108 श्री अक्षयसगरजी का चातुर्मास भायंदर में
चातुर्मास कलश की हुई स्थापना -
15 अगस्त को हम उन्हें याद करें जो घर नही आये कार्यक्रम
भायंदर :- श्री सुपार्श्वनाथ दिगम्बर जैन चैत्यालय ट्रस्ट, भायंदर एवं सकल दिगम्बर जैन समाज मुम्बई व ठाणे तथा श्री दिगम्बर जैन चातुर्मास समिति,मुंबई के तत्वावधान में संत शिरोमणी आचार्य श्री 108 विद्यासागरजी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री 108 अक्षयसागरजी महाराज ससंघ का 2023 चातुर्मास भायंदर (वेस्ट) में हो रहा हैं।गत वर्ष चातुर्मास मध्यप्रदेश के गुना शहर में था।
चातुर्मास कलश स्थापना के अवसर पर अग्रवाल ग्राउंड में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया।इस अवसर पर भव्य धर्मसभा को संबोधित करते हुए चातुर्मास के महत्व पर प्रकाश डाला।इस अवसर पर विधायक गीता जैन के अलावा अनेक गणमान्य लोगों की उपस्थिति थी।उनके साथ मुनिश्री 108 नेमीसागरजी महाराज, मुनिश्री 108 शैलसागरजी महाराज, मुनिश्री 108 अचलसागरजी महाराज, ऐलकश्री 105 उपशमसागरजी महाराज, आदि का भी प्रवेश हुआ।
ब्रह्मचारी जय वर्मा ने बताया कि चातुर्मास दौरान गुरुदेव की निश्रा में सुबह 8 से 9 भक्तामर स्तोत्र व अध्यात्मिक प्रवचन, सुबह 9 बजे अचलसागर जी महाराज का प्रवचन,दोपहर 2 बजे से समय सार कक्षा, दोपहर 3:30 से परम पूज्य शैलसागर जी महाराज का प्रवचन,शाम को 6:45 से 7:30तक बच्चों के लिए पाठशाला ऐलक श्री उपशमसागर जी महाराज द्वारा होगी।इसके अलावा अनेक धार्मिक, सामाजिक अनुष्ठान संपन्न होंगे।15 अगस्त को हम उन्हें याद करें जो घर नही आये पर विशेष कार्यक्रम होगा।
चातुर्मास स्थल :- श्री नेमिनाथ दिगंबर जैन आत्मोत्थान भवन, सिल्वर स्प्रिंग टोवर, कस्तूरी हॉस्पिटल के सामने, नवरंग होटल के पीछे, गावदेवी रोड, भायंदर वे(स्ट), 401101 महाराष्ट्र
परम पूज्य मुनिश्री १०८ अक्षयसागरजी महाराज का परिचय
सांसारिक नाम : -बकुलजी कांते
जन्म :- 1 जून, 1962
जन्म स्थान :- शिरोळ, जिला कोल्हापूर (महाराष्ट्र)
पिताश्री :- स्व. तात्यासाहेब कांते.
मातोश्री :- स्व. सुवर्णादिवी कांते.
लौकीक शिक्षण:- इयत्ता 12 वी, कॉमर्स
ब्रह्मचर्य व्रत :- सन 1987 - - थुबोनजी.
क्षुल्लक दीक्षा :- वैशाख शु. ३, अक्षय तृतीया, दि. 16 मे, 1991,श्री सिद्धक्षेत्र मुक्तागिरी
ऐलक दीक्षा :- आषाढ शु. १४, दि. 25 जुलाई, 1991, श्री सिद्धक्षेत्र मुक्तागिरी
मुनि दीक्षा :- माघ शुक्ल - १५, बुधवार दि. 11 फरवरी. 1998
श्री सिद्धक्षेत्र मुक्तागिरी दीक्षा गुरु :- परम पूज्य आचार्यश्री १०८ विद्यासागरजी महाराज
मातृभाषा :- मराठी
साहित्य लेखन :- जिनसंस्कार भाग 1-2 (मराठी, हिंदी, कन्नड, इंग्रजी), अक्षयवाणी (प्रवचन माला), हम उन्हे याद करे जो घर नहीं लौटे, विद्यार्थी जीवन और व्यक्तीत्व विकास, विद्या प्रबोधिनी टीका, विद्या तत्त्वप्रबोधिनी टीका।
अनुवादित कृति : - मानवधर्म, भक्तामरस्तोत्र, छहढाल प्रबोधिनी (मराठी, कन्नड), द्रव्यसंग्रह प्रबोधिनी (मराठी, हिंदी)
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