शेत्रुंजय की महिमा अपरम्पार हैं :- निपुणरत्न विजयजी

 चातुर्मास परिवर्तन पर हुए विभिन्न कार्यक्रम

 


पाटण :-  नगर में बिराजमान सौधर्म बृहत्तपागच्छीय त्रिस्तुतिक जैनाचार्य विश्वपूज्य गुरूदेव श्रीमद् विजय राजेंद्र सूरीश्वरजी महाराजा के प्रशिष्य पुण्य सम्राट युगप्रभावक गुरुदेव श्री विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी महाराजा के शिष्य एवं गच्छाधिपति श्री विजय नित्यसेन सूरिश्वरजी महाराज एवं आचार्य भगवंत श्री विजय जयरत्न सूरीश्वरजी महाराज के आज्ञानुवर्ती मुनिराज श्री चारित्ररत्न विजयजी महाराज एवं मुनिराज श्री निपुण रत्न विजय जी महाराज आदि साधु साध्वी भगवंत ठाणा 34 के चातुर्मास परिवर्तन प्रसंगे त्रिस्तुतिक जैन संघ पाटण के तत्वावधान में अनेक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। 

संघ की आज्ञा से इढाटा निवासी शारदाबेन बाबुलालजी टीलचंदभाई दोशी परिवार अहमदाबाद, सुरत ,मुम्बई की ओर से विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए।भव्य शोभायात्रा में लाभार्थी परिवार के बाबुलालजी दोशी विश्व पूज्य गुरुदेव ओर पुण्य सम्राट गुरुदेव की तस्वीरों को लेकर बग्गी में बेठे थे।शोभायात्रा सहस्त्रफणा जिनालय पहुंची वहां पर परमात्मा के दर्शन कर जिनालय के प्रांगण में 120 से अधिक वर्ष पुर्व विश्व पूज्य गुरुदेव श्रीमद् विजय राजेंद्र सूरीश्वरजी महाराजा के शिष्य मुनिराज श्री हिम्मत विजयजी म.सा की निश्रा में स्थापित शत्रुंजय तीर्थ के पट्ट के दर्शन कर देववंदन आदि हुए।

 यंहा से शोभायात्रा पंचासरा यात्रिक भवन हॉल में धर्मसभा पूर्व मुख्य द्वार पर लाभार्थी परिवार ने मंगल कलश धारण कर श्रीसंघ का सामैया किया। इस अवसर पर शेत्रुंजय भावयात्रा एवं मुनिराज श्री निपुण रत्न विजय जी महाराज का प्रवचन हुए जिसमें मुनिराज श्री ने शत्रुंजय की महिमा ओर कार्तिक पूर्णिमा पर सारगर्भित महत्व समझाया। कार्यक्रम को सफल बनाने में दोशी परिवार के सुपुत्र नवीनभाई (ट्रस्टी-राज राजेंद्र प्रकाशन ट्रस्ट एवं यतीन्द्र भवन ट्रस्ट), चिनुभाई,नीतीनभाई दिलीपभाई,महेशभाई, एवं प्रौत्र केयुर दोशी का योगदान रहा। संचालन रमेशभाई दोशी( अनोखी) सुरत ने किया।

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