सुगति प्राप्ति का प्रयास करे मनुष्य : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

लगातार हो रही वर्षा के बावजूद भी अबाध रूप से गतिमान हुए ज्योतिचरण 

 जेपी गार्डेन बना पावन

9.09 बजे नन्दनवन में होगा महातपस्वी महाश्रमण का महामंगल प्रवेश


घोड़बंदर, ठाणे (महाराष्ट्र)  :-
अरब सागर के तट पर स्थित पश्चिमी देशों के लिए भारत का प्रवेश कहे जाने वाले, भारत की आर्थिक राजधानी के रूप में विख्यात मायानगरी मुंबई के लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान से ओतप्रोत बनाने के लिए महानगर के विभिन्न उपनगरों की लगभग सत्रह दिवसीय यात्रा करने के बाद वर्ष 2023 के चातुर्मासिक प्रवेश से एक दिन पूर्व जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, मानवता के मसीहा शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ ठाणे महानगर के बाहरी भाग घोड़बंदर में पधारे। यों तो 28 को ही महाराष्ट्र की सीमा में महातपस्वी महाश्रमणजी के मंगल प्रवेश से पूरा महाराष्ट्र मानों मंगलमय हो गया है, किन्तु श्रद्धालुओं की तृप्ति प्रदान करने के लिए उनके आराध्य स्वयं चलकर उनके घर-आंगन तक पधारे। 

मुंबई में चार दिनों से हो रही बरसात ने आम जन-जीवन को प्रभावित किया है, किन्तु दृढ़संकल्पी, अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी के गतिमान कदमों को बरसात भी नहीं रोक पायी है। आचार्यश्री नियमित रूप से विहार कर रहे हैं। मंगलवार को भी हो रही बरसात ने विहार में विलम्ब तो अवश्य किया, किन्तु अखण्ड परिव्राजक, ज्योतिचरण को रोक नहीं पाई। आचार्यश्री मुम्बई महानगर के बाहरी भाग में स्थित घोड़बंदर की ओर पधार रहे थे। मार्ग में अनेकानेक श्रद्धालुओं को आशीष प्रदान करते हुए गतिमान थे। मुम्बई महानगर के इतिहास में 69 वर्षों बाद होने जा रहे किसी तेरापंथ के आचार्य का चातुर्मास श्रद्धालुओं के लिए अत्यधिक उत्साह प्रदान करने वाला है। हालांकि वह महामंगल प्रवेश में अभी एक दिन का और शेष है। आचार्यश्री अपनी धवल सेना का कुशल नेतृत्व करते हुए घोड़बंदर के जेपी गार्डेन एण्ड लॉन में पधारे तो पुनः वर्षा का क्रम प्रारम्भ हो गया। इस स्थान से जुड़े लोगों ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया। 

आचार्यश्री ने समुपस्थित जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि मनुष्य मृत्यु के उपरान्त या तो सुगति को प्राप्त करता है अथवा दुर्गति को प्राप्त करता है तो मोक्ष को भी प्राप्त कर सकता है। चार प्रकार की गति बताई गई है- नरक, तिर्यंच, मनुष्य और देव। इन चार गतियों में मनुष्य अपने कर्मों के आधार पर भ्रमण करता है। हिंसा, हत्या, प्राणियों के वध आदि कार्य करने वाला आदमी मृत्यु के उपरान्त नरक गति में जाता है। झूठ, चोरी, ईर्ष्या, कपट आदि करने वाले तिर्यंच गति का वरण करते हैं। साधारण, सरल, हिंसा, हत्या नहीं करने वाले, साधारण ढंग से अपना जीवन जीने वाले मनुष्य पुनः मानव जीवन को प्राप्त करते हैं, तथा जो आदमी त्याग, तपस्या, साधना आदि करता है तो देव गति को प्राप्त करता है। उसमें भी कोई विशेष साधना करने वाला मोक्ष को भी प्राप्त कर सकता है। इन चारों गतियों में मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जो अपने शुभ कर्मों के द्वारा मोक्ष को भी प्राप्त कर सकता है। 

आदमी के भीतर, लोभ, कामना, वासना, छल-कपट, हिंसा-हत्या जैसी विकृतियां आदमी को नरक और तिर्यंच गति की ओर ले जाती हैं। आदमी को अपने भीतर अपने लोभ, कामना, ईर्ष्या आदि के भावों को छोड़ने का प्रयास करना चाहिए। मन में संतोष का भाव जागृत हो। आदमी के पास संतोष का धन नहीं होता तो मानों और धन उसके काम का नहीं होता। आदमी को निष्काम भाव से कार्य करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी निष्काम भाव से कार्य करे और ममत्व की चेतना को कम करे तो सुगति की प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ सकता है। आचार्यश्री के स्वागत में श्री रवि पाटिल ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने उन्हें पावन आशीर्वाद प्रदान किया। 

69 वर्षों के उपरान्त मुम्बई में होने जा रहे वर्ष 2023 के चतुर्मास के लिए जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी 28 जून अर्थात् बुधवार को प्रातः 9.09 बजे चातुर्मासिक प्रवास स्थल में मंगल प्रवेश करेंगे। मुम्बई महानगर में महातपस्वी के महामंगल प्रवेश को लेकर मुम्बईवासियों में विशेष उत्साह और प्रसन्नता देखने को मिल रही है। वे इस अवसर को भव्य बनाने के लिए पूरी तन्मयता से जुटे हुए हैं। 



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