दूसरों को आगे बढ़ाने में आनंद हैं :- यशोवर्म सूरीश्वरजी
उमरगाम में उपधान तप 25 अक्टूबर से
उमरगाम :- सहजता प्राप्त करना यह एक पुण्य , लेकिन अपने साथियों को श्रेय देना ऊंचाई है, और यह ऊंचाई पुण्य प्रकृति को नहीं बल्कि आत्म-जागरूकता की आभारी है। ध्यानशतक ग्रंथ हमें इस गुण पर चढ़ने में मदद करेगा। एक ऐसी टीम तैयार की जा रही हैं जो उपश्रेणिक क्षपक श्रेणी की ऊंचाई पर पहुंचे।उपरोक्त विचार उमरगाम स्टेशन रोड जैन संघ में चातुर्मास हेतु बिराजमान परम पूज्य आचार्य श्री विजय यशोवर्म सूरीश्वरजी म.सा. ने व्यक्त किया।आसपास व दूर दूर से लोग आचार्यश्री के प्रवचनों का श्रवण करने रोज आ रहे हैं.
धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री ने जीवन में बिना अंतर्ध्यान से जीने के जीने के अद्भुत व्यावहारिक तरीके दिखाए। 25 अक्टूबर से शुरू हो रहे उपधान तप की जोरदार तैयारियां चल रही हैं. रणपट्टी की युवा बहनें पूरे गुजरात से विशेष रूप से मुंबई की युवा लड़कियों को निर्दोष उपधान तप करवाने के लिए लिए तैयार हो रही हैं। वारी ग्रुप इसके मुख्य लाभार्थी हैं।16 सती का रोमांचक कार्यक्रम साध्वी विपुल मालाश्रीजी के मार्गदर्शन में हुआ। आचार्य श्री भाग्ययश सूरीश्वरजी म.सा.का युवाओं को मार्गदर्शन मिल रहा है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें