के जनजातीय परिवारों की जिंदगी बदल दी है।

ऐसी ही कुछ कहानियाँ हैं बड़वानी, होशंगाबाद, विदिशा आदि जिलों के जनजातीय परिवारों की, जो विभिन्न शासकीय योजनाओं का लाभ पाकर आत्म-निर्भर और खुशहाल बन रहे हैं।

वन अधिकार-पत्र ने बदली बुधा और किशन की तकदीर

बड़वानी जिले के जनजातीय विकासखंड पानसेमल के ग्राम आमझिरी के दुर्गम वनग्राम आमलापानी में बोमच्चा पिता भूषण पुरखों की भूमि पर अपनी पत्नी श्रीमती चेवटीबाई के साथ खेती कर मुश्किल से गुजर-बसर करते थे। परिवार में 2 बेटे और 3 बेटियाँ पैदा हुए। परिवार बढ़ जाने से संघर्ष और बढ़ गया। वे जमीन पर थोड़ा-बहुत अनाज उपजाते थे, परंतु जमीन पर किसी प्रकार का हक न होने से हटाये जाने का डर हमेशा बना रहता था।

शासन के जनजातीय बालक छात्रावास खेतिया में रहकर उनके बेटे किशन और बुधा ने हायर सेकण्डरी पास की। इस दौरान उन्हें शिक्षा के लिये निरंतर छात्रवृत्ति और अन्य सुविधाएँ मिलती रहीं। परिवार की जिम्मेदारियाँ अधिक होने से वे दूसरों के खेतों पर मजदूरी करने लगे। पिता बोमच्चा के साथ दोनों वन भूमि पर खेती भी करते थे तथा वन से जलाऊ लकड़ी लाकर बेचते थे। इसी बीच उन्हें शासन की 'अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी अधिनियम 2006' के अंतर्गत वन भूमि अधिकार-पत्र संबंधी योजना की जानकारी मिली। उन्होंने विधिवत आवेदन किया, जिससे उन्हें अपनी 2.835 हेक्टेयर भूमि का भू-अधिकार पत्र प्राप्त हो गया।

अब तो बुधा एवं किशन के सपनों को उड़ान मिल गई। उन्हें ग्राम पंचायत के माध्यम से 2 लाख 30 हजार रूपए की लागत का कपिलधारा कूप भी मिल गया, जिसमें 25 हाथ खुदाई करने पर पानी भी निकल आया। अब वे अपनी भूमि पर साल भर खेती करने लगे। इसी क्रम में उन्हें ग्राम पंचायत द्वारा खेत की मेढ़ पर 200 पौधे रोपने के लिये एक लाख 7 हजार रूपये की भी स्वीकृति मिल गई। उन्होंने अपनी भूमि पर 130 आम और बाँस के 45 पौधे और आँवला, रामफल एवं जामफल आदि के भी पौधे लगाये। अपनी भूमि पर वेमक्का, बाजरा और ज्वार की फसल भी ले रहे हैं।

सोने में सुहागा यह कि प्रधानमंत्री आवास योजना में उन्हें मकान तथा स्वच्छ भारत अभियान में शौचालय भी मिल गया है। अब वे पक्के मकान में खुशहाल जीवन बिता रहे हैं।

सेवक सिंह को मिल रहा है कई योजनाओं का लाभ

विदिशा जिले के ग्यारसपुर विकासखंड के ग्राम पोनिया के सेवक सिंह को भी भू-अधिकार पत्र सहित शासन की कई योजनाओं का लाभ मिला है। वन अधिकार-पत्र मिल जाने से अब उसे पैत्रिक कब्जे की भूमि छिनने के भय से मुक्ति मिल गई है। वे कहते हैं कि -मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि पूर्वजों की जमीन हमें इतनी आसानी से मिल जाएगी।"

सेवक सिंह को शासन की ओर से सिंचाई का कुँआ तथा उन्नत किस्म के बीज भी मिल रहे हैं, जिससे वे अच्छी खेती कर मुनाफा कमा पा रहे हैं। उन्हें प्रधानमंत्री उज्जवला योजना में गैस कनेक्शन, प्रधानमंत्री आवास योजना में आवास, प्रधानमंत्री आयुष्मान कार्ड आदि योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है। बच्चों की पढ़ाई के लिये किताबों से लेकर फीस तथा कोचिंग की सुविधा भी उन्हें मिल रही है। उनका पुत्र बी.ए. की पढ़ाई कर रहा है। उनका सपना है कि उनका बेटा बड़ा होकर अफसर बने तथा जनता की भलाई करे।

पुश्तैनी भूमि पर अधिकार मिलने से प्रसन्न हैं मनीराम तेकाम

होशंगाबाद जिले के जनजातीय बहुल केसला ब्लॉक की ग्राम पंचायत झुनकर के निवासी मनीराम तेकाम वर्ष 2020 में अपनी पुश्तैनी भूमि का वनाधिकार-पत्र मिलने से अत्यंत प्रसन्न हैं। वे बताते हैं कि- "हमारे बुजु़र्ग पीढ़ी दर पीढ़ी वन भूमि पर काबिज थे। वर्ष 2007 में जब वनाधिकार नियम लागू हुआ तब हमने आवेदन किया परंतु उस समय लाभ नहीं मिल पाया। सरकार द्वारा निरस्त वनाधिकार दावों के सत्यापन के बाद हमने पुन: वनमित्र पोर्टल आवेदन किया, जो मंजूर हुआ और हमें वनाधिकार का पट्टा मिल गया।"अब मनीराम अपनी भूमि पर बिना किसी रोक-टोक के खेती करते हैं। भूमि का अधिकार-पत्र मिल जाने से उन्हें सरकार की बहुत सारी योजनाओं का भी लाभ मिल रहा है। उनके 2 बेटियाँ और एक बेटा है। बड़ी बेटी फस्ट ईयर में पढ़ती है, जो पोस्ट मेट्रिक छात्रावास में रहती है तथा उसे छात्रवृत्ति भी मिल रही है। दूसरी बेटी 12वीं कक्षा में तथा बेटा 7वीं कक्षा में पढ़ रहा है। उन्हें भी छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ मिल रहा है।

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