ऊर्जा के अक्षय धाम थे आचार्य श्री तुलसी :- मुनि अर्हत् कुमार

सदी के महँ संत थे आचार्य तुलसी :- मुनि भरत कुमार  


मदुरै :-
जन्म लेना एक नियति है,पर कुछ व्यक्ति जन्म लेकर ऐसा काम कर जाते हैं जिनका जीवन जन जन के लिए प्रेरणा स्रोत बन जाता है। आचार्य श्री तुलसी जिन्होंने 11 वर्ष  की उम्र में संयम का वरण कर आचार्य कालूगणी के दिल को जीता और 22 वर्ष की उम्र में तेरापंथ जैसे प्राणवान धर्म संघ के आचार्य पद को सुशोभित किया । तेरापंथ धर्म संघ का परचम सात समुद्र पार लहरा कर एक नया कीर्तिमान बनाया । इस पद लोलुपता के युग में स्वयं के आचार्य पद का विसर्जन कर विश्व के सामने एक मिशाल पेश की।उन्होंने अनेक अवदान दिए जिसमें एक है अणुव्रत आंदोलन हैं। अणुव्रत आंदोलन समस्त मानव जाति के लिए वरदान सिद्ध हो रहा है। आचार्य श्री तुलसी ने झोपड़ी से लेकर राष्ट्रपति भवन तक अणुव्रत की सौरभ फैलाई । हमें अणुव्रत के नियमों को स्वीकार कर अपने जीवन को सरसब्ज बनाना चाहिए ।

उपरोक्त विचार संत मुनि अर्हत कुमार ने  तेरापंथ के उज्जवल नक्षत्र में आचार्य श्री तुलसी के 108 वे जन्मदिन पर व्यक्त किये।मुनि भरतकुमार ने आचार्य तुलसी को सदी का महान संत बताया।  बाल संत जयदीप कुमार ने सुमधुर गीत का संगान किया।इस अवसर पर तेरापंथ सभा के अध्यक्ष जयंतीलाल जीरावला,मैसूर से पधारे कन्यालाल देरासरीया ,सुरेश गुगलिया, मदन मारू ,तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप बोकडिया, स्थानकवासी समाज के अध्यक्ष नेमीचंद बाफना, तेरापंथ सभा के कुशल वक्ता शांतिलाल बुरड आदि ने विचार व्यक्त किए।महिला मंडल सरंक्षिका चंद्रकांता कोठारी, तेरापंथ महिला मंडल व कन्या मंडल , ज्ञानशाला के सदस्यों ने शानदार कव्वाली कर सबका मन मोह लिया।संचालन मुनि भरत कुमार जी ने किया ।यह जानकारी तेरापंथ सभा मीडिया प्रभारी अशोक जीरावला ने दी। 

 

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