महातपस्वी महाश्रमण का नंदनवन में भव्य व ऐतिहासिक चातुर्मास प्रवेश
महातपस्वी के अभिनंदन को पहुंचे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे
आपकी प्रेरणा से सबके जीवन में आएगी खुशहाली : मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे
पांच महीनों के वर्षावास का उठाएं आध्यात्मिक लाभ : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
घोड़बंदर, ठाणे(महाराष्ट्र) :- भारत की आर्थिक राजधानी, पश्चिमी देशों के लिए भारत का प्रवेश द्वार, मां मुम्बादेवी के नाम से सुविख्यात मुम्बई की 69 वर्षों की अनवरत प्रतीक्षा बुधवार को पूर्ण हुई तो पूरा मुम्बई महानगर हर्षोल्लास से झूम उठा। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के नवमें अधिशास्ता, गणाधिपति आचार्यश्री तुलसी ने 68 वर्ष पूर्व मुम्बई में चतुर्मास किया था। उसके बाद से प्रतीक्षारत मुम्बईवासी श्रद्धालुओं की आस्था की प्यास को बुझाने और जन-जन के मन के मैल को ज्ञान की गंगा से धोने को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी विशाल धवल सेना के साथ मुम्बई के बाहरी भाग में स्थित घोड़बंदर के नन्दनवन में भव्य व ऐतिहासिक महामंगल प्रवेश किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित अनेकों गणमान्य महामानव के अभिनंदन में उपस्थित थे। भव्य व विशाल स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री ने पूर्व निर्धारित समयानुसार 9.09 बजे नन्दनवन परिसर के सी एन रॉक भवन में पधारे। इस भवन और परिसर से संबंधित लोगों ने भी आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया और पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।
मायानगरी के सड़कों पर अनुशासित पंक्तिबद्ध चारित्रात्माओं का गमन
तेरापंथ अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी की अनुशासना में बुधवार को लगभग डेढ़ सौ से अधिक चारित्रात्माएं चातुर्मासिक स्थल में प्रवेश करने वाली थीं। अपने अनुशास्ता के कुशल नेतृत्व में सर्वप्रथम पंक्तिबद्ध साध्वियां मध्य में महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी और उनके पीछे संतों की पंक्तियां तदनुसार मार्ग के दोनों किनारे तथा संतों के पीछे जनता का अपार सागर लहरा उठा। बुलंद जयघोष से वातावरण गुंजायमान हो रहा था।
भव्य, विशाल और अद्वितीय स्वागत जुलूस
वर्षों की प्रतीक्षा की पूर्णता का अवसर हो तो मानों जन-जन जागृत हो जाता है। सूर्योदय से पूर्व ही जेपी गार्डेन व लॉन के आसपास श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ने लगा। क्या वृद्ध और क्या युवा, क्या बच्चे व क्या किशोर। महिलाएं, कन्याएं सभी सोत्साह अपने-अपने गणवेशों में चले आ रहे थे। क्योंकि आज ही वह अवसर था जब 69 वर्षों की प्यास को तृप्ति प्राप्त होने वाली थी। इस ऐतिहासिक अवसर में स्वयं की सहभागिता दर्ज करने और उस ऐतिहासिक पल को अपने नयनों से निहारने को जन-जन का मन बेताब था। हालांकि आसमान में अब भी बादल छाए हुए थे, किन्तु वर्षा बन्द थी। निर्धारित समय पर आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी धवल सेना का कुशल नेतृत्व करते हुए मंगल प्रस्थान किया। प्रस्थान स्थल से ही मानों भव्य स्वागत जुलूस का शुभारम्भ हो गया। जनता की विराट उपस्थिति के कारण यह दूरी भी सिमट गयी थी। प्रवास स्थल से लेकर प्रवेश स्थल तक राजमार्ग का दोनों किनारा श्रद्धालुओं से जनाकीर्ण बना हुआ था। जनता की ऐसी विशाल और अनुशासित रैली शायद ही इस क्षेत्र ने देखी हो।
