प्रधानमंत्री ने पंढरपुर से आवागमन संपर्क बढ़ाने के लिए विभिन्न सड़क परियोजनाओं का लोकार्पण किया

 भगवान विट्ठल का दरबार हर किसी के लिए समान रूप से खुला है; सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास के पीछे भी यही भावना है

"समय-समय पर, अलग-अलग क्षेत्रों में, ऐसी महान विभूतियां अवतरित होती रहीं, देश को दिशा दिखाती रहीं"


नई दिल्ली :-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्ग और सड़क परियोजनाओं की आधारशिला रखी और राष्ट्र को समर्पित किया। इस अवसर पर केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री तथा महाराष्ट्र के राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आज यहां श्री संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग और संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग का शिलान्यास किया गया। श्री संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग का निर्माण पांच चरणों में और संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग का निर्माण तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं से क्षेत्र का आवागमन संपर्क बेहतर होगा और उन्होंने परियोजनाओं के लिए भक्तोंसंतों और भगवान विट्ठल को उनके आशीर्वाद के लिए नमन किया। उन्होंने कहा कि इतिहास की उथल-पुथल के दौर में भी भगवान विट्ठल में आस्था अटूट रही और "आज भीयह यात्रा दुनिया की सबसे प्राचीन जनयात्राओं में एक है और इसेबड़ी संख्या में लोगों द्वारा एक साथ यात्रा करने के रूप में देखा जाता हैयह यात्रा हमें सिखाती है कि मार्ग अलग-अलग हो सकते हैंपद्धतियाँ और विचार अलग-अलग हो सकते हैंलेकिन हमारा लक्ष्य एक होता है। अंत में सभी पंथ भागवत पंथ’ ही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भारत की उस शाश्वत शिक्षा का प्रतीक हैजो हमारी आस्था को बांधती नहींबल्कि मुक्त करती है।"                    

प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान विट्ठल का दरबार हर किसी के लिए समान रूप से खुला है। और जब मैं सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास कहता हूंतो उसके पीछे भी तो यही भावना है। यही भावना हमें देश के विकास के लिए प्रेरित करती हैसबको साथ लेकरसबके विकास के लिए प्रेरित करती है।

प्रधानमंत्री ने भारत की आध्यात्मिक समृद्धि का उल्लेख करते हुए कहा कि पंढरपुर की सेवा मेरे लिए साक्षात् श्री नारायण हरि की सेवा है। यही वह भूमि हैजहां भक्तों के लिए भगवान आज भी प्रत्यक्ष विराजते हैं। यही वो भूमि हैजिसके बारे में संत नामदेव जी महाराज ने कहा है कि पंढरपुर तब से है जब संसार की भी सृष्टि नहीं हुई थी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत भूमि की यह विशेषता है कि समय-समय परअलग-अलग क्षेत्रों मेंऐसी महान विभूतियां अवतरित होती रहींदेश को दिशा दिखाती रहीं। दक्षिण में मध्वाचार्यनिम्बार्काचार्यवल्लभचार्यरामानुजाचार्य हुएपश्चिम में नरसी मेहतामीराबाईधीरो भगतभोजा भगतप्रीतम हुए। उत्तर में रामानंदकबीरदासगोस्वामी तुलसीदाससूरदासगुरु नानकदेवसंत रैदास हुएपूर्व में चैतन्य महाप्रभुऔर शंकर देव जैसे संतों के विचारों ने देश को समृद्ध किया।

प्रधानमंत्री ने वारकरी आंदोलन के सामाजिक महत्व पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वारकरी आंदोलन की और एक विशेषता रही और वह है पुरुषों के कदम से कदम मिलाकर वारी में चलने वाली हमारी बहनेंदेश की स्त्री शक्ति! पंढरी की वारी’, अवसरों की समानता का प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि वारकरी आंदोलन भेदभाव को अमंगल मानता है और यही इसका महान ध्येय वाक्य है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब मैं अपने वारकरी भाई-बहनों से बात कर रहा हूंतो आपसे आशीर्वाद स्वरूप तीन चीजें मांगना चाहता हूं। आपका हमेशा मुझ पर इतना स्नेह रहा है कि मैं खुद को रोक नहीं पा रहा। उन्होंने श्रद्धालुओं से अनुरोध किया कि वे पालखी मार्गों पर पेड़ लगाएं। उन्होंने साथ ही कहा कि मुझे यह चाहिए कि इस पैदल मार्ग पर हर कुछ दूरी पर पीने के पानी की व्यवस्था भी की जाएइन मार्गों पर अनेकों प्याऊ बनाए जाएं। उन्होंने कहा कि तीसरे आर्शीवाद के तौर पर वह भविष्य में पंढरपुर को भारत के सबसे स्वच्छ तीर्थ स्थलों में देखना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह काम भी जनभागीदारी से ही होगाजब स्थानीय लोग स्वच्छता के आंदोलन का नेतृत्व अपनी कमान में लेंगेतभी हम इस सपने को साकार कर पाएंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अधिकतर वारकरी किसान समुदाय से आते हैं और भारत की संस्कृति कोभारत के आदर्शों को सदियों से यहां का धरती पुत्र ही जीवित बनाए हुये है। एक सच्चा अन्नदाता समाज को जोड़ता हैसमाज को जीता है, समाज के लिए जीता है। आपसे ही समाज की प्रगति हैऔर आप ही समाज की प्रगति के प्रतिबिंब भी हैं।

दिवेघाट से मोहोल तक संत ज्ञानेश्वर महाराज पालखी मार्ग का लगभग 221 किमी और पतस से टोंडेल-बोंडले तक संत तुकाराम महाराज पालखी मार्ग का लगभग 130 किमी हिस्सा चार लेन का होगाजिसमें दोनों तरफ 'पालखीके लिए समर्पित पैदल मार्ग होंगेजिसकी अनुमानित लागत क्रमश: 6,690 करोड़ रुपये से ज्यादा और लगभग 4,400 करोड़ रुपये होगी।

कार्यक्रम के दौरानप्रधानमंत्री ने पंढरपुर से कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों पर 223 किलोमीटर से अधिक की पूर्ण और उन्नत सड़क परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित कियाजिनकी अनुमानित लागत 1,180 करोड़ रुपये है। इन परियोजनाओं में म्हस्वाद-पीलिव-पंढरपुर (एनएच 548ई)कुर्दुवाड़ी-पंढरपुर (एनएच 965सी)पंढरपुर-संगोला (एनएच 965सी)एनएच 561ए का तेम्भुरनी-पंढरपुर खंड और एनएच 561ए का पंढरपुर-मंगलवेधा-उमादी खंड शामिल हैं।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

श्रमण संघीय साधु साध्वियों की चातुर्मास सूची वर्ष 2024

पर्युषण महापर्व के प्रथम पांच कर्तव्य।

तपोवन विद्यालय की हिमांशी दुग्गर प्रथम