श्री मणि लक्ष्मी तीर्थ निर्माता जिनशासन का चमकता सितारा हैं दिनेशभाई ठलिया

सरल स्वभावी, शासन समर्पित, जैन समाज के गौरव पुरुष

 शासन प्रभावक सुकृतों की अनुमोदना.. अभिवंदना..


र युग में कोई न कोई भामाशाह एवं टोडरमल जैसे दानवीर एवं पुण्य पुरुष हुए हैं। उसी तरह आज के समय में भारतवर्ष के एक छोटे से गांव ठलिया (गुजरात) से एक दानवीर एवं पुण्य पुरुष अवतरित हुए हैं जिनका नाम है 'दिनेशभाई उलिया वाले । आज दिनेश भाई और उनके बनाए जिनमंदिरों को सम्पूर्ण विश्व में ख्यातिप्राप्त है। उनके कुशल निर्देशन एवं द्रुत गति द्वारा बनाए गए अलौकि तीथों मंदिरों की शिल्पकला और वास्तुकला अद्वितीय तथा अविश्वसनीय है। धर्म के प्रति उनकी श्रद्धा, समर्पण और निष्ठा एक सुश्रावक की वास्तविक परिभाषा है।

आपका जैन धर्म, आगमादि के प्रति ज्ञान अभूतपूर्व और बेमिसाल है। जिनशासन प्रभावना के सर्व कार्यों के प्रति आप पूरी तरह समर्पित हैं तथा कभी भी ऐसे कार्यों में ना कोई न्यूनता रखते है और न ही कोई समझोता करते हैं। सर्व सम्प्रदायों के पूज्य गुरुभगवंतों के प्रति आपका समर्पण अनुमोदनीय, अनुकरणीय है। इन सब का परिणाम हम उत्तर भारत वालों ने न सिर्फ जाना हैं बल्कि महसूस भी किया है गच्छाधिपति गुरुदेव के एक वचन पर ही लुधियाना में श्री मणि लक्ष्मी धाम का निर्माण आपके जिनशासन प्रेम, गुरु समर्पण और हृदय की सहज उदारता को दर्शाता हैं।

आप जैसे पुण्य पुरुष को प्रभु पार्श्वनाथ से उनकी आरोग्यपूर्ण दीर्घायु की कामना करता है। श्री मणि लक्ष्मी तीर्थ, माणेज, श्री महावीर जैन विद्यालय बड़ौदा में श्री मणि लक्ष्मी महाप्रासाद, श्री मणि लक्ष्मी धाम, श्री मणि लक्ष्मी धाम, दोराहा (लुधियाना) जैसे मंदिरों एवं भव्य तीर्थों के निर्माण के कार्य भविष्य में और भी करते रहे. वही प्रभु से प्रार्थना।

जिनशासन के सर्व कार्यों को पूर्ण करने में आपकी धर्मपत्नी बिंदु बहेन आपके अग्रज भरत भाई,अनुज प्रफुल्ल भाई और सम्पूर्ण परिवारजन के त्याग और समर्पण की समग्र जैन समाज अनुमोदना करता हैं। आप जैसे पुण्य पुरुष न सिर्फ धर्म की प्रभावना करते हैं बल्कि जिनशासन की शोभा को शतगुणित करते हैं।

भावों की भव्यता... आस्था की अस्मिता श्रद्धा की स्थिरता... समर्पण की शुद्धता... वैयावच्च की उत्कृष्टता ... साधर्मिकों की अनन्य भक्ति ... जिनके अंतःकरण में सराबोर है ऐसे पुण्य पुरुष  दिनेश भाई ठलिया वालों की आत्मिक अनुमोदना... अभिवंदना....

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