आगम स्वाध्याय के माध्यम से ज्ञान का दीपक जलाएं

तेरापंथ अधिशास्ता ने धर्मसंघ को दिया दीपावली का उपहार

पूज्यप्रवर ने आचार्य महाश्रमण दीक्षा कल्याण महोत्सव के लिए प्रदान की स्वीकृति

मुमुक्षु संख्या वृद्धि अभियान व मुमुक्षु बाइयों को विदेशी सेंटरों से धर्म के प्रचार की अनुमति


भीलवाड़ा (तेरापंथ नगर) :-  
गुरुवार को दीपावली महापर्व अवसर पर जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम के दौरान नवीन घोषणाएं कर तेरापंथ धर्मसंघ को मानों दीपावली का उपहार प्रदान कर दिया। मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम के दौरान आचार्यश्री के 50वें दीक्षा दिवस को ‘आचार्य महाश्रमण दीक्षा कल्याण महोत्सव’ के रूप में मनाने का निवेदन जब मुख्य मुनिश्री महावीरकुमारजी द्वारा तथा साध्वीप्रमुखाजी व अन्य साधु-साध्वियों द्वारा किया गया तो आचार्यश्री ने उसे स्वीकार करते हुए आचार्य महाश्रमण दीक्षा कल्याण महोत्सव वर्ष का शुभारम्भ वर्ष 2023 में सूरत से करने अनुमति प्रदान की।  

आचार्यश्री ने पारमार्थिक शिक्षण संस्थान के अध्यक्ष बजरंग जैन की विनती पर भी अनुग्रह बरसाते हुए मुमुक्षु बाइयों को विदेशी सेंटरों के माध्यम से धर्म की प्रभावना करने की अनुमति प्रदान की। दीक्षा कल्याण महोत्सव के संदर्भ में आज से मुमुक्षु संख्या वृद्धि के लिए प्रयास करने अनुमति प्रदान की। आचार्यश्री की संघप्रभावक अनुमति से पूरा धर्मसंघ जय-जयकार कर उठा। आचार्यश्री ने मानों तेरापंथ धर्मसंघ को दीपावली को आध्यात्मिक उपहार दे दिया। 


आचार्यश्री के मंगल महामंत्रोच्चार से प्रातःकालीन कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। शासनश्री मुनि सुरेशकुमारजी ने आचार्यश्री से विशेष साधना के पथ पर आगे बढ़ने की अनुमति मांगी तो आचार्यश्री ने उनके प्रति साधना के पथ पर आगे बढ़ने व खूब आध्यात्मिक विकास करने की मंगलकामना की। महाश्रमणी साध्वीप्रमुखाजी ने उजाले के इस महापर्व के माध्यम से अपने जीवन को प्रकाशमय बनाने की प्रेरणा प्रदान की। 

आचार्यश्री ने कहा कि अमावस की काली रात जिसे लोग कई दृष्टियों से अच्छा नहीं मानते, किन्तु वह भी जब भगवान महावीर के महा निर्वाण से जुड़ गई तो अच्छी हो गई। भगवान महावीर अंतिम तीर्थंकर हुए। उनका जन्म चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को हुआ। कुछ वर्ष गृहस्थ जीवन में रहने के बाद दीक्षा ली। उनके जीवन के ऐतिहासिक प्रसंगों से अनेक तीथियां जुड़ी हुई हैं। भगवान महावीर ज्योति पुरुष थे। भगवान राम से भी आज का दिन जुड़ा हुआ है। 


उन्होंने कहा कि आज दीपक जलाने की भी बात आती है। आदमी अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाने के लिए ज्ञान की ज्योति जलाए। साधु-साध्वियां भी आगम स्वाध्याय के माध्यम से ज्ञान का दीपक जलाने का प्रयास करते हुए आध्यात्मिक रूप से दीपावली मनाए। आचार्यश्री ने प्रसंगवश मुनि उदितकुमारजी के संदर्भ में फरमाते हुए कहा कि ये हमारे साथ ही दीक्षित हुए हैं। ये भी धर्म-साधना के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ते रहें। 

 


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