परमात्मा, महात्मा नहीं तो सदात्मा बने आदमी : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

भायंदर का जगा भाग्य, भायंदर में महातपस्वी महाश्रमण का मंगल पदार्पण   

बाहर बारिश की बूंदें तो प्रवचन पण्डाल में सुगुरु ने की आशीष की बरसात


भायंदर :-
मुंबई महानगर में वर्ष 2023 के चातुर्मासिक मंगल प्रवेश से पूर्व जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, युगप्रधान, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी अपने अंतिम दो दिनों के प्रवास के लिए भायंदर की धरा पर पधारे। ऐसा सौभाग्य प्राप्त कर भायंदारवासियों का मन मयूर भरी बरसात में नृत्य कर उठा। आसमान से बरसती बूंदों की परवाह किए बिना सभी अपने आराध्य के स्वागत-अभिनंदन में पलक पांवड़े बिछाए खड़े थे। 

दूसरी ओर शनिवार की भोर से ही मुंबई में मानसून ने अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज कराते हुए देर रात तक इतनी बारिश हुई कि सड़कें जलमग्न हो गईं। सड़कों पर पानी हीलोरें ऐसे ले रहा था, जैसे सागर लहरा रहा हो। हालांकि बरसात के मंद होने के कुछ समय बाद सड़क उभर तो आई, किन्तु आसमान में छाए काले मेघ हटने का नाम नहीं ले रहे थे और पूरी रात ही रूक-रूक कर मेघ रविवार को भी बरस रहे थे। इस बरसात को देख भायंदरवासी तो सोच में पड़ गए कि हमारे आराध्य का आगमन कैसे हो पाएगा, किन्तु प्रातः कुछ समय के लिए बरसात थमी तो अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भायंदर के लिए प्रस्थान कर दिया। अपने सुगुरु की ऐसी कृपा प्राप्त कर भायंदरवासी निहाल हो उठे। विहार के दौरान कभी तीव्र तो कभी मंद रूप में बरसात प्रारम्भ हो गई जो अनवरत जारी रही। ऐसी बरसात में भायंदरवासी अपने आराध्य के शुभागमन की प्रतीक्षा में मार्ग में ही खड़े थे। प्रतीक्षारत श्रद्धालुओं की जब श्रद्धा फलित हुई और आचार्यश्री का भायंदर में मंगल पदार्पण हुआ तो वातावरण जयघोष से गूंज उठा। बरसात से भींगे श्रद्धालुओं पर जब शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने आशीषवृष्टि की तो श्रद्धालुओं का मन भी आह्लाद और हर्ष से सराबोर हो उठा। आचार्यश्री अपनी धवल सेना संग भायंदर में स्थित तेरापंथ भवन में पधारे। 

अग्रवाल ग्राउण्ड में बने भव्य ‘महाश्रमण समवसरण’ में समुपस्थित श्रद्धासिक्त जनता को आचार्यश्री ने पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि चार शब्द आते हैं- परमात्मा, महात्मा, सदात्मा और दुरात्मा। परमात्मा वैसी आत्माएं हैं जो जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर शाश्वत स्थिति को प्राप्त कर चुकी हैं, वैसी आत्माओं का बारम्बार वंदन करते हैं। दूसरे प्रकार की आत्मा- महात्मा कही जाती है। जिनके मन, वचन और काय में एकरूपता हो, अर्थात जिनके जीवन में साधुता, सरलता है वे महात्मा होते हैं। तीसरे प्रकार में वे आत्माएं होती हैं जो महात्मा तो नहीं बन सकतीं, किन्तु धर्म, ध्यान, साधना, सेवा और सद्विचारों से युक्त होकर जीवन जीते हैं, वे सदात्मा होते हैं। दूसरों को कष्ट देने वाले, दूसरों की शांति को भंग करने वाले, हिंसा, हत्या में रत आत्माएं दुरात्मा होती हैं। 

इसलिए आदमी को अणुव्रतों का पालन करते हुए जीवन में धर्म, ध्यान, साधना, तप, प्रवचन श्रवण के द्वारा सदात्मा बनने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने भायंदरवासियों को मंगल आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि आज यहां आना हुआ है। इस बार का चतुर्मास भी मीरा-भायंदर एरिया में ही होना है तो ऐसा मानना चाहिए कि यह पांच महीनों का चतुर्मास अच्छी आध्यात्मिक खुराक देने वाला बने। इसके लिए ज्ञानाराधना, चरित्राराधना और उपासना आदि का लाभ ने का प्रयास हो। इस सवाए चतुर्मास का लाभ लेने का प्रयास करना चाहिए। 21 रंगी तपस्या को लेकर भी आचार्यश्री ने प्रेरणा प्रदान की। 

गुरुदर्शन से हर्षित साध्वी राकेशकुमारीजी ने अपने हृदयोद्गार व्यक्त करते हुए अपनी सहवर्ती साध्वियों के साथ गीत का संगान किया। आचार्यश्री ने उन्हें पावन आशीर्वाद प्रदान किया। मंगल प्रवचन के उपरान्त स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष भगवती भण्डारी ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ समाज ने स्वागत गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। साध्वी सुषमाकुमारीजी ने गुरुआज्ञा से लोगों को 21रंगी तपस्या के उत्प्रेरित किया। 



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