आचार्य तुलसी में ज्ञान की विशिष्ट संपदा थी :- आचार्य महाश्रमण

 अणुव्रत दिवस के रूप में समायोजित आचार्य तुलसी का 108 वां जन्मदिन

चतुर्विध धर्मसंघ ने अर्पित की श्रद्धा प्रणति

 


भीलवाड़ा (तेरापंथ नगर) :- आचार्यों की शृंखला में जिन्हें हमने ने नहीं, कईयों ने प्रत्यक्ष देखा वे आचार्य तुलसी थे। जैसे आकाश में चन्द्रमा नक्षत्रों व तारों के बीच शोभायमान होता है, मानों उसी प्रकार गुरुदेव तुलसी शासन में शोभायमान होते थे। उनका मुखरविन्द और वदनारविंद देख मानों ऐसा लगता था जैसे कोई राजा-महाराजा विराजमान हों। उनका व्यक्तित्व विशिष्ट था। उनमें शारीरिक सक्षमता इतनी थी कि वे कितने-कितने देर तक विराजे ही रहकर कार्य करते रहते थे। उनमें ज्ञान की विशिष्ट संपदा भी थी। उन्हें राग-रागिनियों का ज्ञान था। कार्तिक शुक्ला द्वितीया अर्थात् आज के दिन उनका जन्म लाडनूं की धरती पर हुआ था। मानों वह धरती भी ऐसे महामानव की जन्मस्थली बन गौरवान्वित हो रही है। 

उपरोक्त विचार भीलवाड़ा में वर्ष 2021 का भव्य चातुर्मास कर रहे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा प्रणेता,शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने तेरापंथ धर्मसंघ के नवमाधिशास्ता, अणुव्रत प्रवर्तक आचार्यश्री तुलसी का 108वां जन्मदिवस के उपलक्ष्य में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए। ज्ञात हो आचार्य तुलसी का जन्मदिन अणुव्रत दिवस के रूप में भव्य रूप से मनाया जाता है। 

आचार्य श्री ने कहा कि आज से 41 वर्ष पूर्व समणश्रेणी का उद्भव किया, वह धर्मसंघ के लिए अद्भुत श्रेणी बन गई। समणश्रेणी धर्मसंघ के विकास में अपना योगदान देने के साथ अपनी साधना भी कर रही है। अणुव्रत के रूप में ऐसा अवदान दिया, जिससे जन-जन का कल्याण हो रहा है। अणुव्रत विश्व भारती और देश भर में अनेक अणुव्रत समितियां इसका प्रचार-प्रसार कर रही हैं। आज का दिवस अणुव्रत दिवस के रूप में प्रतिष्ठित है। जन-जन में संयम, ईमानदारी, नैतिकता, अहिंसा बनी रहे। 

कार्यक्रम की शुरुआत महाश्रमणजी के मंगल महामंत्रोच्चार के साथ हुई। कार्यक्रम में समणी मधुरप्रज्ञाजी ने अपनी श्रद्धासिक्त अभिव्यक्ति दी तथा समणीवृंद द्वारा गीत का संगान किया गया। साध्वी संबुद्धयशाजी ने अपने नवमाधिशास्ता के प्रति श्रद्धाभिव्यक्ति दी। मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुतविभाजी का उद्बोधन हुआ। इस अवसर पर  साध्वी प्रमुखाजी ने अपने संबोधन में कहा कि आचार्य तुलसी का जन्मदिन त्रिपदी के रूप में है। आज उनका जन्मदिन, आज ही के समणश्रेणी का जन्मदिवस और आज के दिन हमें यह अणुव्रत दिवस प्राप्त हुआ। आचार्य तुलसी का अणुव्रत का अवदान मानवता के लिए महत्त्वपूर्ण था तो समणश्रेणी का अवदान धर्मसंघ के लिए अभूतपूर्व है। मुख्य मुनि महावीरकुमारजी ने भी अपने पूर्वाचार्य की अभिवंदना में अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। 

आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के पश्चात मुनि मननकुमारजी, अणुव्रत विश्व भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष संचय जैन व अणुव्रत समिति, भीलवाड़ा के उपाध्यक्ष लक्ष्मीलाल झाबक ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। इस अवसर पर अणुव्रत से संबंधित कई कार्यक्रमों के पोस्टर श्रीचरणों में लोकार्पित किए गए। ममता प्रकाश बुरड़ ने आचार्यश्री ने 19 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। इसके अलावा अपने नवमाधिशास्ता के प्रति चतुर्विध धर्मसंघ ने भी अपनी श्रद्धाप्रणति अर्पित की। 


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