तुम बड़े हो गए हो !
श्रेणिक नाहर / संगीतकार, चेन्नई अब तुम बड़े हो गए हो अपने पैरों पर खड़े हो गए हो . जब तुम छोटे थे मां बाप को लगते खोटे थे. बहुत डांट और मार खाते थे तुम्हे वो इसी तरह होशियार बनाते थे . उनकी डांटऔर मार ही तुम्हारे लिए आशीर्वाद था । अब तुम भी एक बाप बन गए हो जिम्मेदारियों से लद गए हो जैसी चिंता पिता को थी तुम्हारी। वैसी ही आई अब तुम्हारी बारी तुम्हारी नादानियां सरारतें तुम्हारे खर्च (अपनेपर) कम हो गए । बस यूं ही निभाना परिवार की जिम्मेदारियां सींचते रही परिवार की क्यारियां भाइयों में बातें हो केवल प्यार की बहनों में दुलार की दिल बड़ा रख सभी को समाए रखो परिवार सबसे ज्यादा जरूरी है बिना उनके हर महफिल अधूरी है माली को सभी फूल क्यारियां प्यारे है क्योंकि सारा गुलशन उसके ही सहारे है किसने क्या कहा सब भुला दो करो कामना सभी के खुशियों की सबकी कमियों को बिसरा दो ।