ज्योतिचरण का स्पर्श पाकर पावन हुआ नन्दनवन
पंक्तिबद्ध अमल-धवल सेना के मध्य गतिमान शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी शोभायमान हो रहे थे। राजमार्ग पर मानों आस्था का सागर लहरा रहा था। आचार्यश्री निर्धारित समय के अनुसार 9.09 बजे आचार्यश्री ने नन्दनवन परिसर में स्थित सी-इन-रॉक परिसर में पावन चातुर्मासिक प्रवेश कर लिया। पहाड़ों से घिरा यह विशाल परिसर जयकारों से गूंज उठा। आचार्यश्री के स्वागत में महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, विधायक गीता जैन,विधायक प्रताप सरनाईक आदि अनेक गणमान्य उपस्थित थे।
अध्यात्म जगत के महामेघ के चातुर्मासिक प्रवेश पर जमकर बरसे मेघ
आचार्यश्री के चातुर्मासिक प्रवास स्थल में प्रवेश करने के कुछ क्षण बाद ही मेघ ने बरसना आरम्भ किया तो सायं तक मूसलाधार बरसते रहे। मानों अध्यात्म जगत के महामेघ की अभिवंदना व उनकी चरणरज को प्राप्त करने के लिए आसमान के मेघ भी आतुर थे। सायं चार बजे तक मेघ तीव्र वेग में बरसते रहे।
चतुर्मास प्रवास स्थल में बने विशाल पण्डाल से महातपस्वी की प्रथम मंगल देशना
नन्दनवन परिसर में बने भव्य एवं विशाल प्रवचन पण्डाल से आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समुपस्थित विराट जनमेदिनी को प्रथम देशना प्रदान करते हुए कहा कि धर्म को सर्वोत्कृष्ट मंगल कहा गया है। अहिंसा, संयम और तप रूपी धर्म ही सर्वश्रेष्ठ है। जहां धर्म है, वहां मंगल अपने आप हो जाता है। आचार्यश्री ने आगे कहा कि आज विक्रम संवत् 2080 के मुम्बई के इस नन्दनवन में प्रवेश किया है। मैंने इसकी घोषणा सन् 2019 में की थी और आज मुझे संतोष है कि मेरा मुम्बई में आना हो गया और आज चातुर्मासिक प्रवेश भी हो गया। बड़े आश्चर्य कि बात है कि मुम्बई महानगर जैसे बड़े क्षेत्र में चतुर्मास का 68 वर्षों का अंतराल हो गया। गुरुदेव तुलसी ने 68 वर्ष पूर्व मुम्बई में चतुर्मास और मर्यादा महोत्सव भी किया था। सन् 2003 में दसवें आचार्यश्री महाप्रज्ञजी मुम्बई में मर्यादा महोत्सव किया था। आज मेरा चतुर्मास के लिए प्रवेश कर लिया है। तेरापंथ धर्मसंघ के प्रथम आचार्य भिक्षु हुए। हम उनकी परंपरा में साधना कर रहे हैं। आचार्यश्री ने आचार्यश्री भिक्षु के स्मरण में ‘भिक्षु म्हारै प्रकट्या रे’ गीत का आंशिक किया। इसी प्रकार आचार्यश्री ने पूज्य गुरुदेव श्री तुलसी और पूज्य गुरुदेव महाप्रज्ञजी का स्मरण करते हुए भी उनसे संबंधित गीतों का आंशिक संगान किया।
आचार्यश्री ने शासनमाता साध्वी प्रमुखाजी का भी स्मरण करते हुए कहा कि हमारे साथ मुख्यमुनि के अलावा कुल 49 संत और साध्वीप्रमुखाजी व साध्वीवर्या सहित संभवतः 120 साध्वियां हैं। साध्वी समुदाय भी खूब विकास करने का प्रयास करें। इस बार पांच महीनों का वर्षावास है। इसका पूर्ण लाभ जनता को उठाने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने मुनि महेन्द्रकुमारजी का भी स्मरण किया। आचार्यश्री ने प्रवचन के दौरान अपने प्रवास स्थल, साध्वीप्रमुखाजी के प्रवास स्थल, समणियों आदि के प्रवास स्थल का नया नाम भी प्रदान किया। मुम्बईवासी इन पांच महीनों का लाभ उठाएं और जीवन में धर्म की प्रभावना रहे, चित्त समाधि बनी रहे।
