हर महीने संक्रांति का क्या अर्थ है? :- चिदानंद सूरीश्वरजी

 संक्रांति का मतलब समझने के लिए पहले कुछ बातें समझनी ज़रूरी हैं।

वीरेंद्रकुमार जैन


अं
ग्रेज़ी परंपरा में जनवरी, फरवरी इस तरह से महीने होते हैं और 1 तारीख से महीना बदलता है। इस्लाम धर्म में भिन्न तरीके से 12 महीने होते हैं। उसी प्रकार भारतीय संस्कृति में दो तरह से महीने होते हैं- - 1. चान्द्रमास 2. सौर मास

चंद्रमा की स्थिति (अमावस्या व पूर्णिमा) के अनुसार जो महीने बदलते हैं, उन्हें चांद्र मास कहते हैं। हम प्रायः करके जैसे कार्तिक, वैशाख आदि के देसी महीने जानते हैं तथा सुदी / वदी एकम, दूज, पंचमी आदि कहते हैं वे चान्द्रमास कहलाते हैं। ये महीने सुदी एकम् से चंद्रमा के अनुसार बदलते हैं जैसे अमावस्या के पश्चात सुदी एकम और पूर्णिमा के बाद वदी एकम आएगी। लेकिन संक्रांति को समझने के लिए हमें सौर मास को समझना पड़ेगा।

महीनों की गिनती जब सूर्य के अनुसार करते हैं तो उन महीनों को सौरमास कहते हैं। सूर्य लगभग एक महीने में एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है और जिस दिन वो एक राशि से दूसरी राशि में संक्रमण करता है, उस दिन से नया सौरमास प्रारंभ होता है। उस दिन को हम संक्रांति कहते हैं। सौरमास के नाम अलग नहीं हैं, महीने का नाम चन्द्र मास के क्रमानुसार ही लिया जाता है। जैसे 17 अक्टूबर 2021 को सूर्य तुला राशि में प्रवेश करेगा तो संक्रांति होगी तो सौरमास के अनुसार कार्तिक मास का प्रथम दिन होगा लेकिन चंद्रमास का अश्विन महीना और बारस तिथि होगी।

समाधान प्रदाता : तत्त्वचिंतक आचार्य विजय चिदानंद सूरीश्वर जी

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