मृत्यु अवश्यम्भावी इसलिए आत्मकल्याण का करें प्रयास: आचार्य महाश्रमण

आचार्यश्री ने जन्म-मृत्यु के चक्र को किया व्याख्यायित  
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष ने किए महातपस्वी के दर्शन 


भीलवाड़ा (तेरापंथ नगर ) :-
यहां आयोजित धर्मसभा में ‘सूयगडो’ आगमाधारित अपने मंगल प्रवचन में आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि दुनिया में जन्म लेने वाले की एक दिन मृत्यु अवश्य होती है। जिसका जन्म होता है, वह मृत्यु को भी प्राप्त होता है। जन्म-मृत्यु का एक चक्र है जो सदैव चलता रहता है। मृत्यु सबके लिए अनिवाय है। कोई भी मृत्यु से नहीं बच सकता। कोई पत्थर के बने मकान में छिपे या वज्र के घर में अथवा मृत्यु के सामने दयनीय बन जाए, किन्तु मृत्यु किसी पर दया नहीं करती। बच्चे, बूढ़े, व्यस्क यहां तक की कभी-कभी गर्भस्थ प्राणी की भी मृत्यु हो जाती है। कोई अमर नहीं बन सकता, मृत्यु सुनिश्चित है। जन्मा है तो मृत्यु को प्राप्त होना ही है। यह शरीर अनित्य है, तो आदमी को आत्मकल्याण की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। ऐसी साधना, ऐसा प्रयास होना चाहिए कि आदमी सिद्धत्व को प्राप्त कर इस जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाए। आदमी को धर्माराधना व साधना के द्वारा सिद्धत्व प्राप्ति की दिशा में गति करने का प्रयास करना चाहिए। 

ज्ञात हो भीलवाड़ा चातुर्मास की सम्पन्नता भले ही अभी नहीं हुई हो, किन्तु विभिन्न क्षेत्रों के श्रद्धालु अभी से संघबद्ध होकर जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के अधिशास्ता, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में पहुंचकर अपने क्षेत्र में पधारने की अर्ज लगाने लगे हैं। वहीं मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में राजनेताओं का दर्शनार्थ आवागमन प्रतिदिन जारी है। सोमवार को महाश्रमण सभागार में प्रातःकाल में आयोजित होने वाले मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के पश्चात राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष श्री विजय सांपला दर्शनार्थ उपस्थित हुए तो वहीं लाछूड़ा के निवासीगणों ने श्रीचरणों में संघबद्ध उपस्थित कर आचार्यश्री को अपनी अरज सुनाई। 


आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के पश्चात केन्द्रीय मंत्री व राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला व अन्य जन प्रतिनिधि आचार्यश्री की पावन सन्निधि में दर्शनार्थ उपस्थित हुए। आचार्यश्री के दर्शन करने के पश्चात उन्होंने अपनी भावाभिव्यक्ति में कहा कि यह मेरा सौभाग्य है जो आचार्यश्री के दर्शन करने का अवसर मिलता रहता है। मैं तो आपके आशीर्वाद का आकांक्षी हूं और आज भी आपश्री से आशीष प्राप्त करने आया हूं। आचार्यश्री ने उन्हें राजनीति में भी नैतिकता, अहिंसा, सद्भावना आदि रखते हुए पवित्र सेवा करने की प्रेरणा प्रदान की। 

बालिका विदिशा लोढ़ा, सुश्री रितू जैन ने अपने-अपने गीतों का संगान किया। संयम सिंघी व श्रीमती मेघा डांगी ने अपने आराध्य के समक्ष अपनी अभिव्यक्ति दी। आचार्य भिक्षु आलोक संस्थान के प्रथम दशक पूर्ण होने पर इस संस्थान से जुड़े हुए पदाधिकारियों ने आचार्यश्री के समक्ष अपने-अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। आचार्यश्री ने समुपस्थित पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को राग, द्वेष से मुक्त रहने की प्रेरणा प्रदान की। इसके उपरान्त लाछूड़ा निवासी ससंघ आचार्यश्री के समक्ष उपस्थित हुए। कई कार्यकर्ताओं ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। ‘शासनश्री मुनिश्री हर्षलालजी ने अपने विचाराभिव्यक्ति दी। लाछूड़ावासियों को आचार्यश्री ने पावन प्रेरणा प्रदान की। तदुपरान्त मुख्य मुनि श्री महावीर कुमारजी ने सुमधुर गीत का आंशिक संगान किया।  

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