इस अवसर पर साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने भी उपस्थित जनता को उत्प्रेरित करते हुए आचार्यश्री महाश्रमणजी के चातुर्मास का अच्छा उठाने को अभिप्रेरित किया। आचार्यश्री ने अनेक प्रेरणाओं के साथ 21 रंगी तपस्या से सम्भागी बनने की प्रेरणा भी दी।
पूरे महाराष्ट्र की जनता की ओर से आपका स्वागत है : मुख्यमंत्री शिंदे
आचार्यश्री के स्वागत में महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि मैं पूरे महाराष्ट्र की जनता की ओर से पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी का हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करता हूं। महाराष्ट्र संतों की भूमि है। आपके शुभागमन से यह धरती पावन हो गई है। आप पांच महीनों तक लोगों को जीवन का रहा दिखाएंगे, यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई। आपकी प्रेरणा से सबके जीवन में खुशहाली आएगी, ऐसा मेरा विश्वास है। ज्ञात हुआ आप सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति का अभियान चला रहे हैं। आपकी प्रेरणा से लगभग एक करोड़ से अधिक लोगों ने नशामुक्ति का संकल्प स्वीकार कराया है। मुम्बई के विकास के लिए आपके आशीर्वाद की आवश्यकता है। आपके दर्शन और आशीर्वाद हमारी जनता पर सदैव बना रहे। अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने के उपरान्त मुख्यमंत्री ने आचार्यश्री को वंदन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
घंटों चला मुम्बईवासियों के श्रद्धाभावों की अभिव्यक्ति का क्रम
अपने आराध्य के अभिनंदन और स्वागत का क्रम घंटों चला। इस क्रम में सबसे पहले चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष मदनलाल तातेड़, स्वागताध्यक्ष सुरेन्द्र पटावरी, महामंत्री सुरेन्द्र कोठारी, महेश बाफना, प्रबन्धक मनोहर गोखरू, विधायक निरंजन दावखरे, महासभा के पूर्व अध्यक्ष किशनलाल डागलिया, अमृतवाणी के अध्यक्ष रूपचंद दूगड़, सुमति गोठी, उदय आचार्य, तेरापंथ महिला मण्डल-मुम्बई की अध्यक्ष रचना हिरण, तेरापंथी सभा-मुम्बई के कार्याध्यक्ष नवरतन गन्ना, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के अध्यक्ष राज सिंघवी, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष रोशनलाल मेहता, भंवरलाल कर्णावट, अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के सहमंत्री भूपेश कोठारी, अभातेयुप के पूर्व अध्यक्ष संदीप कोठारी, माल्विकाबेन व भव्या बाफना ने अपनी हर्षित भावनाओं को अभिव्यक्ति दी। रवि जैन व विराग मधुमालती ने मराठी भाषा में आचार्यश्री के स्वागत गीत का संगान किया। मुम्बई तेरापंथ समाज व उपासक श्रेणी ने पृथक्-पृथक् स्वागत गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों व तेरापंथ कन्या मण्डल ने अपनी-अपनी प्रस्तुति दी। आचार्यश्री के मंगलपाठ से चातुर्मासिक प्रवेश का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ, किन्तु मेघों द्वारा लगाई गई झड़ी लगी रही।
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