भक्तामर श्लोक 1

सभी कार्यों को पूर्ण करने हेतु

( 9 बार श्लोक / 27 बार मंत्र / 27 बार ऋद्धि का जाप करें )


भक्तामर-प्रणतमौलि-मणि-प्रभाणा-

मुद्योतकं दलित-पाप-तमोवितानम् । 

सम्यक् प्रणम्य - जिन-पाद-युगं युगादा- 

वालम्बनं भव जले-पततां जनानाम् ।।१।।


मंत्र :- ॐ ह्रां ह्रीं हूं श्रीं क्लीं ब्लूं क्रौं ॐ ह्रीं नमः स्वाहा।

ऋद्धि  :-  ॐ ह्रीं अर्ह णमो अरिहंताणं, णमो जिणाणं, ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्रः असि आ उ सा अप्रतिचक्रे फट् विचक्राय झौं झौं नमः स्वाहा। 


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